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रेलगाड़ी….मोदी जी..रेलवे को दो ही लोग गंभीरता से समझ पाए..एक श्री लालू जी दूसरे आप

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संजयकनोजिया कीकलम से”✍️
 2014 के चुनावी सभाओं में नरेंद्र मोदी, सीना ठोक-ठोक कर भ्र्म फैलाते थे, कि किसी ने आज तक रेलवे को गंभीरता से नहीं लिया और रेलवे की दुर्दशा कि जिम्मेदार पिछली सरकारें है ! 
            मोदी जी को बोलने से पहले अपनी गिरेवान में झांकते हुए वास्तविकता को भी समझना चाहिए था..कि वर्ष 2004 से पूर्व भाजपा के सवा 6 साल की अटल सरकार में उसवक्त रेलमंत्री नितीश कुमार हुआ करते थे..वर्ष 2004 में जब भाजपा की अटल सरकार गिरी तब देश की रेलवे इतने अधिक आर्थिक घाटे में आ चुकी थी कि वो प्राइवेट हांथों में बिकने को तैयार खड़ी थी..परन्तु UPA की प्रथम सरकार में श्री मनमोहन सिंह जी, की केबिनेट में जब रेलमन्त्री #श्रीलालूप्रसाद_यादव जी, बने तो उन्होंने ने अपने कार्य कौशल से बिकती हुई रेलवे को बचाया ही नहीं बल्कि 37, 000 (37 हज़ार करोड़) रुपए के लाभ में पहुंचा दिया था..रेलवे के हर कर्मचारी को 2-2 महीने का दिवाली बोनस मिलने लगा था..अपने 5 साल के कार्येकाल में यात्री किराये में एक रुपए की भी वृद्धि नहीं हुई थी..रोजगार के दरवाज़े खुले हुए थे..नार्थ-ईस्ट में मणिपुर तक रेल परियोजना को हरी झंडी देते हुए 700 करोड़ रुपए का आर्थिक बजट पास करते हुए परियोजना को शुरू करवाया था..कई दर्जन नई रेलें शुरू करि गईं जिसमे गरीब रथ रेल ने खूब चर्चा बटोरी.. प्लास्टिक के गिलासों में चाय ना देकर मिट्टी के कुल्हड़ों में ये व्यवस्था करवाई ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के पिछड़े तबकों को रोजगार मिल सके..कितने कारखाने कितने लोकोशेड तैयार किये गए..बुलेट-ट्रैन परियोजना को भी श्री लालू जी ने ही रेलवे बोर्ड में पास करवाया और रेलवे अधिकारीयों का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल जापान तक बुलेट-ट्रैन हेतू लेकर गए थे..RPF (रेलवे रिजर्व फोर्स) को आधुनिक हथियारों व अन्य साजो-सामान से सुसज्जित व मजबूत किया गया था..चतुर्थ श्रेणी से लेकर उच्च अधिकारी वर्ग तक, श्री लालू जी, के कार्येकाल में उत्साहित था.. श्री लालू जी, के इस मेनेजमेंट की पूरी दुनियां में तारीफ़ होने लगी थी..अर्थशास्त्र के विदेशी छात्र लालू जी से मिलकर इस कला की टिप्स लेते बल्कि रिसर्च तक करने लगे थे..2004 से 2009 तक श्री लालू जी के कार्येकाल में ही रेलवे का स्वर्णिम युग था, ये कहना कोई अतिश्योक्ति ना होगी ! 
                  मोदी जी..रेलवे को दो ही लोग गंभीरता से समझ पाए..एक श्री लालू जी दूसरे आप..श्री लालू जी की समझ ने रेलवे को बिकने से तो बचाया ही उसे लाभ के क्रम में भी ला खड़ा किया था..लेकिन आपकी समझ ने जबकि आप प्रधानमंत्री भी हैं क्यों नहीं रेलवे की गंभीर सुध ली ? कहाँ गया आपका बड़बोला पन जब आप चुनावी सभाओं में रेलवे की दुर्दशा पर मगरमच्छी आसुओं से रोया करते थे..आप तो रेलवे को ही बेच खाए ?..आपकी सूझ-बूझ व कार्येशेली और राजनितिक कद, श्री लालू जी के सम्मुख बोना है..झूठ को हथियार बनाकर आपने जो देश को गुमराहकर देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद किया है, सरकारी-गैर सरकारी संस्थानों को बेचना, विदेशनिति पर प्रश्नचिन्ह लगवाना,  सौहार्दपूर्ण सामाजिक पहचान को समाप्त करना, अहंकार की मद में चूर तानाशाही फरमान जारी करना, जनता के खून-पसीने की गाडी कमाई से लिए करों द्वारा अपने व्यक्तिगत महँगे शौक पूरे करना बे-मतलबी नए भवन निर्माणों में फिजूल पैसा खर्च करना आदि-आदि और भी बहुत सी बातों को लेकर, देश की जनता आपको कभी माफ़ नहीं करेगी !
                    लेखक 
     *सक्रिय राजनैतिक कार्येकर्ता है

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