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दो व्यक्तियों के बीच ऊर्जा का ट्रांसफ़र

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(स्त्री बैटरी, पुरुष सर्किट : शक्ति बिना शिव शव)

         डॉ. विकास मानव 

    यहाँ स्त्रीत्वयुक्त स्त्री और पुरुषत्वयुक्त  पुरुष की बात की जा रही है. कुलटा, मतलब-परस्त स्त्री या दुराचारी, नामर्द पुरुष हमारा विषय नहीं. शिव पुराण कहता है : शक्ति के बिना शिव शव है। नारी शक्ति या बैटरी है और पुरष एक निर्जीव या सर्किट है। अब जैसी जिस स्त्री जिस पुरष से जुड़ जाती है पुरष उसी की आंतरिक इच्छाओं के वशीभूत हो कर कर्म करता है चाहे स्त्री उससे कहे या ना कहे। 

       यह स्त्री जरूरी नहीं कि सामाजिक रूप से आपकी पत्नी ही हो यह आपकी गर्लफ्रेंड या  अंदर खाते कोई टांका फिट वाला केस भी हो सकता है। जिससे आप मन से प्रेम और शारीरिक प्रेम करते हों। 

     महाभारत इसका उदाहरण है। जीवन में लगभग हर पुरष सिर्फ और सिर्फ किसी स्त्री की आंतरिक इच्छाओं के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य होता है।  मतलब जैसी बैटरी की वोल्टेज मिलती है सर्किट वैसा ही व्यवहार करता है। और बिना वोल्टेज के सर्किट काम नहीं करता। 

        जब तक पुरष बाल्यावस्था में होता है या उसके अपने हार्मोन्स पूरी तरह से विकसित नहीं हुए होते तब तक उसकी बैटरी उसकी मां या मां कि तरह कोई और स्त्री हो सकती है।

      अब इसकी मेडिकल साइंस के आधार पर समझते हैं :

   किसी भी जीव के जीवन का उद्देश्य biologically सिर्फ़ अपनी संतान उत्पन्न करके मर जाना होता है। सिर्फ कुछ ही गिने चुने मनुष्य ही इससे उपर के लेवल के होते हैं। 

      अब उसे संतान प्राप्ति के लिए किसी फीमेल को पटाना होता है जैसे जानवर करते हैं , हर फीमेल हर प्रकार के जानवरों में इस काम के लिए male जानवर से कई प्रकार के पापड़ बेलाती है। 

      हर male इस अपने प्राकृतिक जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए फीमेल के आगे पीछे दुम दबा उसके इशारे पर नाचता हुआ उसके सारे नखरे सहता हुआ उसकी सारी इच्छाओं कि पूर्ति करता है।

     जो पुरष यह कहे कि मै तो सिंगल हूं तो वे भी समझ लें वे भी किसी ना किसी बीते कल के रिश्तों की यादों में डूब कर उसी स्त्री कि इच्छाओं का पालन कर रहे होते हैं।

      अगर आप जीवन में इससे उत्पन होने वाली समस्याओं से मुक्ति चाहते है पुरषों के लिए कह रहा हूं अभी स्त्रियों के लिए अलग लेख लिखूंगा। तो आपको इन बातों को समझते हुए अपनी इस प्राकृतिक उद्देश्य को समझ कर ही किसी स्त्री कि कहीं या अनकही इच्छाओं को पूरा करती बार अपने अस्तित्व को अलग करके रखना है। 

     नहीं तो सारा जीवन डिप्रेशन या aggression या मां बाप के साथ रिश्तों में गड़बड़ के साथ जीना पड़ेगा। एक बंदर की तरह स्त्री कि इच्छा के अधीन हो कर जीने से अच्छा है कि आप अपने अस्तित्व को अलग समझें। अगर आप अपने कि बिना बैटरी के चला लें तो भी आप अपने जीवन के बायलॉजिकल उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं।

      कोई भी संगीतज्ञ इन बोल पर गाना बना सकता है “” तू मेरी बैटरी मैं तेरा सर्किट”‘ अब आप इन बोलों के साथ कोई गाना बनाते हुए अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड या अपने टांके को सुनाइए फिर देखो क्या प्रभाव होता है। फिर जो होता है उसे कॉमेंट लिख कर बताएं। ताकि मै इस विषय पर और आगे रिसर्च कर सकूं।

      बूढ़े हो चुके पुरष के लिए जिसकी reproductive शक्ति समाप्त हो चुकी है इस बैटरी का रोल उसकी बेटी या कोई अन्य रिश्ते में स्त्री निभाती है।

 *ऊर्जा ट्रांसफर का विज्ञान :*

      क्या एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के साथ कई किमी दूर बैठ कर बिना आपसी बातचीत या सम्पर्क या जानपहचान के किसी दूसरे व्यक्ति के साथ अपनी मानसिक ऊर्जा से संबद्ध स्थापित कर सकता है? क्या कभी आपने इस बारे में सोचा है? इस तरह के वैदिक ज्ञान का क्या कोई वैज्ञानिक आधार है?

जी हाँ, बिल्कुल हैं. मैं इससे सबंधित प्रयोग कर चुका हूँ. कर भी रहा हूँ. इस प्रयोग से मैं अमेरिका में बैठे इंसान का इलाज़ कर देता हूँ. उसे सुपर आर्गेज्मिक फीलिंग भी करा देता हूँ. बस उसका अटैचमेंट गहरा होना चाहिए, जिससे वह मेरी ऊर्जा को रिसीव कर सके. तो यह शत प्रतिशत संभव है।

    इसके पीछे एक बेसिक नियम ध्यान में रखना होगा. पुरुष ऊर्जा का स्रोत नहीं होता बल्कि ऊर्जा का हब बन सकता है जबकि ऊर्जा या शक्ति सिर्फ़ स्त्री होती है। 

   आप यह समझ लें : पुरुष जगह-जगह दूर-दूर बसे गाँव हैं और उन गाँवों को आपस में जोड़ने वाली सड़के स्त्रियाँ। 

      यदि किसी पुरुष को दूर बैठे किसी दूसरे पुरुष से मानसिक रूप से सम्पर्क स्थापित करना हो तो बीच में एक स्त्री की आवश्यकता होगी , इसी प्रकार से यदि दो स्त्रियों को आपस में मानसिक ऊर्जा का लेन देन करना हो तो बीच में एक पुरुष की आवश्यकता होती है।

      एक स्त्री और पुरष के बीच दूर से ही बिना देखे पहचाने बिना किसी माध्यम के मानसिक ऊर्जा का आदान प्रदान हो सकता है।

  यदि आप कभी भी मन से विचलित हों तो समझ लें कोई आपकी ऊर्जा को खींच रहा है और यदि आप बिना कारण खुश या उत्साहित हों तो समझ लें कोई आपको मानसिक ऊर्जा भेज रहा है। 

     यह बात अनजाने में भी कोई कर सकता है और यदि इन विधियों का जानकार हो तो जानबूझकर भी कर सकता है। लेकिन यह काम जानबूझकर कैसे किया जा सकता है इसकी विधि और ट्रेनिंग करना बहुत मुश्किल और पीड़ादायक काम होता है।यह विधियाँ ऐसी हैं कि उनको नासमझ और अनाड़ी व्यक्ति को बताना या समझाना वैसा ही काम है जैसे बंदर के हाथ में तलवार पकड़ा देना।

  आप जाने अनजाने भी यह काम कई बार करते हैं लेकिन समझ नहीं पाते यह हो क्या रहा है।

      अब एक उदाहरण से बताता हूँ लेकिन हिप्पोक्रेट और अति सिद्धांतवादी लोग मेरा यह लेख इससे आगे ना पढ़े।

    एक बार मेरे पास किसी मेट्रोसिटी के करोड़पति की हिस्ट्री समाधान की मंसा से मेरे पास आई. उसका व्यापार में करोड़ों रुपया और सारा कामकाज रुका पड़ा था। लगभग दो सालो से।

    तब मैंने उसे एक अजीबोग़रीब उपाय बताया. मैंने कहा की ऐम्सटर्डम घूमने चले जाओ और वहाँ सबसे महँगी प्रॉस्टिट्यूट से जाकर मिलो। 

    वह बहुत परेशान हुआ. बोला,  लोग तो पूजा पाठ बताते हैं और आप उल्टा काम करने को कह रहे हैं। तब मैंने कहा कि आप अरबोंपति हो और यह काम आप पहले भी करते थे. जब से छोड़ा तब से सब कुछ रुक गया है।

     अब इसके पीछे का यह रहस्य है कि ऐसे अमीर लोग शराब, शबाब कबाब के पीछे पड़े रहते हैं और बीच में ऐसी स्त्रियों से मिलते जुलते रहते हैं और वह स्त्री उनके बीच मानसिक ऊर्जा का ट्रांसफ़र का कारण होती है जिससे उनके बीच अच्छे व्यापारिक संबंध बने रहते है और व्यापार समूथ चलता रहता है।

   मैने ऊपर बताया है कि पुरुष दूर दूर बसे गाँव की भाँति होते है और स्त्री उन गाँवों को जोड़ने वाली सड़के। या  स्त्री बैटरी और पुरष सर्किट होता है।

   लेकिन इस नेटवर्क को बैलेंस बना कर हैंडल करने वाले स्त्री या पुरुष ही कामयाब ( धन, व्यापार, राजनीति ) होते हैं। इन बातों को बुरा मानने वाले लोग मिडल क्लास का जीवन ही जी पाते है। 

     एक बात और कहना चाहता हूँ की आदर्श के झूठे ढोल पीटने वाले लोग मुझे बुरा भला लिखने या कहने से पहले ऐसे कामयाब लोगों के आंतरिक जीवन का पहले गहराई से अध्ययन कर लें। मिडल क्लास की मानसिकता वाले स्त्री पुरुष सिर्फ़ इन्ही आदर्शों के कारण सिर्फ़ लड़ाई झगड़े में पड़े रहते हैं। 

   हाँ कुछ एक हज़ारों सालो में करोड़ों लोगों में कोई एक आध व्यक्ति मेरी इस बात का अपवाद हो सकता है।

 यह एक बहुत कड़वी सचाई है जो ज़्यादातर लोगों से ना पढ़ी जाएगी ना सुनी जा सकती है। लेकिन इस समाज का छिपा हुआ यही एक काला चेहरा है।

  इसीलिए मैं अपने कई लेखों में यह भी लिखता हूँ कि व्यक्ति को ऐसे संबंध बहुत सोच समझ के साथ बनाने चाहिए. इसी को तो लेवल शिफ्टिंग के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है.

     आप यदि ग़लत जगह संबंध बना लेते है तो ऊपर से नीचे भी गिर सकते है। यदि यह सम्बन्ध कहीं आपसे ऊँचे लेवल से बन जाएँ तो आप ऊपर भी चढ़ सकते हैं। नीचे कैसे गिरते हैं यह तो आपको आसाराम बापू जैसे लोगों के केस से पता ही है।

     ध्यान रखें जब भी कुबुद्धि या हवस का अंतर-संबंध जीवन में आता है उस समय हमारे उल्टे सीधे संबंध बनने की सम्भावना होती है। इसलिए इन अंतर के दौरान ऐसे सबंधों से ऊर्जा ट्रांसफ़र के कारण कई बार व्यक्ति बहुत ऊपर से नीचे या नीचे से बहुत ऊपर भी पहुँच सकता है। जब भी कोई राजनेता बहुत नीचे गिरता है तो ऐसा सौ प्रतिशत होता ही होता है बाहर से चाहे कोई भी कारण क्यों ना दिखता हो।

         यदि दो पुरुषों के बीच मानसिक ऊर्जा का लेन देन करना हो तो उनका सम्बन्ध किसी एक स्त्री के द्वारा बनता है और दो स्त्रियों के बीच मानसिक ऊर्जा का लेन देन बीच में किसी पुरुष के होने के कारण बनता है।

     शायद आपको मेरी ये बातें बहुत अजीब लगे। इसलिए मैं इन बातों को उदाहरण से बताता हूँ।

   मैंने एक बहुत आलसी,मोटे थुलथुले लड़के की कुंडली देखी. वह लड़का बहुत ज्ञानी स्थिर स्वभाव का और बहुत ज़्यादा पैसा कमाता था। आप उस लड़के का नाम A रख लें याद करने के लिए। 

    उस लड़के ने पूरे जीवन कभी दौड़ नहीं लगाई थी ना कभी किसी प्रकार का व्यायाम किया था ना उसे इन बातों में कोई रुचि थी। उसका किसी लड़की से चक्कर चल पड़ा शायद लड़की उसके धन पैसों से प्रभावित थी।

     कुछ दिनो बाद उस लड़के को स्मार्ट और फिट बनने का भूत सवार हो गया उसने जिम जाना शुरू कर दिया और बहुत ज़्यादा व्यायाम करने लग गया। उसके मित्र बहुत परेशान हुए कि इस बंदे को क्या फ़र्क़ पड़ गया। 

    लेकिन इस चक्कर में उसने अपने काम काज पर ध्यान देना कम कर दिया और उसकी कमाई कुछ कम हो गई। अर्थात् कुछ गुण मिले और कुछ गुण कम हो गये।

    मैंने उसकी कुंडली से पता लगा लिया कि इसकी जो गर्ल फ्रेंड बनी है उसका टाँका पहले से किसी दूसरे लड़के से था जो कोई भी पैसा नही कमाता था लेकिन बहुत ज़्यादा बॉडी फ़िटनेस पर ध्यान देता था हमेशा जिम व्यायाम करता था, और बहुत मोटी बुद्धि का था। उसका नाम आप याद रखने के लिये B रख लें।

      मैं उस लड़के को भी जानता था मैने उसका वर्तमान व्यवहार देखना शुरू किया और पाया वह अब हर बात को मोटी बुद्धि से ना सोच कर काफ़ी गंभीरता से सोचने लग गया था और पैसे कमाने के लिए काम काज करने लग गया था, लेकिन इस चक्कर में उसका जिम जाना कम हो गया था और उसकी बॉडी फिटनेस पहले मुक़ाबले कम हो गई थी।

       अब आप इसका अर्थ समझें :

   जब दोनों लड़कों के साथ बीच में एक लड़की दोनों के साथ एक दूसरे की जानकारी के बिना सबन्ध में थी तो उस लड़की के माध्यम से उन दोनों लड़कों के बीच मानसिक ऊर्जा का आदान प्रदान हुआ।

    जो गुणA के पास ज़्यादा थे वे B में गए और B के गुण A में।

तभी यजुर्वेद में लिखा है :

यथा पिंडे यथा ब्रह्मांडे। 

   जो नियम विज्ञान के बाहरी संसार में लागू होते है वही सारे नियम हमारी मानसिक ऊर्जा के मामले में भी लागू होते हैं।

  इसलिए जब भी जीवन में कोई बड़ा परिवर्तन आता है तो इसका अर्थ कहीं ना कहीं इसी तरह से कोई मानसिक ऊर्जा का लेन देन हो रहा होता है चाहे आपको मालूम हो या नहीं।

      इलीट क्लास के लोग जाने अनजाने में अपनी कमियों को पूरा करने में इस विधि का भरपूर इस्तेमाल करते हैं , लेकिन खोखली आदर्शवादी मिडल क्लास की सोच के लोग यदि अनजाने में भी उनके जीवन में इस प्रकार की घटनाएँ हो जाये तो इससे डिप्रेशन, अग्रेशन का शिकार हो जाते हैं और लड़ाई झगड़े करते रहते हैं।     

     इसलिए कहते हैं ज्ञान का इस्तेमाल भी किया जा सकता है और इसका बुरा प्रभाव भी हो सकता है।

  अब यदि बंदर के हाथ में नारियल आ जाये तो वह उससे अपना सिर ही फोड़ सकता है।

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