भारत में कई मशहूर सुन्दर हिल स्टेशन और जगहें हैं जहां लोग घूमने के लिए और छुट्टियां बिताने जाते हैं। इस लेख के माध्यम से आज हम आपको देश के अलग अलग राज्यों में मौजूद छुपे हुए टूरिस्ट डेस्टिनेशन के बारे में बताने जा रहे हैं। ये सभी आकर्षक जगहें, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, और उत्तराखंड में स्तिथ हैं। इन राज्यों में मौजूद शीर्ष और अनदेखे पर्यटन स्थलों के बारे में शायद बहुत कम लोग जानते हैं।
जवाई, राजस्थान
राजस्थान तो वैसे पहाड़ों, ऐतिहासिक किलों और रेगिस्तान के लिए मशहूर है। लेकिन राज्य में एक ऐसी लोगों से अनदेखी जगह है जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं। और यह जगह पाली जिले में स्थित है जिसका नाम है ‘ जवाई’ . यह जगह कई तेंदुओं और अलग अलग प्रजातियों और पशु-पक्षियों का घर है। साथ ही यहां पर पाली जिले के सुमेरपुर शहर के पास ‘जवाई डैम’ बना हुआ है और इस डैम का निर्माण जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया था। और जवाई में घास के मैदान, लूनी नदी के किनारों और विशाल पहाड़ियां और घाटियां है जो इस जगह को और भी आकर्षक बनाती हैं। इसके साथ ही जवाई मे स्थित बेरा गाँव कि पहाड़ियों को पैंथर हिल्स या ‘लैपर्ड हिल्स ऑफ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता है ।
जवाई वैसे तो आप कभी भी जा सकते हैं लेकिन अक्टूबर से फरवरी तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है क्यूंकि, इस समय तेंदुए बड़ी संख्या में पहाड़ियों के ऊपर धुप सेंकने के लिए गुफाओं से बाहर आते हैं और इनको देखना अपने आप में एक रोमांचकारी एहसास होता है।
चैल, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश हिल स्टेशन, बर्फीली पहाड़ियों और घाटियों के लिए पहले से मशहूर है। लेकिन यहां पर सोलन जिले में स्थित एक हिल स्टेशन है जिसका नाम है चैल (Chail). इस हिल स्टेशन का प्राकृतिक माहौल और यहां की ख़ूबसूरती आपका मन मोह लेगी। साथ ही यहां पर विश्व का सबसे ऊँचा क्रिकेट मैदान और पोलो मैदान है जो 2,444 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां पर आप चैल पैलेस को भी देख सकते हैं जो इस हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण है। वर्तमान में यह पैलेस को हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है और आप चाहें तो इस पैलेस के शाही अनुभव का आनंद ले सकते है।
चैल घूमने के लिए सबसे अच्छा मौसम मार्च और मई के महीने के बीच होता है क्यूंकि इस समय यहां पर सर्दी होती है। क्यूंकि गर्मियों के मौसम में यहाँ पर सर्दी का मौसम होता है। चैल आप सड़क, रेल और हवाई मार्ग से भी जा सकते हैं।
कुर्नूल, आंध्र प्रदेश
कुर्नूल, आंध्रप्रदेश का एक बड़ा शहर है जो तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा है। कुर्नूल एक प्राचीन ऐतिहासिक शहर है जो 2,000 से अधिक वर्षों से अस्तित्व में है। इसे रायलसीमा का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है, क्योंकि अगर आप हैदराबाद से कड़प्पा चित्तौर या अनंतपुर जाना चाहें तो आपको कुर्नूल से होकर ही जाना होगा। कुर्नूल ने अपना नाम तेलुगु शब्द कंदनवोलु से लिया है जिसका अर्थ है “ग्रीस का शहर।” कुर्नूल में पुरापाषाण युग के चित्रों के साथ-साथ बहुत सारे प्राचीन किले, गुफाएँ, उद्यान और मंदिर हैं।
यहाँ पर रोलापाडु वाइल्डलाइफ सैन्चुरी मौजूद है जो 614 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। यह सैन्चुरी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन जैसी कुछ दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है और अगर आप पक्षियों को देखने के शौक़ीन है तो यह जगह आपके लिए बेस्ट है।
इसके साथ ही अगर आप भारत की सबसे बड़ी गुफा में जाना चाहते हैं तो यह मौका आपको यहाँ मौजूद ‘बेलम गुफा’ में मिल जाएगा। यहाँ के बड़े रास्ते, गलियों और आड़ी-तिरछी बड़ी बड़ी गुफाएं यहाँ का आकर्षण है।
कुर्नूल, किले के रूप में भी जाना जाता है, कोंडा रेड्डी किला एक ऐतिहासिक स्मारक है जिसका निर्माण विजयनगर साम्राज्य के दौरान किया गया था और यह 12वीं शताब्दी का है। किले में एक वाचटावर भी है जहाँ से आपको शानदार मनमोहक नजारा देखने को मिलेगा।
तुरा, मेघालय
मेघालय के सबसे बड़े शहरों में से एक, तुरा गारो पहाड़ियों की तुरा रेंज की तलहटी में स्थित है। तुरा एक घाटी क्षेत्र है जो तुरा पहाड़ियों की तलहटी में तुरा शिखर के ठीक नीचे बसा है। तुरा, गुवाहाटी से 220 किलोमीटर दूर स्थित है और पश्चिम गारो हिल्स जिले का मुख्यालय भी है। यहां भरपूर हरियाली एवं छोटी छोटी नदियां-नाले प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। यहां की प्रधान भाषाएं गारो, हैजोंग एवं अंग्रेज़ी हैं।
तुरा पीक समुद्र तल से लगभग 872 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, तुरा पीक हरे-भरे प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है जो आपको बस मंत्रमुग्ध कर देगा। इस क्षेत्र में एक आरक्षित वन भी है जहाँ आप जीवन भर के कुछ मज़ेदार और रहस्यमयी कारनामों का आनंद ले सकते हैं।
तुरा उन लोगों के लिए सबसे बढ़िया जगह है जो गारो हिल्स में रोमांचक गतिविधियों करना चाहते हैं। वांगला मौसम के दौरान, आसनांग (Asanang) में 100 ड्रम महोत्सव (100 Drums Festival) संस्कृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान है और तुरा मेघालय के प्राकृतिक रत्नों में से एक नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान (Nokrek National Park) के करीब भी है। समुदाय द्वारा संचालित चंडीग्रे विलेज रिज़ॉर्ट (Chandigre Village Resort) आपको आदिवासी जीवन के प्रतिनिधित्व के साथ – वास्तुकला से लेकर भोजन तक लुभाएगा। तुरा चोटी तक ट्रेक और पास के गिब्बन सैंक्चुअरी की यात्रा के अलावा, आप तुरा में गारोस के विशिष्ट व्यंजनों का भी आनंद ले सकते हैं।
तुरा देश के अन्य शहरों से अच्छी तरह से बनाए गए सड़क नेटवर्क के माध्यम से आस-पास के क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है। नियमित रूप से चलने वाली बसें और टैक्सियाँ हैं जो तुरा को सिलचर, कोहिमा, अगरतला, शिलांग और अन्य शहरों से जोड़ती हैं, तो तुरा आना जाना बेहद आसान है।
कनातल, उत्तराखंड
कनातल, उत्तराखंड का एक छोटा सा गाँव है जो उत्तराखंड के टेहरी गढवाल जिले में चंबा मसूरी हाइवे (महामार्ग) पर स्थित है। यह एक बहुत खूबसूरत और शान्त वातावरण वाला हिल स्टेशन है जो समुद्र तल से 8500 फीट और (2590 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। कनातल, हरे भरे वातावरण से घिरा हुआ है, और बर्फ के बड़े बड़े पहाड़, नदियां और घने जंगल इस जगह का आकर्षण है। कनातल से आप पवित्र बद्रीनाथ पर्वतमाला को भी देख सकते हैं। इसके साथ ही अगर आपको हाइकिंग और ट्रेकिंग करना पसंद है तो यह जगह आपके लिए अनुकूल है। कानाताल में एक वॉच टॉवर भी है जहां से आप उत्तराखंड के कई सारे प्रसिद्ध पहाड़ों की चोटियों को भी देख सकते हैं। यहां से आप बंदर पुच पीक भी साफ़ देख सकते हैं जो हिमालय की खूबसूरत पीक में से एक है।
कानाताल जाने का सबसे अच्छा समय है जून से मार्च इस समय यहां का मौसम बहुत सुखद और साफ़ रहता है। इस मौसम में आपको कानाताल से हिमालय की चोटी का दृश्य बहुत शानदार दिखाई देता है।
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