अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा की ओर से आज तमिलनाडु, उड़ीसा समेत देश के तमाम राज्यों में राजभवन का घेराव किया गया। इसके अलावा जिला स्तर पर जनसभा और जुलूस का आयोजन किया गया। उधर, किसान परेड को लेकर तैयारियों जोरों पर है। किसान नेताओं ने कहा है कि इसमें एक लाख ट्रैक्टर शामिल होंगे। साथ ही दस लाख किसानों के शिरकत करने की उम्मीद है। इनकी अगुवाई महिला किसान करेंगी।
वहीं अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा की केन्द्रीय कार्यकारणी ने सरकर के रवैये पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सरकार का कानून सस्पेंड करने का प्रस्ताव और कृषि मंत्री का बयान कि कानून रद्द नहीं किए जाएंगे, किसानों की किसी भी समस्या को हल नहीं करेंगे। स्थगन का अर्थ एक ही है कि यह किसान इस बात को स्वीकार कर लें कि यह किसी भावी तिथि से लागू होंगे और यह किसानों और यूनियनों को नामंजूर है।
सरकार का प्रस्ताव एक कमेटी के गठन से जुड़ा हुआ है। इन कानूनों के स्थगन के साथ, इनका मूल आधार किसानों की गर्दन पर लगातार लटका रहेगा और कमेटी में चर्चा इनके सुधार तक ही सीमित रहेगी, जो सुधार न तो संभव है और न उनका कोई मतलब है। वैसे भी कानून में सुधार को किसान नकार चुके हैं। हालांकि भारत सरकार का दावा है कि वार्ता के 11वें दौर में वह जो कुछ दे सकती थी, वह दे चुकी है। सच यह है कि कमेटी का प्रस्ताव उसने शुरू में ही दिया था और किसान उसे नकार चुके हैं।
कार्यकारिणी ने कहा है कि इन कानूनों के उद्देश्य सरकार को आदेशित करते हैं कि वह कृषि उपज के बड़े व्यापारियों, निर्याताकों को और ठेका खेती को बढ़ावा देगी। सरकार ने पहले ही इन कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये आवंटित कर दिए हैं और इसका सीधा अर्थ है कि सरकारी सब्सिडी, खरीद और एमएसपी को निरुत्साहित किया जाएगा। इससे किसानों की कर्जदारी, आत्महत्याएं और जमीन से बदेखली बढ़ेगी। भाजपा सरकार भारतीय और विदेशी बड़ी कंपनियों को बढ़ावा दे रही है। उसकी योजना साम्राज्यवाद परस्त है और इससे किसानों और भारतीय बाजारों के विकास को नुकसान होगा।
यह कानून सरकारी खरीद घटा देंगे, राशन व्यवस्था समाप्त कर देंगे, खाने की जमाखोरी बढ़ा देंगे और 75 करोड़ गरीब लोगों को कंपनियों के नियंत्रण वाले बाजार पर खाने के लिए निर्भर बना देंगे। इससे भूख, कुपोषण और भुखमरी बढ़ेगी।
वहीं एआईकेएमएस के महासचिव डॉ. आशीष मित्तल ने 26 जनवरी को आगामी ट्रैक्टर परेड की तैयारियों के बाबत कहा है कि दिल्ली में 26 को एक लाख से अधिक ट्रैक्टर तथा 10 लाख लोग इस ट्रैक्टर परेड में शामिल होंगे। ये परेड ऐतिहासिक होगी। इस परेड में कोई अनियमित्ता नहीं हो, इसकी व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है।