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 साहित्यकारों की कार्यशाला बन गयी है आज दुनिया 

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मुनेश त्यागी 

    आज के हालातों में दुनिया, एक गांव में तब्दील हो गई है। किसी एक देश की घटना या युद्ध से सारा संसार प्रभावित होता है। एक बुरा विचार सारी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। आज के लेखों, साहित्यिक रचनाओं, फोटोग्राफी, मीडिया और कविताओं ने अंतरराष्ट्रीय रूप धारण कर लिया है। ऐसे में लेखक, कवि, रचनाकार तमाम साहित्यकार, मीडियाकर्मी और नाटककार  इस घटनाक्रम से अछूते नहीं रह सकते।

     लेखकों और रचनाकारों के लिए आज सारी दुनिया एक कार्यशाला बन गई है। वे अपने समाज या देश तक ही सीमित नहीं रह सकते, अतः सारी दुनिया में हो रही भांति भांति की घटनाओं पर उन्हें अपनी लेखनी चलाकर सारी दुनिया की जनता को उनके अच्छे और बुरे प्रभाव और परिणामों से अवगत कराना होगा। अपने लेखन को वैश्विक बनाना होगा। दुनिया में हो रहे अच्छे या बुरे की तस्वीर खींचकर सारी दुनिया की जनता के सामने पेश करना होगा, ताकि जनता अच्छे और बुरे पर गौर करके एक समुचित रास्ता के अख्तियार कर सके।

     आज के रचनाकारों को सारी दुनिया को बताना होगा कि साम्राज्यवादी पूंजीवादी लुटेरी दुनिया, जिसका नेता  अमेरिका है, सारी दुनिया में क्यों तबाही मचाने पर आमादा है? उन्हें बताना होगा सारी दुनिया की बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने उत्पाद सारी दुनिया में बेचकर, केवल अपने  मुनाफे बढ़ाने में ही लगी हुई है और देश और दुनिया की जनता की जरूरतों और समस्याओं को दूर करने से उनका कोई लेना देना नहीं है।

     सारे लेखकों को बताना होगा कि आज 200 साल पुरानी लुटेरी पूंजीवादी साम्राज्यवादी व्यवस्था दुनिया में अन्याय, गरीबी, शोषण, जुल्म ओ सितम, महंगाई, हथियारों और युद्धों को क्यों बढ़ावा दे रही है? वह पूरी दुनिया में आजादी, समता, समानता, न्याय, समाजवाद, क्रांति, भाईचारे और धर्मनिरपेक्षता का गला क्यों घोट रही है?

     लेखकों को पूरी दुनिया की जनता को बताना होगा कि लुटेरी पूंजीवादी, पैसे वालों और धन्ना सेठों की व्यवस्था के पास दुनिया की जनता की बुनियादी समस्याओं जैसे रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुढ़ापे की सुरक्षा का कोई समाधान या निदान नहीं है। उन्हें बताना होगा कि अमेरिका ने पूरी दुनिया में 1000 परमाणु हथियारों के अड्डे क्यों और किस को मारने के लिए बना रखे हैं? 

     अमेरिका से पूछना होगा कि आज परमाणु हथियारों की दौड़ की क्या जरूरत है? उससे पूछना होगा कि वह आए दिन दुनिया के दूसरे देशों में क्यों हस्तक्षेप करता रहता है? वहां की जनता द्वारा चुनी गई सरकारों के काम में क्यों दखलंदाजी करता है। उसने झूठ बोलकर, दुनिया को गुमराह करके क्यों इराक, अफगानिस्तान, लीबिया, सीरिया आदि देशों पर युद्ध थोप कर उन्हें क्यों बर्बाद कर दिया? उससे पूछना होगा कि वह समाजवादी देशों चीन, वियतनाम, कोरिया, क्यूबा, वेनेजुएला, बोलिविया, चिली, पीरु, ब्राज़ील, अर्जेंटीना, मैक्सिको आदि देशों की घेराबंदी क्यों कर रहा है? इनके खिलाफ क्यों सैकड़ों अड्डे बना रहा है?

     लेखकों को पूछना होगा कि सारी दुनिया में धर्मांध, सांप्रदायिक, अंधविश्वासी, फासीवादी और जनवादी तत्वों का घटा गला घोटने वाली ताकतें क्या कर रही है? इनको कौन पाल पोस रहा है? इनको कौन धन मुहैया करा रहा है और कौन इनका दिशा निर्देशन कर रहा है? इनके बारे में सही जानकारियां जुटाकर दुनिया के लोगों का मार्गदर्शन करना होगा और इनकी जन विरोधी और समाज विरोधी और देश विरोधी कारगुजारियों का दुनिया के सामने भंडाफोड़ करना होगा ताकि दुनिया के सारे लोग इनकी जनविरोधी नीतियों और हकीकतों को समझ सकें।

    दुनिया के तमाम रचनाकारों, लेखकों, कवियों नाटककारों को बताना होगा कि आज किन नीतियों के कारण दुनिया में शोषण, गरीबी, अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार, मारकाट, अशांति, हिंसा और अपराध बढ़ते जा रहे हैं? सारी दुनिया में हथियारों की दौड़ क्यों जारी है? इसके लिए कौन शक्तियां जिम्मेदार हैं ,,, लुटेरे पूंजीपति, पैसे वाले और धन्ना सेठ या किसान, मजदूर, छात्र, नौजवान और आम जनता?

     हमारे लेखकों को बताना होगा कि दुनिया में नाटो जैसे युद्धोन्मादी, आक्रमणकारी और हिंसक संगठनों को क्यों बनाकर रखा गया है? जबकि समाजवादी रूसी खेमा 1991 में ही ढह गया था और अब वजूद में नहीं है। उन्हें बताना होगा कि अनेक संधियों के बाद भी नाटो को क्यों नही भंग किया गया और उसमें पूर्वी यूरोप के, पूर्व समाजवादी देशों को क्यों शामिल किया गया और आज भी क्यों शामिल किया जा रहा है?

     उन्हें दुनिया को बताना होगा कि यूक्रेन और रूस में युद्ध क्यों हो रहा है? यूक्रेन किसका मोहरा बन गया है? और रूस को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध क्यों छेड़ना पड़ा और क्या इस विनाशकारी युद्ध को किसी भी दशा में तत्काल बंद नहीं किया जाना चाहिए? हमें सारी दुनिया को बताना होगा कि श्रीलंका, बर्मा और भारत में क्या हो रहा है? यहां की सत्ता में बैठी साम्प्रदायिक ताकतें क्या कर रही हैं? और उनकी कारस्तानियों को  दुनिया के सामने उजागर करना होगा। हमें बताना और लिखना होगा कि दुनिया में आजादी और जनतंत्र का सूचकांक क्यों गिरता जा रहा है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? पूंजीवादी लुटेरों, पैसे वालों, धन्ना सेठों की व्यवस्था या जनता की दोस्त समाजवादी व्यवस्था?

     तमाम रचनाकारों और लेखकों को पूरी दुनिया को बताना होगा कि अमेरिका ने 63 साल बाद भी क्यूबा के खिलाफ आज भी घेरेबंदी क्यों कर रखी है? उसका गला क्यों घोट रखा है? उसे आजादी के साथ, अपनी नीतियों को कार्यान्वित क्यों नहीं करने दे रहा है? उसे क्रांति के मार्ग पर आगे बढ़ने से क्यों रोक रहा है? वह चीन की घेराबंदी क्यों कर रहा है? वह चीन की घेराबंदी के लिए भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को एकजुट करके क्वाड जैसे संगठन क्यों बना रहा है? अमेरिका ऐसा करने वाला कौन है?

     हम यहां कहना चाहेंगे कि सारी की सारी पूंजीवादी साम्राज्यवादी, पैसे वालों और धन्ना सेठों की लुटेरी व्यवस्था, दुनिया की जनता को समाजवादी व्यवस्था कायम करने के अभियान को क्यों रोक रही है? वह दूसरे देशों की जनता की आजादी में क्यों रोडे अटका रही है? वह जनता को अपनी इच्छा का निजाम स्थापित करने से क्यों रोक रही है? उसने इंडोनेशिया, वियतनाम, चीन, कोरिया में लाखों-प्रगतिशील कार्यकर्ताओं, कम्युनिस्टों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को क्यों मार गिराया गया?

      हम लेखकों को पूरी दुनिया की लुटेरी, अलगाववादी, युद्धोन्मादी, जातिवादी, वर्णवादी, नक्सलवादी, सांप्रदायिक, फासीवादी और भ्रष्टाचारी ताकतों का भंडाफोड़ करना होगा। सारी दुनिया हमारी कार्यशाला है। हमें सारी दुनिया की जनता को बताना होगा कि समाजवादी, जनवादी, धर्मनिरपेक्ष और समता समानता, वाले समाज में ही जनता, देश और दुनिया का भला हो सकता है।

       आज के लेखकों और साहित्यकारों का सबसे बड़ा काम है कि वे हमारे समाज में फैली गरीबी भुखमरी शोषण जुल्म अन्याय भ्रष्टाचार महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ खुलकर लिखें, किसानों मजदूरों का पक्ष लें और सेठ आश्रयी कविता और लेखन छोड़कर, इस दुनिया को सजाने वाले संवारने वाले किसानों और मजदूरों का पक्ष लें और उनकी समस्याओं के बारे में लिखें और इन समस्याओं से पूरे देश और दुनिया को अवगत कराएं।

     हम लेखकों को और साहित्यकारों को खुलकर पूरी दुनिया को यह बताना होगा कि 1917 की रुसी क्रांति के बाद, दुनिया में सबसे पहले किसानों मजदूरों की समाजवादी सरकार कायम की गई और दुनिया में सबसे पहले सबको रोटी कपड़ा मकान शिक्षा स्वास्थ और सुरक्षा की व्यवस्था की गई। वहां औरतों की सारी तकलीफें दूर कर दी गई और उन्हें पुरुषों के बराबर स्थान दिया गया और उन्हें जिंदगी के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का पूरा मौका दिया गया। इसी के साथ साथ वहां पर हजारों साल से चली आ रहे गरीबी, शोषण, जुल्म ओ सितम, अन्याय, भ्रष्टाचार, ऊंच नीच और छोटे बड़े की मानसिकता का खात्मा कर दिया गया। इसी के साथ साथ हमें सारी दुनिया को बताना पड़ेगा कि किसान मजदूर की सरकार और क्रांति द्वारा स्थापित समाजवादी व्यवस्था ही, दुनिया की जनता की और देशों की तमाम समस्याओं का हल कर सकती है।

     इसके अलावा कोई अन्य विकल्प या रास्ता नहीं है। हमें सारी दुनिया की जानकारी बढ़ाने और ज्ञान वर्धन के लिए लिखना होगा। सारी दुनिया की समस्याओं को जनता के सामने उजागर करना होगा और उनका निदान और समाधान सारी दुनिया के सामने पेश करना होगा। आज के लेखकों की यही सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। आज के लेखक और साहित्यकार और कवि और संस्कृति कर्मी किसी देश विशेष के बंदी बनकर नहीं रह सकते। आज सारी दुनिया उनके लिए एक बहुत बड़ी कार्यशाला बन गई है।

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