अग्नि आलोक
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मजदूर किसान कर्मचारी की एकजुट लड़ाई ही आज की महती आवश्यकता

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सरकारी बैंकों के कर्मचारियों की दो दिन की हड़ताल कामयाब रही। इससे उनकी यूनियन खुश हो सकती है। लेकिन उनके लिए याद रखने की बात यह है कि किसान चार महीने से अधिक समय से आंदोलन पर हैं। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले कार्यकर्ता साढ़े तीन महीने तक सड़कों पर रहने के बाद कोरोना महामारी के कारण अपने घर लौट गए। जब ऐसे लंबे संघर्ष कामयाब नहीं हो पाए, तो बैंक कर्मियों की दो दिन सांकेतिक हड़ताल नरेंद्र मोदी सरकार को अपने इरादे से डिगा देगी, ये सोचना खुद को भ्रम में रखना ही होगा। बैंक कर्मियों की हड़ताल को किसान संगठनों ने समर्थन दिया। लेकिन किसानों के संघर्ष पर ये कर्मी क्या सोचते हैं, यह किसी को नहीं मालूम है। सरकार के लिए यही सबसे बड़ी सुविधा की बात है। लोग अलग- अलग अपनी लड़ाइयां लड़ रहे हैँ। उसमें राजनीतिक पहलू ना आए, इसको लेकर वे सतर्क रहते हैं (हालांकि किसानों ने अब इस मामले में अपने रुख सुधारा है)। आंदोलनकारी अपनी मांग पर जोर देने के पहले यह सफाई देने की मजबूरी महसूस करते हैं कि वे सत्ताधारी दल या प्रधानमंत्री के विरोधी नहीं हैं। जाहिर है, अगर उनकी अपनी मांग पूरी हो जाए, तो वे यह भी कह सकते है कि असल में वे उनके समर्थक हैँ।

बाकी देश की सकल अर्थव्यवस्था, राज्य-व्यवस्था और सामाजिक माहौल के साथ क्या हो रहा है, यह उनकी चिंता नहीं होती। जब तक समस्याओं को ऐसे टुकड़ों में देखने का नजरिया कायम रहेगा, जाहिर है, कुछ हासिल नहीं होगा। मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को एक खास दिशा दी है। उसमें सरकारी बैंकों की भूमिका सीमित है। वैसे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन की यह बात अर्धसत्य है कि सभी बैंकों का निजीकरण नहीं होगा। अर्धसत्य इसलिए कि यह आंदोलनकारियों ने भी नहीं कहा कि सभी बैंकों का निजीकरण हो रहा है। लेकिन सवाल है कि आखिर कुछ बैंकों का भी क्यों हो? ऐसा इसलिए होगा कि यह मोदी सरकार की कुल अर्थनीति के अनुरूप है। बैंक कर्मियों और उनकी- यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) को असल में यह तय करना चाहिए कि वह इस अर्थनीति की समर्थक है या नहीं? अगर समर्थक है, तो बेवजह हड़ताल कर अपने लिए और ग्राहकों के लिए मुसीबत खड़ी करने से कोई लाभ नहीं होगा। अगर उन्हें सचमुच अर्थनीति से विरोध है, तो फिर किसानों की तरह अनिश्चितकालीन और कष्टदायक संघर्ष में उतरने के लिए तैयार होना चाहिए।

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