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प्रधान जी की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें नहीं बुला रहे हैं ट्रम्प

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विष्णु नागर

क्या बनने जा रहे हैं, अकड़ के भुट्टा हुए जा ग्रहे हैं। सुना है कि 20 जनवरी को शपथग्रहण समारोह में हमारे प्रधान जी की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें नाहीं बुला रहे हैं, जबकि बेचारे ने वाशिंगटन जाने के लिए 20 जनवरी के आसपास की सभी तारीखें आज तक खाली रखी हैं। सोचा था, मेरा जिगरी यार है. किसी और को बुलाए न बुलाए, मुझे तो जरूर बुलाएगा। इसी प्रत्याशा में बद‌या सा सूट सिलवा रखा था और बधाई देनेवालों में हमारे प्रधान जी बहुत आगे थे। उन्होंने विदेश सचिव को अमेरिका भेजा कि जा भैया, निमंत्रण पत्र का जुगाड़ लगा। अपने पास अपनी छवि चमकाने के अलावा कोई काम है नहीं। नहीं बुलाए जाएंगे तो छवि खराब हो जाएगी। सोचा था कि बंदा नफीस अंग्रेजी में गिटपिट करके काम बना आएगा मगर वह खाली हाथ

लौट आया। फिर अपने सबसे भरोसेमंद विदेश मंत्री को भेजा। जा भाई तू जाकर देख और सुन, किसी भी कीमत पर इनविटेशन कार्ड लेकर आना करना चाहीं रह जाना। यहां आने की जरूरत नहीं। यो भी बेचारे पांच दिन टहल कर खाली हाथ लौट आए। ट्रंप जी से तो खोर मिल ही नहीं पाए सुना कि उनके आसपास जी भी हैं, जो भी आमंत्रण पत्र दे सकते हैं, उन्होंने भी उन्हें भाव नहीं दिया। मिलने नहीं बुलाया। विश्च गुरु का ऐसा अपमान, नहीं सहेगा, हिंदुस्तान। ट्रंप जी आप जानते नहीं, अगर विश्वगुरु ने अपनी शिखा खोल दी तो लेने के देने पड़ जाएंगे। इधर उधर भागते नज़र आओगे। यह प्राचीन देश भारत है। आपके देश का इतिहास कुल दो सी साल का है और विश्व गुरु का इतिहास सतयुग,

त्रेतायुग का लाखों साल का है और अभी कलयुग चल रहा है दुनिया आग का गोला थी, आदमी तो आदमी प्रकृति तक नहीं थी, तब का इतिहास है हमारा। आपने चीन के राष्ट्रपति जिन पिंग को तो धूम-बड़ाके से दिसंबर के दूसरे सप्ताह में ही निमंत्रण दे दिया पर नतीजा क्या निकला? उन्होंने ठुकरा दिया, आपकी इज्जत का कचरा कर दिया और चीन से निबटने के लिए एशिया में जिस

देश को ठेकेदारी दे रखी है, उसे पूछा तक नहीं। मालूम नहीं था कि आप भी प्रधान जी जैसे हो! एक घटिया को दूसरे घटिया के साथ ऐसा व्यवहार करना शोभा नहीं देता। पिछले सितंबर में हमारे प्रधान जी आपके देश आए थे ती आपको उम्मीद थी कि पिछली चार की तरह इस बार भी ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का नारा देकर जाएंगे। वह उस्तादी कर गए तो आपने भी उनके साथ उस्तादी कर दी। आप बुरा मान गए। ट्रंप जी आपको मालूम है कि प्रधान जी को उनके देश में उनके विरोधी ‘पनीती’ कहते हैं। मतलब ऐसा आदमी जिस भी काम में हाथ डालता है, उसका बंटाधार हो जाता है। अयोध्या में उन्होंने वोट के लिए राममंदिर बनवाया तो वहां से लोकसभा का चुनाव हार गए। चार सौ पार का दावा किया तो दो सौ चालीस पर जाकर अटक गए। ती वे ती आपका भला सोचकर ही इस बार नाग देने

नहीं आए थे। नारा देते और आप हार जाते तो आपका ही बुरा होता! पर खखैर प्रधान जो अब आपकी असलियत पहचान गए हैं। अरे आप वो ही हो न, जिसे हमारे प्रधान जी ने ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में बुलाया था और पचास हजार भारतीयों के बीच’ ‘अब की बार…’ वाला नारा लगाया था। भूल गए? आप वही हो न, जिसे कोरोना का खतरा उठाते हुए भी हमारे प्रधान जी ने एक लाख लोगों की भीड़ के सामने अहमदाबाद के सबसे बड़े स्टेडियम में आपका सम्मान ‘नमस्ते ट्रंप’ नाम से करवाया था। यह भी भूल गए। यह तो एहसास फरामोशी है। और दूसरी तरफ हमारे प्रधान जी हैं, जिस व्यापारी ने अपना हवाई जहाज 2014 में चुनाव प्रचार के लिए उन्हें मुफ्त दिया था, उसका एहसान आज तक चुका रहे हैं और जब तक इस पद पर हैं, चुकाते रहेंगे। सीखो उनसे कुछ।

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