इंदौर। संसद में वामपंथी दलों का प्रतिनिधित्व भले ही कम हो लेकिन उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। देश में जारी वर्तमान नीतियाँ चंद प्रभावी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई जाती हैं जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों के साथ ही आर्थिक, सामाजिक असमानता की खाई बढ़ती जा रही है। आज बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है मगर धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बाँट कर इन मुद्दों से उनका ध्यान भटकाया जा रहा है। देश में जनवादी नीतियां लागू करने के लिए वामपंथ का प्रभावी दखल जरूरी है।
ये विचार केरल से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के राज्यसभा सांसद बिनोय विश्वम ने व्यक्त किए जो श्रम मामलों की संसदीय समिति के साथ इंदौर आए थे । इस दौरान उन्होंने वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। उन्होने कहा कि आज सत्ता में बैठी पार्टी और उनके नियंत्रक संघ की विचारधारा गोलवलकर की किताब बंच ऑफ थाट्स से निकलती है जो स्वयं हिटलर की विचारधारा से प्रेरित है। आज सभी वामपंथी दलों को एकजुट होकर फासीवादी विचारधारा को पराजित करना है। इसके बगैर जनपक्षधारी नीतियों को लागू करना संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को उनके सही मुद्दों से अवगत कराकर इस लड़ाई में शामिल करना होगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि लोगों को जनवादी नीतियों के बारे में बताएं। कॉमरेड होमी दाजी को याद करते हुए कहा कि उनने होमी दाजी के नेतृत्व से यह सीखा की कम्युनिस्ट विचारों को लोगों तक किस तरह पहुंचाना है और पार्टी संगठन को किस तरह मजबूत करना है।
बैठक में भाकपा, माकपा, एसयूसीआई , सोशलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ ही प्रगतिशील लेखक संघ और बैंक , बीमा सहित अनेक कर्मचारी संघों के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
अरविंद पोरवाल / 9425314405