अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

क्रिकेट की विश्वगुरु टीम , वर्षों बाद भारतीयों का सीना एक बार फिर 56 इंच का हुआ

Share

राकेश अचल

एक लम्बे अरसे से न क्रिकेट का खेल देखा और न इसके बारे में लिखा। वैसे भी क्रिकेट के बारे में मेरा ज्ञान लगभग शून्य ही है । एक जमाना था जब जनसत्ता के हमारे सम्पादक स्वर्गीय प्रभाष जोशी ने मुझसे क्रिकेट के ग्वालियर में हुए अनेक अंतर्राष्ट्रीय मैचों का कव्हरेज जबरन कराया था। शनिवार की रात अमेरिका में टी-20 क्रिकेट का फाइनल देख रहे मेरे बेटे ने मुझे एक बार फिर खेल देखने के लिए प्रेरित किया और युगों बाद मैंने न केवल पूरा मैच देखा बल्कि उन स्वर्णिम क्षणों का साक्षी भी बना जो हर हिंदुस्तानी के लिए गौरव के क्षण कहे जा सकते हैं।
दरअसल पिछले अनेक वर्षों से सम-सामयिक विषयों पर लिखते-लिखते मेरी खेलों से रूचि लगभग समाप्त हो गयी थी । खेलों में राजनीति ने भी इसमें अपनी भूमिका निभाई। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड पर थैली शाहों के बेटों को देखकर क्रिकेट के भाग्य पर तरस आता है। आप आश्चर्य करेंगे कि मै अभी तक अपने शहर में बनाये गए नए क्रिकेट स्टेडियम को देखने तक नहीं गया ,क्योंकि हमारे यहां भी क्रिकेट एक परिवार की दासी बनी हुई है। । लेकिन शनिवार की रात मुझे लगा कि हम भले ही राजनीति में विश्व गुरु न बने हों किन्तु क्रिकेट के खेल में तो आज विश्व गुरु हैं ,और इसका श्रेय किसी मोशा की जोड़ी को नहीं बल्कि उन क्रिकेटरों को जाता है जो सचमुच भारत के मान-सम्मान के लिए खेलते हैं।
फाइनल मैच की कमेंट्री पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू कपिलशर्मा शो के जज की ही तरह फुल फार्म में कर रहे थे।चूंकि भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया था इसलिए मुझे भी मैच ने बाँध लिया। एक लम्बे अरसे बाद मुझे चौके और छक्के देखने का रोमांच हुआ। मैच में हालांकि रोहित शर्मा, ऋषभ पंत और सूर्यकुमार यादव इस मैच में बड़ी पारी नहीं खेल सके ,मगर उसके बार विराट कोहली और अक्षर पटेल के बीच 72 रन की साझेदारी ने टीम इंडिया की मैच में वापसी कराई । अक्षर पटेल ने 31 गेंद में 47 रन और विराट कोहली ने 59 गेंद में 76 रन की पारी खेली. शिवम दुबे ने भी 16 गेंद में 27 रन की पारी खेलकर भारत को 176 रन तक पहुंचने में मदद क। नवजोत सिंह का अनुमान था कि भारत 180 रन का लक्ष्य पार कर लेगा लेकिन भारत ये लक्ष्य पाने से 4 कदम पीछे रह गया।
अमूमन रात को 10 बजे सो जाने वाले इस बन्दे ने पूरे साहस के साथ फाइनल मैच देखा। मेरे ख्याल से दक्षिण अफ्रीका के लिए शुरुआत अच्छी नहीं रही क्योंकि रीजा हेंड्रिक्स और कप्तान एडन मार्करम चार-चार रन बनाकर आउट हो गये । लेकिन क्विंटन डी कॉक और ट्रिस्टन स्टब्स ने 68 रन की साझेदारी करके दक्षिण अफ्रीका की मैच में वापसी करवाई बल्कि मैच के रोमांच को भी बनाये रखा । स्टब्स ने 21 गेंद में 31 रन और डी कॉक ने 31 गेंद में 39 रन की पारी खेली । हेनरिक क्लासेन तब बैटिंग के लिए क्रीज़ पर उतरे जब दक्षिण अफ्रीका का स्कोर 3 विकेट पर 70 रन बना लिए थे । क्लासेन ने यहां से ताबड़तोड़ बैटिंग शुरू की और उन्होंने मात्र 23 गेंद में अर्धशतक पूरा किया। उन्होंने 2 चौके और 5 छक्के लगाकर अपना अर्धशतक पूरा कर दिखाया। क्लासेन ने 27 गेंद में 52 रन बनाए। 15वें ओवर में क्लासेन ने अक्षर पटेल के 24 रन बटोरे जहां से मैच पूरी तरह पलटा हुआ नजर आने लगा था। भारत ने गेंदबाजी के दम पर वापसी की वो भी आखिरी 4 ओवरों में
जैसा कि आप सभी ने देखा होगा कि 16 ओवर के बाद दक्षिण अफ्रीका ने 4 विकेट के नुकसान पर 151 रन बना लिए थे। अफ्रीका को आखिरी 4 ओवर में जीत के लिए 26 रन बनाने थे। 17वें ओवर की पहली ही गेंद पर हार्दिक पांड्या ने क्लासेन को आउट कर दिया । अगले 2 ओवरों में सिर्फ 6 रन आए। 19वें ओवर में अर्शदीप सिंह ने केवल 4 रन दिए, जिससे मैच का रुख भारत की ओर हो गया। आखिरी ओवर में हार्दिक पांड्या ने केवल 8 रन देकर भारत की 7 रन से जीत सुनिश्चित की।
पूरे सत्रह साल बाद मिली इस विजय से मुझे एक बार लगा कि जैसे ये एक सपना है ,लेकिन बारबाडोस से लेकर दिल्ली और ग्वालियर में जब आधी रात को जश्न शुरू हुआ तो यकीन करना ही पड़ा कि हम क्रिकेट के विश्व गुरु फिर बन गए हैं। इतना जश्न देश में एनडीए गठबंधन की सरकार के तीसरी बार सत्ता में वापस लौटने के बाद भी शायद नहीं मनाया गया था। दरअसल खेलों में खिलाडी पुरुषार्थ दिखाते हैं। खेलों में अदावत नहीं होती ,प्रतिस्पर्द्धा होती है। खेलों में कोई फैसला संसद की तरह ध्वनिमत से नहीं होता। मै भारतीय क्रिकेट टीम की इस महान उपलब्धि से गदगद हूँ। मै हमेशा ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ की वो हमारे देश की सियासत को अदावत से बचाकर उसमें प्रतिस्पर्द्धा और खेल की भावना भर दे। सियासत में भी नेता अपनी पारी समाप्ति की घोषणा खुद करें । कब्र में पैर लटकने तक कुर्सी से चिपके न रहें । खेलों से सीखें कि नयी पीढ़ी के लिए पुरानी पीढ़ी कैसे रास्ता छोड़ती है ? भारतीय राजनीति को क्रिकेट के विराट कोहली चाहिए रोम के नीरो नहीं पूरी भारतीय टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई ,क्योंकि वर्षों बाद हम भारतीयों का सीना एक बार फिर 56 इंच का हुआ है।

Add comment

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें