बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व की नसीहत को ठेंगा*
*सिंधिया ने कहा महाआर्यमान नहीं बनेंगे नेता पर करते रहेंगे नेता-गिरी*
*परिवार वाले फलफूल रहे, आम कार्यकर्ता बिछा रहे बिछातें*
*विजया पाठक, संपादक, जगत विजन*
कई बार लगता है राजनीति में बोला कुछ जाता है और किया कुछ और। ऐसा ही कुछ अब भाजपा नेता उनके पुत्र, पुत्री और परिवारों का बर्ताव में देखने को मिलता है। कैसे इन सबने भाजपा के मुख्य मुद्दा परिवारवाद के इतर अपनी राह चुन ली है वो भी अपने आलाकमान के विचारों के विरुद्ध जाकर। भाजपा ने हमेशा से कांग्रेस के परिवारवाद को लेकर मुद्दा बनाया है, पर अब वो भी इस गंभीर बीमारी के चपेट में आ गई है। कुछ दिन पहले ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने परिवारवाद को लेकर भोपाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं को प्रदेश सरकार के मंत्री के द्वारा अपने भाई और भतीजे को जनपद पंचायत और जिला पंचायत के चुनाव के विषय में नसीहत दी थी। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों का शबाब जोरों पर है और पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किए जा चुके हैं।
मेरे हिसाब से राजनीति में आना ही परिवारवाद नहीं होता, अपने पिता या परिवार की नेतागिरी से व्यापार जमाना या कोई पद हासिल करना भी परिवारवाद की श्रेणी में आता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन को किस हैसियत से क्रिकेट संघ में उपाध्यक्ष बनाया गया, यह जगजाहिर है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान अभी-अभी अमेरिका से करीब-करीब 01 करोड़ की फीस वाली पढ़ाई कर वापस लौटे हैं। उन्होंने राजनीति में आने को लेकर कहा था कि परिवारवाद की बात करे तो दो प्रकार के लोग होते हैं। एक चांदी का चम्मच मुंह में लेकर आते हैं और तुरंत पद लेकर कुछ न कुछ बन जाते हैं। दूसरे मेरी (कार्तिकेय सिंह चौहान) तरह होते हैं। मैं न कोई पद की उम्मीद कर रहा हूं और ना मुझे पार्टी से टिकट चाहिए।
यह भी परिवारवाद का नमूना है, जहां बिना किसी बैकग्राउंड के कैसे सुधामृत जैसी बड़ी कंपनी खड़ी हो गई और तो और इस साल टॉप एंड टाउन की बड़ी हिस्सेदारी भी खरीद ली गई। राजधानी में एक भव्य टेनिस कोर्ट बना लिया। आज सत्ता में बैठे नेता, राजनेता बन गए हैं, जहां राजा बनकर आम लोगों को बेवकूफ बनाने का काम करते हैं। परिवारवाद से इस समय मध्यप्रदेश भाजपा सरकार की पूरी की पूरी कैबिनेट ही लिप्त है। ऊपर दिए तो कुछ उदहारण भर हैं, बस कोई परोक्ष रूप सीधे राजनीति से परिवारवाद की श्रेणी में आता है तो कोई ओबलीगैशन या व्यवसायिक तौर से अपरोक्ष रूप से राजनीति में परिवारवाद स्थापित करता है।
*कमलनाथ ने कांग्रेस को आगामी चुनाव में परिवारवाद से बचने की हिदायत दी*
इस बार पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने परिवारवाद को लेकर आगाह किया है। कमलनाथ का कहना है कि जो प्रत्याशी जिताऊ हो, जिसमें जन की सेवा करने के गुण हों और संघठित होकर चुनाव में जाने लायक है उन्हें टिकिट देने में कोई गुरेज नहीं है।। उनका कहना है कि हमारी पार्टी के लिए निकाय चुनाव सिर्फ हार और जीत का प्रश्न नहीं हैं, बल्कि यह चुनाव हमारे ज़नसेवा के भाव को मूर्त रूप देने का माध्यम मात्र है। हम सुन्दर, सुरक्षित, समर्थ, सुशासित और सुविधाओं से भरपूर शहर देने के संकल्प के साथ आपके समक्ष हैं।
*बीजेपी में हाशिए पर आम कार्यकर्ता*
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब सांसद, विधायक, मंत्री ही पंचायत चुनाव में जेपी नड्डा की वंशवाद को लेकर नसीहत नहीं मान रहे हैं तो फिर नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी वंशवाद की राजनीति से अपनी चुनावी वैतरणी को कैसे पार लगाएगी। प्रदेश के 01 दर्जन से ज्यादा ऐसे मंत्री और विधायक हैं जो अपने बेटा, बहू, बहन, भाई, भाभी, भतीजे को चुनाव जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, तो सालों से संगठन के लिए चप्पल घिस रहे कार्यकर्ताओं को भी चुनाव में अपने नेताओं के परिवार प्रेम की वजह से पसीना आ रहा है। स्थानीय स्तर पर नेताओं के परिजनों का निकाय चुनाव में भाग्य आजमाने पर सामान्य कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं। क्या यह सब नेता अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की बातों का मखौल नहीं उड़ा रहे हैं।
*वन मंत्री के बेटे ने भी दिखाया दम-* प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह के बेटे दिव्यादित्य शाह, खंडवा जिला पंचायत के वार्ड नंबर 14 से भाग्य आजमा रहे हैं। बेटे के चुनावी मैदान में उतरने पर मंत्री विजय शाह ने दो टूक कहा मंत्री का बेटा होना कोई अपराध थोड़े हैं और चुनाव नहीं लड़ेगा तो क्या करेगा।
*मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई हीरा सिंह और अरविंद सिंह राजपूत पंचायत चुनावों में उतरे हैं-* परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई हीरा सिंह और भतीजा अरविंद सिंह राजपूत पंचायत चुनावों में उतरे हैं।
*उमा के भाई की बहू चुनाव लड़ रहीं-* पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भाई की बहू उमिता सिंह पंचायत चुना में अपना भाग्य आजमा रही है। टीकमगढ़ से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही, उमिता सिंह उमा भारती के भतीजे और बीजेपी विधायक राहुल सिंह लोधी की पत्नी हैं, वे जिला पंचायत के वार्ड नंबर 08 से मैदान में हैं। पति राहुल लोधी खरगापुर से विधायक हैं।
*राज्यमंत्री की बहू भी डटी-* राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल की बहू तारा पटेल ने भी सतना जिले से जिला पंचायत सदस्य के लिए नामांकन भरा है, रामखेलावन पटैल की माने तो ये चुनाव पार्टी सिंबल ओर नही है और बहू लड़ रही है तो फायदा पार्टी को ही होगा।
*विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र भतीजे-* विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के पुत्र राहुल गौतम ने रीवा जिला पंचायत के वार्ड 27 से और उनके भतीजे पद्मेश गौतम ने भी इसी वार्ड से नामांकन पत्र भरे हैं। दोनों ही चुनावी मैदान में डटे हुए हैं और अपना सियासी आगाज करने जा रहे हैं
*पूर्व विधायक के IPS पति भी मैदान में-* गुना की चाचौड़ा से बीजेपी विधायक रहीं ममता मीणा और उनके रिटायर IPS पति रघुवीर सिंह मीणा भी चुनावी मैदान मैं अपना भाग्य आजमा रहे हैं। मीणा ने पंचायत चुनाव के माध्यम से सियासत में एंट्री मारी है और चाचौड़ा के वार्ड 16 से पंचायत सदस्य के किस्मत आजमा रहे हैं। पूर्व मंत्री के पुत्र मैदान में- सतना के रेगांव से पूर्व मंत्री जुगल किशोर बागरी के पुत्र पुष्पराज बागरी भी पंचायत चुनाव के मैदान में डटे हुए हैं। वहीं पूर्व मंत्री की बहू वंदना भी मैदान में हैं।
*बीजेपी नेता, पूर्व राज्यपाल की पौत्रवधु मैदान में-* पंचायत चुनाव में एमपी के पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव की पौत्रवधु रोशनी यादव भी चुनावी मैदान अपना भाग्य आजमा रही हैं। यादव निवाड़ी के वार्ड नंबर 06 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं, बीजेपी जिला उपाध्यक्ष भी हैं।
*चुनावी मैदान में डटी विधायक बहनें-* टीकमगढ़ भाजपा विधायक राकेश गिरी की दो बहनें पंचायत चुनाव के मैदान में डटी है। विधायक राकेश गिरी की बहन कामिनी गिरी जनपद पंचायत की अध्यक्ष हैं और दूसरी बार मैदान में उतरी हैं, वार्ड 22 से चुनाव लड़ रही हैं, दूसरी तरफ उनकी बहन रानी गिरी वार्ड 13 से अपना भाग्य आजमा रही है।
*पूर्व कृषि मंत्री कुसमरिया की बहू मैदान में-* सकोर पंचायत से निर्विरोध सरपंच, विरोध में किसी ने पर्चा ही नहीं भरा।
*विधायक अनिल की, पत्नी मैदान में-* निवाड़ी बीजेपी विधायक अनिल जैन की पत्नी निरंजना जैन जनपद पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं। निरंजना निवाड़ी जनपद पंचायत के वार्ड नंबर-5 से भाग्य आजमा रही हैं।
*दो मंत्रियों के भाई भतीजे आमने-सामने-* पंचायत चुनाव में बीजेपी नेताओं के परिजन भी आमने सामने हो रहे हैं। सबसे रोचक तस्वीर सागर जिले की राहतगढ़ से निकल कर सामने आई है। नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह के भतीजे अशोक सिंह और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बड़े भाई जय सिंह राजपूत के बीच मुकाबला सागर में। दोनों क़द्दावर मंत्री इस मामले का हल ढूंढने में लगे हैं।