सनत जैन
भारत की दिग्गज मुक्केबाज और ओलंपिक मेडल विजेता विजेंद्र सिंह ने कहा है, कि भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट कुश्ती के दांव-पेंच जानती हैं। राजनीति और साजिश के दांव-पेंच वह नहीं जानती हैं। जिसके कारण ओलंपिक में जीत कर भी विनेश फोगाट हार गईं हैं। 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण उसे फाइनल में खेलने से रोक दिया गया। विनेश फोगाट को ओलंपिक खेलों से बाहर कर दिया गया। जबकि कुश्ती के 3 मैच लगातार जीतकर उसने फाइनल में जगह बनाई थी।
जिस तरह से उसने तीनों मैच खेले थे। उसके बाद भारत में खुशी और हर्ष की लहर दौड़ गई थी। विनेश फोगाट स्वर्ण पदक लेकर भारत वापस लौटेगी। इसको लेकर देशभर में उत्सव शुरू हो गया था। यही खुशी और उत्सव विनेश फोगाट पर भारी पड़ गई। विनेश फोगाट ने जिस तरह से कुश्ती संघ के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह से यौन शोषण के मामले मे उन्होंने लड़ाई लड़ी थी। सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ने के बाद भी जब सफलता नहीं मिली तो जंतर-मंतर में प्रदर्शन भी किया। सरकार से उसको कोई मदद नहीं मिली। पास्को का अपराध दर्ज होने के बाद भी बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई। नई लोकसभा का जिस दिन उद्घाटन हो रहा था। उस दिन उसे एवं अन्य पहलवानों को दिल्ली की सड़कों पर घसीटा गया। उसके बाद भी उसने लड़ना नहीं छोड़ा। कुश्ती संघ ने पूरी कोशिश की थी, विनेश फोगाट ओलंपिक खेलने नहीं जा पाएं। इसके बाद भी लड़ाकू विनेश फोगाट डटी रही। कुश्ती संघ और सरकार से लड़ती रही।
4 महीने पहले ही उसने कुश्ती संघ द्वारा जिस तरीके की साजिश उसके खिलाफ की जा रही थी, उसको लेकर ट्वीट किया था। मजबूरी के कारण खेल मंत्रालय और कुश्ती संघ को उसको पेरिस ओलंपिक भेजना पड़ा। जिस तरह से उसने तीन मैच जीते। उसको लेकर शायद कुश्ती संघ और सरकार असहज हो गई। फाइनल के पहले विनेश फोगाट को जिस तरह से ओलंपिक में अयोग्य घोषित किया गया है। अब उसके जांच की मांग की जा रही है। विनेश फोगाट के साथ कोच और सपोर्ट स्टाफ भी शामिल था। जब सभी को मालूम था, विनेश फोगाट को फाइनल खेलना है। उसके बाद भी जिस तरीके की लापरवाही की गई। उस लापरवाही को साजिश के रूप में देखा जा रहा है। दिनेश फोगाट का वजन तीन मैच खेलने के बाद 2 किलो करीब बढ़ गया था। उसके खाने-पीने और डाइट पर उसने नियंत्रण रखा था।
पूरी रात वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज करती रही। जब सुबह उसका वजन लिया गया, तो 100 ग्राम ज्यादा था। वजन कम करने के लिए उसे निर्धारित समय नहीं दिया गया। विनेश फोगाट को केवल 15 मिनट का समय दिया गया था। जबकि ओलंपिक में 30 मिनट का समय तय है। भारत से जो अधिकारी पेरिस ओलंपिक में गए थे। उन्होंने भारतीय खिलाड़ी का पक्ष सही तरीके से ओलंपिक में नहीं रखा। जिसके कारण विनेश फोगाट को फाइनल नहीं खेलने दिया गया। उलटे उसे ओलंपिक से बाहर कर दिया। भारतीय खेल संघ के अधिकारी चुपचाप यह सारा तमाशा करते और देखते रहे। ओलंपिक में अयोग्ग हो जाने के कारण उसे जो मैच वह जीत चुकी थी। उसका पुरस्कार भी उसे नहीं मिलेगा। यदि वह फाइनल नहीं खेलती तो भी उसको नियमों के अनुसार रजत पदक तो मिलता ही। कुश्ती संघ के जो पदाधिकारी वहां गए थे।
भारत की ओर से ओलंपिक के लिए जो अधिकारी पेरिस भेजे गए थे। उन सभी ने पूरी तरह से लापरवाही करते हुए विनेश फोगाट को रजत पदक और स्वर्ण पदक से दूर करने मे महत्ती भूमिका का निर्वाह किया है। यह आरोप उन पर लग रहे हैं। संसद में खेल मंत्री ने जिस तरह का जवाब दिया है, उसका भी विरोध देश भर में हो रहा है। विनेश फोगाट के ऊपर खर्च की गईं राशि का ब्योरा उन्होंने दिया। सदन में खिलाड़ी को मदद पहुंचाने के लिए उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा, खेल मंत्री के निराशाजनक जवाब की तीव्र प्रतिक्रिया देश भर में हो रही है। विनेश फोगाट को ओलंपिक में जरूर कोई पदक नहीं मिल पाया। जब वह भारत लौटेंगी, तो युवाओं और खिलाड़ियों के लिए एक प्रतीक और विद्रोह के रूप में वह सामने आएंगी। कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष पर यौन शोषण के आरोप लगाने के बाद जिस तरह से खिलाड़ियों को प्रताड़ित किया गया है।
सरकार ने सांसद बृजभूषण शरण सिंह का बचाव किया है। सरकार की मदद से कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण के चहेते को अध्यक्ष बनाया गया। ओलंपिक की तैयारी के पहले जिस तरह से आंदोलनकारी खिलाड़ियों को प्रताड़ित किया गया। उससे देश में अब गुस्सा देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में विनेश फोगाट को चैंपियनों का चैंपियन बता दिया। भारत का गौरव और प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणास्पद बताया। विनेश को जुझारू होने का प्रतीक बताया। इसके बाद प्रधानमंत्री के इस ट्वीट पर खिलाड़ियों के जख्म में मलहम नहीं लगी। विनेश फोगाट ने खिलाड़ियों और युवाओं में लड़ने की एक नई चेतना पैदा कर दी है। खेल संघों में राजनेताओं के पदाधिकारी बनने और खेलों में राजनीति के खिलाफ एक जंग के रूप में भी इसे देखा जा रहा है।
विनेश फोगाट शंखनाद की मसाल के रूप में सामने होंगी। सोशल मीडिया में जिस तरीके की प्रतिक्रिया आ रही है। उसकी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, कि विनेश फोगाट और अन्य पहलवानों को जब दिल्ली की सड़कों पर घसीटा जा रहा था, ब्रजभूषण शरण सिंह को सरकार जिस तरह से संरक्षण दे रही थी। ओलंपिक में कुश्ती संघ और ओलंपिक के भारतीय पदाधिकारियों की भूमिका थी। उसको लेकर भारत में जबरदस्त गुस्सा सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहा है। इस गुस्से की आग में घी डालने का काम भी सोशल मीडिया में हो रहा है। जहां पर विनेश फोगाट के बारे में तरह-तरह के कमेंट किये जा रहे हैं। इस विवाद की खेल अदालत में अपील की गई है। क्या फैसला आता है, अभी इसका पता नहीं लगा। सभी संदर्भों को एक साथ देखने में, यह कहा जा सकता है। विनेश फोगाट के साथ पेरिस में जो हुआ है। वह सरकार के लिए आगे चलकर एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।