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तिरंगा अभियान का “तिरंगे की विरासत” से कुछ लेना-देना नहीं

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मुनेश त्यागी 

     आजकल हिंदुस्तान में तिरंगा अभियान का डंका बज रहा है। मोदी सरकार का आवाहन है कि वह अपने तिरंगा अभियान के तहत भारत के 24 करोड़ घरों में तिरंगा फहराने की कोशिश करेगी। उनकी पार्टी के सारे लोग और आरएसएस की विचारधारा में यकीन रखने वाले तमाम संगठन इस अभियान में लगे हुए हैं। सरकारी अमला भी इस अभियान में लगा दिया गया है और इस अभियान को “तिरंगा अभियान” का नाम दिया गया है।

    हमें यह जानकारी करनी चाहिए कि इस तिरंगा अभियान का आखिर इतने बड़े पैमाने पर मनाने का औचित्य क्या है? यह सही है कि तिरंगा हमारी आन बान शान है। इस तिरंगे को कायम करने के लिए हमारे हजारों लाखों बलिदानियों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति दी थी। लाखों लोग जेल गए थे। लाखों लोगों ने दूसरे कष्ट सहे थे, बहुत सारी कुर्बानियां दी थी, बलिदान किए थे और वे एक निश्चित विचारधारा के तहत भारत के तिरंगे झंडे को अपनाने में सफल हुए थे।

     यहां पर यह जानना जरूरी है कि आखिर भारत के तिरंगे की विरासत क्या थी? राष्ट्रीय झंडा घोषित करने के पीछे एक सोच थी, एक विचारधारा थी। बहुत सारे सिद्धांत तिरंगे की विचारधारा के तहत भारत के लोगों ने अपनाते थे, तो उसके पीछे बहुत सारे कारण थे जैसे भारत में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक आजादी की स्थापना करना और इन्हें सारी जनता को मुहैया कराना। इस झंडे की विरासत में संविधान के तहत सबको शिक्षा, सबको आधुनिक शिक्षा, सब को आधुनिकतम और मुफ्त इलाज, हर एक हाथ को काम।

    हर एक आदमी को घर देना, आवास की सुविधाएं प्रदान करना, हर एक भारतीय को हजारों साल के अन्याय शोषण जुल्म गुलामी दास्तां पराधीनता से मुक्ति दिलाना और उन्हें एक आजाद इंसान की तरह रहना सिखाना। तिरंगे की अगली विरासत थी, भारत में हजारों साल से चली आ रही बेरोजगारी और अर्ध्द बेरोजगारी को खत्म करना और हर एक हाथ को काम देना, यानी सबको अनिवार्य है रोजगार मुहैया कराना।

     तिरंगे की अगली विरासत थी कि आर्थिक रूप से सारे भारतीयों में समानता कायम करना और उन्हें अपने पैरों पर खड़े होना सिखाना और भारतीय समाज से आर्थिक गैर बराबरी को खत्म करना और सब को आर्थिक रूप से आजाद करना यानी सब को काम देना, सब को रोजगार देना, सबको अपने पैरों पर खड़ा करना। तिरंगे की अगली विरासत थी भारत में हजारों साल से चले आ रहे अंधविश्वास, धर्मांधता, कूपमण्डूकता, फूहड़ता और अज्ञानता के साम्राज्य का विनाश करना, इन को जड़ से उखाड़ देना और इनके स्थान पर ज्ञान विज्ञान का साम्राज्य कायम करना, वैज्ञानिक संस्कृति को जनता  के जीवन का अहम हिस्सा बनाना और उसमें ज्ञान विज्ञान और वैज्ञानिक संस्कृति का प्रचार प्रसार करना और उनकी सोच और विचारधारा को वैज्ञानिकता प्रदान करना।

     इसके अलावा तिरंगे की विरासत थी कि समाज में हजारों साल से फैली बेईमानी, भ्रष्टाचार, मक्कारी, छल कपट को खत्म करना। तिरंगे की अगली विरासत थी कि भारत के सभी लोगों में, सभी धर्मों में, सभी जातियों में भाईचारा और एकता कायम करना, सभी लोगों में भारतीयता की भावना को पैदा करना और इसका विस्तार करना। तिरंगे झंडे की अगली विरासत थी कि भारतीय समाज में हजारों साल से फैली ऊंच-नीच और छोटे बड़े की सोच और मानसिकता को खत्म करना और सारे भारतीयों के अंदर आपसी सामंजस, सामाजिक सौहार्द और भाईचारे की भावना से परिपूर्ण वातावरण पैदा करना और सारे भारतीयों में इसी सोच को पैदा करना।

     तिरंगे की अगली विरासत थी कि भारत से लुटेरे साम्राज्यवाद का पूर्ण रूप से खात्मा कर देना और भारत को अपने पैरों पर खड़ा करना भारत में आधुनिक संसाधनों का प्रचार प्रसार करना, उनका विस्तार करना और सरकारी उद्योग धंधे स्थापित करना, सरकारी पब्लिक सेक्टर कायम करना और आजादी के बाद यह सब किया भी गया। भारत में सड़कों का जाल बिछाया गया। रेल मार्गों का जाल बिछाया गया। भारत में गांव गांव में स्कूल खोले गए। भारत में जनता का सस्ता और सुलभ न्याय करने के लिए जिला स्तर कर न्यायालय कायम किए गए।

    तिरंगे झंडे की अगली विरासत थी कि सरकारी अस्पताल खोले गए और उनका एक जाल बिछाया गया और इस सुविधा को ब्लॉक स्तर पर ले जाया गया। तिरंगे झंडे की अगली विरासत थी गांव गांव में स्कूल खोलना और जनता को मुफ्त और अनिवार्य आधुनिकतम शिक्षा प्रदान करना। तिरंगे झंडे की अगली विरासत थी कि धर्म को राजनीति से अलग अलग करना और धर्मनिरपेक्षता को भारत का मूलभूत सिद्धांत बनाना तिरंगे झंडे की अगली विरासत थी कि भारत में जनवाद कायम करना, जनता को वोट का अधिकार देना और समाज में शोषण जुल्म अन्याय भ्रष्टाचार और प्राकृतिक संसाधनों का पूरी जनता के लिए इस्तेमाल करने के लिए समाजवादी व्यवस्था कायम करना और जनता को, किसानों और मजदूरों को अपना भाग विधाता बनाना। इस प्रकार भारतीय तिरंगे की एक बहुत बड़ी विरासत है जिसे हम किसी भी कीमत पर भूल नहीं सकते और उसके मान सम्मान का उसके इस्तेमाल का उसके अपमान का ध्यान रखना और किसी भी हालत में उसकी विरासत को आंखों से ओझल न होने देना।

     मगर पिछले 30 साल से और मुख्य रूप से पिछले 8 साल से झंडे की विरासत के साथ सबसे बड़ा धोखा किया गया है। आज हमारे देश में दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब हैं, सबसे ज्यादा लोग कुपोषण का शिकार लोग हैं, सबसे ज्यादा लोग अनपढ़ हैं, सबसे ज्यादा लोग बीमार हैं, लोगों के पास काम नहीं है, रोजगार नहीं हैं, उनके रोजगार छीने जा रहे हैं। हमारे देश में 5 करोड मुकदमों का पहाड़ खड़ा हो गया है, सरकार के पास इन मुकदमों को निपटाने की कोई योजना नहीं है। जनता को सस्ता और सुलभ न्याय प्रदान करना उसके एजेंडे में नहीं है।

      भारत की जनता को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है और शिक्षा को पाने के लिए करोड़ों लोगों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया गया है। आज शिक्षा 80 करोड़ गरीब लोगों की पहुंच के बाहर हो गई है। हमारे देश में और समाज में धर्मांधता, अंधविश्वास और अज्ञानता के साम्राज्य खड़े हो गए हैं। वैज्ञानिक संस्कृति को धूल चटाई जा रही है और सरकार और उसके अधिकांश मंत्री गण, इन अवैज्ञानिक बातों का प्रचार प्रसार करने में सबसे बड़ी भूमिका निभा रही है और इन्हें रोकने का कोई प्रयास सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है।

    हमारे देश में साम्राज्यवादी नीतियों को फिर से लागू करने की मुहिम के तहत भारत के जनवाद, धर्मनिरपेक्षता, गणतंत्र और समाजवाद के सिद्धांतों पर सबसे बड़ा हमला किया जा रहा है। मोदी सरकार बडी ही बेरहमी के साथ सरकारी संपत्तियों को कोड़ियों के दाम अपने चंद पूंजीपति मित्रों को बेच रही है। उसने भारत के पूंजीपतियों द्वारा बैंकों से लिए गए 10 लाख करोड़ के ऋण माफ कर दिये हैं और भारत के अधिकांश बैंकों को लंगड़ा लूला बना दिया है। वह जनता पर नए नए तरीके के टेक्स थोप रही है। यह भी एक हकीकत है कि सरकार की नीतियों के कारण 85% परिवारों की मासिक आम आदमी कम हुई है।

     संवैधानिक संस्थाओं पर हमला करके उन्हें सरकार द्वारा अपना गुलाम बनाया जा रहा है। मीडिया जिसे चौथा स्तंभ कहा जाता है वह पूंजीपतियों का जेबी संगठन बन गया है। अब उसे जनता की समस्याओं से, उसके दुख दर्द से, उसकी परेशानियों से कुछ लेना-देना नहीं है। अधिकांश मीडिया पूंजीपतियों के हितों को आगे बढ़ाने में लगा हुआ है, जनता को गुमराह कर रहा है उसे अज्ञानी और अंधविश्वासी बना रहा है और झूठ के ढोल पीट रहा है।

    पिछले 8 वर्षों में मोदी सरकार ने किसानों की किसी भी समस्या का हल नहीं किया है। उल्टे उसने 3 किसान विरोधी कानून लाकर किसानों को उनकी जमीन से बेदखल करने और दूसरे हमले किए हैं। किसानों को आज तक भी उनकी फसलों का वाजिब दाम नहीं दिया जा रहा है। सरकार की किसान विरोधी नीतियों की वजह से कृषि किसानी एक घाटे का सौदा बन गई है। इसी क्रम में सरकार ने इस देश के पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए, मजदूरों के हितों में बनाए गए तमाम श्रम कानूनों को वापस ले लिया है अस्थाई नौकरियां खत्म कर दी है, पेंशन का अधिकार छीन लिया है और लगभग सारी सेवाओं को ठेकेदारी के अधीन कर दिया है और अब चार श्रम संहिताऐं लाकर मजदूरों को आधुनिक गुलाम बना दिया है। ये सब किसान मजदूर विरोधी नीतियां, तिरंगे झंडे की विरासत के बिलकुल खिलाफ हैं।

   पिछले 8 सालों में हमने देखा है की सरकार जनता में हिंदू मुसलमान के नाम पर नफरत का जहर फैला रही है। लोगों का हिंदू मुसलमान के नाम पर आपसी भाईचारा खत्म करना चाहती है। और समाज में वैमनस्य फैलाना चाहती है और अपने इस अभियान के तहत सत्ता में बना रहना चाहती है। इस तिरंगे झंडे की अभियान के तहत सरकार अपनी पिछली पिछले 8 वर्ष की नाकामियों को छुपाना चाहती है और सरकार देश में एक झूठा और बनावटी राष्ट्रप्रेम पैदा करने की कोशिश की रही है। वह तिरंगे के अभियान के तहत जनता को, सरकार की नाकामियों पर पर्दा डाल कर, चर्चा करने से दूर रखना चाहती है।

    उपरोक्त तथ्यों की रोशनी में, हम पूरे इत्मीनान के साथ कह सकते हैं कि सरकार अपनी जन विरोधी नीतियों के तहत जनता को बहकाना चाहती है, अपनी नाकामियों पर पर्दा डालना चाहती है। उसके तिरंगा अभियान का, तिरंगे की विरासत से कोई लेना देना नहीं है। वह एकदम जनता की नजरों में धूल झोंक रही है। जनता को सरकार की इन जनविरोधी और तिरंगे की विरासत विरोधी नीतियों से, बहुत-बहुत जागरूक रहने की जरूरत है।

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