(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
धनखड़ साहब गलत थोड़े ही कहेंगे। वह भी गौतम बुद्ध के नाम वाली यूनिवर्सिटी के डिग्रीधारी स्टूडेंट्स के बीच। यूपी है ही नंबर वन। यानी पहले की नहीं कहते, धनखड़ साहब ने भी पहले की नहीं कही है, पर योगी जी की यूपी तो हर लिहाज से नंबर वन है। आखिर, दो-दो इंजन धकेल रहे हैं — एक तरफ से मोदी जी, दूसरी तरफ से योगी जी।
यकीन न हो तो नंबर वन की बात राष्ट्रीय महिला आयोग से ही पूछ लो। उसे मोदी जी ने बनाया जरूर है, पर है एकदम स्वतंत्र। न किसी के लेने में और न देने में। उसने भी कहा है कि गुजरे साल में महिलाओं के खिलाफ अपराध की शिकायतों में यूपी देश भर में नंबर वन पर था। और नंबर वन भी कोई खींच तान के नहीं था, बड़ी शान से था। बाकी सारे देश के हिस्से में कुल 45 फीसद शिकायतें और अकेले यूपी के हिस्से में पूरी 55 फीसद। पूरा देश एक पलड़े में और योगी जी का यूपी एक पलड़े में; फिर भी यूपी का पलड़ा भारी!
और यूपी के नंबर वन होने का सच सिर्फ राष्ट्रीय महिला आयोग के ही सिर चढ़कर नहीं बोल रहा है। यही सच राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर भी चढ़कर बोल रहा है। अब इस ब्यूरो के आंकड़े तो सीधे सरकारी आंकड़े हैं। सरकारी अपराध रिकार्ड ब्यूरो तो जो भी बोलेगा, सच ही बोलेगा, सच के सिवा कुछ नहीं बोलेगा। और सरकारी अपराध रिकार्ड ब्यूरो चीख-चीखकर बोल रहा है कि यूपी, महिलाओं के खिलाफ अपराध में देश भर में नंबर वन है। और नंबर वन भी कोई तुक्के से नहीं हो गया है कि कभी है, कभी नहीं है। यूपी नंबर वन पर मजबूती से डटा हुआ है। 2020 में भी पहले नंबर पर था। उसके अगले साल भी पहले नंबर पर रहा। उसके अगले साल भी पहले नंबर पर ही जमा हुआ था। कहना चाहिए कि यूपी की आदत सी हो गयी है, नंबर वन पर रहने की। और ऐसा भी नहीं है कि नंबर वन पर पहुंचने के बाद भी वह संतुष्ट होकर बैठ जाए। 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराध पचास हजार से करीब छ: सौ नीचे थे, तो अगले साल डबल इंजन ने कड़ी मेहनत से, छप्पन हजार से ऊपर पहुंचा दिया। और 2022 में डबल इंजन ने और जोर लगाया, तो आंकड़ा सीधे छलांग लगाकर पैंसठ हजार से भी ऊपर पहुंच गया।
पर इससे कोई यह नहीं समझे कि सिर्फ महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में ही यूपी नंबर वन है। बिल्कुल नहीं। दलितों के खिलाफ अपराध के मामले में भी योगी जी का यूपी ही नंबर वन है। नंबर वन है और लगातार तरक्की कर रहा है। 2020 में 12 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे, तो 2021 में यह आंकड़ा 13 हजार से ऊपर चला गया और 2022 में तेजी से बढक़र पंद्रह हजार से ऊपर। अपराध रिकार्ड ब्यूरो ने ही तस्दीक की है कि देश भर में दर्ज हुए दलितों पर अपराध के मामलों में, हरेक चौथा मामला योगी जी के यूपी ने ही दिया है।
और ये नंबर वन, महिलाओं और दलितों को औकात में रखने की कार्रवाइयों तक भी सीमित नहीं है। बाद-बाकी वालों के मामले में भी यूपी किसी से पीछे नहीं है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो ने कुल मिलाकर अपराध के मामले में यूपी के नंबर वन पर होने की तस्दीक की है। मानते हैं कि यूपी कोई हमेशा से इसमें पहले नंबर पर नहीं था। और तो और, योगी जी के राज के शुरू के सालों तक में पहले नंबर से दूर था। 2020 में तो तीन-तीन अन्य राज्यों के पीछे, चौथे नंबर पर था। पर मोदी जी-योगी जी के डबल इंजन राज ने ऐसा जोर लगाया कि अगले साल, यूपी नंबर टू हो गया। उसके बाद, डबल इंजन ने और जोर लगाया और 2022 में यूपी को नंबर वन बना दिया।
जाहिर है कि मर्डर के मामलों में यूपी ही नंबर वन है। अपहरण, अगवा करने वगैरह जैसे दूसरे वीरतापूर्ण मामलों में भी यूपी ही नंबर वन है। बस चोरी-चकारी जैसे दब-छुपकर करने किए जाने वाले करतबों के मामले में ही, यूपी दूसरे नंबर पर रहने का तैयार हो गया और उसने कृपा कर के महाराष्ट्र को नंबर वन हो जाने दिया है — कि जा सिमरन, तू भी जी ले अपनी जिंदगी!
और हां! यह भी याद रहे कि यूपी सिर्फ देश के अंदर ही नंबर वन नहीं है। धनखड़ साहब ने बताया है, तो सच ही होगा। आखिरकार, संवैधानिक पद पर हैं और सच की भी क्या मजाल, जो संवैधानिक पद पर बैठे धनखड़ साहब की बात काट दे! वह तो मिमिक्री करने से भी संगीन जुर्म होगा। संवैधानिक पद का अपमान करने का इल्जाम तो सच पर लगेगा ही, किसानों का और जाटों का अपमान करने का भी इल्जाम उसके सिर पर जाएगा। बेचारा सच, इल्जामों का इतना बोझ हर्गिज नहीं झेल पाएगा। यानी न खाता ना बही, धनखड़ साहब कहें, सो सही! और वह सही यह है कि यूपी सिर्फ देश में ही नंबर वन नहीं है, वह तो रोल मॉडल है, रोल मॉडल।
रोल मॉडल भी सिर्फ भारत के लिए यानी लोकल नहीं है, मोदी-योगी के डबल इंजन ने यूपी को ग्लोबल रोल मॉडल बना दिया है। अब तो आलम ये है कि दुनिया में जब कहीं भी कानून व व्यवस्था की समस्या पैदा होती है, लोग समस्या पैदा करने वालों को डराते हैं कि सुधर जाओ, नहीं तो योगी आ जाएगा और बुलडोजर चलवा जाएगा। योगी जी का नाम सुनते ही कानून व व्यवस्था खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है। नंबर वन से पंगा कौन लेगा? पता नहीं क्यों, अब तक मणिपुर में ही यह फार्मूला नहीं आजमाया गया!
और यूपी दुनिया भर में कानून व्यवस्था में रोल मॉडल क्यों नहीं हो? कौन नहीं चाहेगा कानून और व्यवस्था का ऐसा रोल मॉडल, जो टू इन वन हो; रोल मॉडल भी और अपराध में भी नंबर वन। और यह यूपी में ही मुमकिन है। आखिर, राम राज्य भी तो यूपी में ही आ रहा है। जब मोदी जी की उंगली पकड़कर रामलला आएंगे, उनके पीछे-पीछे राम राज्य भी आ ही जाएगा। उसके बाद भी अगर कोई योगी की यूपी के रोल मॉडल होने पर सवाल उठाएगा, सीधे देशद्रोह में रगड़ा जाएगा — राजद्रोह का नाम अब बदल जो गया है!
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक ‘लोक लहर’ के संपादक हैं।)