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विवेक अग्निहोत्री ने ‘आदिपुरुष’ पर कही यह बात,समझाईं पौराणिक फिल्में बनाने की बारीकियां

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प्रभास, कृति सेनन स्टारर ‘आदिपुरुष’ अपने संवादों और फिल्म में खराब वीएफएक्स के चलते सबके निशाने पर बनी हुई है। फिल्म के कुछ दृश्यों की तुलना हॉलीवुड फिल्मों से भी की जा रही है। लोगों के कटाक्ष….कोर्ट की फटकार…और सेलेब्स की खरी खोटी, ये सब ‘आदिपुरुष’ के मेकर्स को हर रोज सुनने मिल रहे हैं। अब इस बीच हाल ही में, सीबीएफसी बोर्ड के सदस्य और फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने खुलासा किया कि क्या समिति ने ‘आदिपुरुष’ के उन दृश्यों और संवादों पर आपत्ति जताई थी, जो जनता को नाराज कर रहे हैं? इतना ही नहीं निर्देशक ने फिल्म के आसपास हो रहे पूरे विवाद के बारे में भी बात की।

इंडिया.कॉम के साथ हाल ही में एक इंटरव्यू में, ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने खुलासा किया कि ‘आदिपुरुष’ में दर्शकों की भावनाओं को आहत करने वाले दृश्यों और संवादों पर सीबीएफसी समिति ने आपत्ति जताई थी या नहीं। विवेक के अनुसार किसी भी फिल्म को प्रमाणित करने के लिए वे लोग फिल्म नहीं देखते हैं।

विवेक अग्निहोत्री बोले, ‘मैं सीबीएफसी बोर्ड का हिस्सा हूं। हम प्रमाणन के लिए फिल्म नहीं देखते हैं। फिल्म को आम आदमी और महिलाएं देखते हैं। मुझे नहीं पता कि फिल्म का किस स्तर पर क्या हुआ और इसे किसने देखा। मैंने अभी तक फिल्म नहीं देखी है। मैं द वैक्सीन वॉर की शूटिंग में व्यस्त था। मैंने कुछ दिन पहले ही फिल्म पूरी की है। इसलिए, मुझे आदिपुरुष के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। अगर आप मेरे पुराने बयान और कमेंट्स देखेंगे, तो मैं आम तौर पर अन्य फिल्मों के बारे में बात नहीं करता हूं। मैं दूसरों द्वारा बनाई जा रही फिल्मों पर कभी कोई राय नहीं देता, चाहे वह अच्छी हो या बुरी। हालांकि, मैं कहूंगा कि आस्था के मामले काफी संवेदनशील होते हैं।’

विवेक अग्निहोत्री ने आगे ओम राउत की आदिपुरुष से जुड़े विवाद के बारे में बात की और कहा, ‘आस्था की जो चीजें हैं, उसमें हमें बहुत ही जिम्मेदार और संवेदनशील रहना चाहिए। आपकी क्या आस्था है, किसी की क्या आस्था है… जैसे किसी का बच्चा है और मां को लगता है कि मेरा बच्चा दुनिया में सबसे सुंदर है, तो मुझे कोई हक नहीं बोलने का कि वो थोड़ा कम सुंदर है या सुंदर नहीं है। वो मां की आस्था और उसका प्रेम है। प्रेम और आस्था के मामले में सारे लॉजिक फेल हो जाते हैं और उस पर ठेस पहुंचाना, उसको आहत करना अपने आप में पाप है।’

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