विजय दलाल
*कल हरियाणा विधानसभा चुनाव की वोटिंग समाप्त होने के साथ ही अब कश्मीर के चुनाव के नतीजों के लिए 8 अक्टूबर का इंतजार है।*
*दूसरा समाचार है कि देश के कई जागरूक संगठन 7 अक्टूबर को गाजा में इजरायल द्वारा नरसंहार के विरुद्ध फिलिस्तीन की जनता के साथ अपनी एकजुटता देशव्यापी प्रदर्शित कर रहे हैं।*
*आज दोनों सामयिक विषयों पर ताजा घटनाक्रमों पर कुछ बातें हो जाएं।*
1.*इजराइल -फिलिस्तीन के हमारे तो सम्पूर्ण मीडिया ने एक अलग ही रूख और जानकारियां इजरायल के पक्ष में दे रहा है। इस वीडियो के माध्यम बाकी दुनिया तो छोड़िए इजरायल के ही समाचार पत्रों में क्या छप रहा है यह जानिए।* (विस्तार से चर्चा बाद में) *इस समस्या को देखने और समझने के लिए केवल संदर्भ में..*
“”धर्म राष्ट्रीयता की कसौटी नहीं है, बल्कि यह मनुष्य और उसके इश्वर के बीच का निजी मामला है। राष्ट्रीयता की भावना में वे पहले और अंत में केवल भारतीय हैं चाहे वो किसी भी धर्म को मानते हों।”” (*हरिजन,29 जून 1947*)
“”धर्म प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला है। इसे राजनीति या राष्ट्रीय मामलों के साथ नहीं मिलाया जाना चाहिए।
कोई हिन्दू, कोई पारसी, कोई ईसाई या कोई जैन ने हो। हमें यह समझना चाहिए कि हम केवल भारतीय हैं और धर्म एक निजी मामला है।”” ( *हरिजन,7 दिसंबर 1947*)
2.*हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी नतीजों में एक्सिट पोल और सर्वे दोनों ही प्रदेशों में कांग्रेस और कांग्रेस – एनसीपी गठबंधन की जीत बता रहे हैं यहां तक कि इस बार प्रिंट मीडिया तक भी। मगर यक्ष प्रश्न है कि मोदीजी द्वारा और मौन धारण द्वारा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अप्रत्यक्ष समर्थित और रचित चुनाव आयोग जिसने 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने कारनामों के विपक्षी दलों द्वारा नहीं जनता द्वारा पूछे गए एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया। वह क्या इन विधान सभाओं के चुनाव के नतीजे वहीं आने देगा जो देश की जनता ने दिए हैं?*
*देश की दस वर्ष की राजनीति और इसराइल की सत्ता का अनुभव तो स्पष्ट दिखाती है कि इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में फासीवादी और बड़ी पूंजी की देशी – विदेशी ताकतें अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए कहां कहां तक जा सकती है।*
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