अ भा शांति एवं एकजुटता संगठन द्वारा हिरोशिमा-नागासाकी दिवस पर संवाद आयोजित
इंदौर : युद्ध लोक-कल्याण के लिए आवश्यक संसाधनों को सैन्य ख़र्चों और हथियारों के ज़ख़ीरों की तरफ़ मोड़ देता है जो संपूर्ण मानवता के ख़िलाफ़ अपराध है। आज दुनिया में व्याप्त आर्थिक विषमता, बेरोज़गारी, अशिक्षा, चिकित्सा सुविधाओं में कमी, शरणार्थी समस्या, अलगाववादी प्रवृत्तियाँ और जन-विद्रोह संसाधनों के इस दुरुपयोग का ही परिणाम है। आज यह ज़रूरी है कि हम पंचशील और गुट-निरपेक्षता के सिद्धांतों को पुनर्स्थापित करें।
यह बात अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन द्वारा हिरोशिमा-नागासाकी दिवस पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में बोलते हुए वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश उपाध्याय ने कही।
श्री उपाध्याय ने कहा कि आज दुनिया तृतीय विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। रुस और यूक्रेन के बीच दो वर्षों से और मध्यपूर्व में दस माह से जारी युद्धों में परोक्ष या अपरोक्ष रूप से दुनिया के वे तमाम देश शामिल हैं जो किसी पक्ष को सैन्य सहायता उपलब्ध करा रहे हैं अथवा युद्ध का समर्थन कर रहे हैं। इन युद्धों में साम्राज्यवादी देशों और नाटो के सदस्य राष्ट्रों की खुली भूमिका है।
वरिष्ठ पर्यावरणविद ओ पी जोशी ने कहा कि युद्ध में आणविक, जैविक और रासायनिक हथियारों के उपयोग का विनाशकारी प्रभाव प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण पर होता है। इनके उपयोग से ध्वनि प्रदूषण होता है , भूस्खलन की घटनाएँ बढ़ रही हैं । ओज़ोन परत पर फाइटर जेट और विस्फोट के प्रभाव से वर्षा-चक्र प्रभावित होता है और ज़मीन की उत्पादकता कम होती है और फ़ूड-चैन पर विपरीत असर होता है।
विचारक विजय दलाल ने कहा कि वर्तमान समय में तटस्थ राष्ट्रों की भूमिका गौण हो गई है और यह एक वैचारिक और राजनीतिक चूक है।
कर्मचारी कांग्रेस के राहुल निहोरे ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ युद्धों को रोक पाने में निष्प्रभावी हैं और इनकी संरचना एवं भूमिका पर पुनर्विचार होना चाहिए।
महासचिव अरविंद पोरवाल ने कहा कि इन युद्ध के मूल में संसाधनों पर क़ब्ज़े और अपना वर्चस्व क़ायम करने की साम्राज्यवादी सोच और मंसूबे हैं । एक बेहतर , समावेशी दुनिया और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए इस प्रवृत्ति के ख़िलाफ़ जनमत तैयार करना आवश्यक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंटक के वरिष्ठ नेता श्यामसुन्दर यादव ने इस आशय का प्रस्ताव रखा कि रुस- यूक्रेन और मध्यपूर्व में जारी युद्ध पर बातचीत के माध्यम से विराम लगे, संयुक्त राष्ट्र संघ की गरिमा पुनर्स्थापित हो, दुनिया में हथियारों की होड़ बंद हो, विभिन्न देश अपने रक्षा ख़र्चों में तुरंत कटौती करें और उसका आवंटन शिक्षा और चिकित्सा जैसे जनोपयोगी मदों में हो। प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। आभार प्रदर्शन श्रमिक नेता जानकीलाल पटेरिया ने किया।
संवाद में शिवाजी मोहिते, चुन्नीलाल वाधवानी, प्रह्लाद वर्मा, रुद्रपाल यादव, लक्ष्मी नारायण पाठक, हरनामसिंह धारिवाल, जीवन मंडलेचा, शशिकांत गुप्ते, सुशीला यादव, अशोक दुबे, योगेन्द्र महावर, अजय लागू, साजिद अली, मोहम्मद आरिफ़ ख़ान, तलकीन ख़ान, सतीश मरमट, ज़ावेद ख़ान ने भी हिस्सा लिया।
अरविंद पोरवाल, महासचिव, अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन 9425314405