मप्र में जलसंकट सबसे बड़ी समस्या है। प्रदेश की शिवराज सरकार ने पिछले 17 साल में प्रदेश के शहर से लेकर गांवों तक पानी पहुंचाने की लगातार कोशिश की है। लेकिन आज भी प्रदेश के कई क्षेत्रों में गर्मी आते ही जलसंकट विकराल रूप ले लेता है। ऐसे में जब भी चुनाव आते हैं जलसंकट मुद्दा बन जाता है। इस बार के चुनाव में भी जलसंकट मुद्दा बना हुआ है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने वाटर पॉलिटिक्स पर तकरीबन 3000 करोड़ खर्च करने की योजना बनाई है। ताकि विपक्ष को जलसंकट को चुनावी मुद्दा बनाने का अवसर न मिल पाए। यदि मप्र सरकार की कोई एक योजना जो कि सबसे बड़ी योजना है तो वह है जल जीवन मिशन चुनावी वर्ष में मिशन के कामों को जैसे पंख ही लग गए हैं।
गौरतलब है कि जन जीवन मिशन के तहत प्रदेश में हर घर तक नल से जल पहुंचाने का कार्य हो रहा है। जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में मप्र अन्य राज्यों से काफी आगे है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिशा निर्देश पर कार्य को गति देने के लिए प्रदेश में राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन बनाए जाकर उसके अंतर्गत अपेक्स समिति एवं एग्जीक्यूटिव समितियों का गठन किया गया है। भारत सरकार के दिशा निर्देश अनुरूप मिशन के लेन-देन के लिए सिंगल नोडल एकाउंट खोले गए हंै। साथ ही मिशन के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक संस्थाओं के एनपैनलमेंट की कार्रवाई भी की गई है।
मिशन के लिए खोला खजाना
शिवराज सरकार जल जीवन मिशन के कामों को लेकर पूरी तरह चुनावी मोड पर है। सरकार ने इस योजना के लिए खजाना खोल दिया है। इसकी बागनी ये है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने अकेले जून के लिए ही खर्च करने के लिए जो राशि मांगी तो वित्त विभाग ने पूरे 2947 करोड़ 45 लाख रुपए की अनुमति दे दी है। ऐसा संभवत: कम ही होता है कि किसी विभाग को एक साथ एक बार में ही खर्च करने के लिए इतनी बड़ी राशि मिलती हो। मप्र में जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन की गति का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि बुरहानपुर के बाद अब निवाड़ी प्रदेश का दूसरा ऐसा जिला बन गया है, जिसके पास हर घर में नल के पानी का कनेक्शन है। बता दें, वर्ष 2019 में शुरू हुए मिशन में दिसंबर, 2024 तक सवा करोड़ की आबादी तक नल से पानी पहुंचाने का लक्ष्य है। हालांकि राज्य सरकार दिसंबर, 2023 तक ही इसे पूरा करना चाहती है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सरकार अब टुकड़ों में काम कर रही है। अब उन गांवों में सबसे पहले पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है, जहां से जलस्रोत की दूरी 30 किमी या उससे कम है। इसमें एक शर्त भी है कि यह जलस्रोत स्थायी होने चाहिए। इन गांवों में पानी पहुंचाने में करीब एक साल लगेंगे। रीवा, सतना, सीधी, अशोकनगर और देवास जिले के सात ब्लाकों में सौ किमी दूर से पानी लाने के लिए पाइपलाइन बिछाई जा रही है। इस पर सरकार को अन्य परियोजनाओं से ज्यादा राशि खर्च करनी पड़ रही है। इन्हें समूह परियोजनाओं के साथ ही जोड़ा गया है।
कामों की प्रतिदिन मॉनीटरिंग
प्रमुख सचिव पीएचई संजय शुक्ला का कहना है कि मप्र में जल जीवन मिशन के तहत 50 फीसदी से अधिक घरो में नल से पानी पहुंचा दिया गया है। प्रदेश में मिशन के काम तेजी से चल रहे हैं। हमारा प्रयास है कि जल्द से जल्द ग्रामीणों को नल से पानी उपलब्ध हो सके। मिशन के कामों की प्रतिदिन मॉनीटरिंग की जा रही है। 19 जून तक की स्थिति में प्रदेश में 60 लाख 24 हजार 817 ग्रामीण घरों में सरकार ने नल से पानी पहुंचा दिया है। इसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। प्रदेश में लगभग एक करोड़ 20 लाख ग्रामीण घरों में नल से पानी देने की योजना है। इस तरह सरकार ने आधी मंजिल तय कर ली है। ये योजना 15 अगस्त 2019 को लांच की गई थी। तब वर्ष 2024 तक । सभी ग्रामीण घरों में नल से पानी पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया था। मप्र में जून 2020 से मिशन का काम शुरू किया गया है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत अफसरों को टॉस्क दिया है, उसके तहत प्रदेश में नवंबर-दिसंबर 2023 तक कम से कम 80 लाख घरों में नल से पानी पहुंचाने का प्लान तय किया गया है। इस तरह प्रदेश की बड़ी आबादी विधानसभा चुनाव तक नल से पानी की पहुंच के दायरे में शामिल हो जाएगी, वही बाकी बचे कामों को वर्ष 2024 में पूरा कर लिया जाएगा। राज्य सरकार की कोशिश है कि प्रदेश गुजरात के बाद नल से पानी उपलब्ध कराने के मामले में देश के बड़े राज्यों में कम से कम दूसरे नंबर पर रहे। पहले पर तो गुजरात बना हुआ है।
50 प्रतिशत घरों में कनेक्शन
23 जिलों में योजनाओं का काम तेजी से चल रहा है। इनमें 50 प्रतिशत घरों तक पानी पहुंच गया है। जबकि इंदौर, बुरहानपुर और निवाड़ी में 80 प्रतिशत से ज्यादा घरों में नल कनेक्शन किए जा चुके हैं, लेकिन इन गांवों में 30 से 40 प्रतिशत कनेक्शन ही सत्यापित हो पाए हैं। वहीं 12 जिले योजना में पीछे हैं। इनमें 40 प्रतिशत से कम घरों में कनेक्शन हो पाए हैं। पन्ना, सतना, सिंगरौली, छतरपुर और भिंड जिले में 30 प्रतिशत घरों में भी पानी नहीं पहुंच पाया है। इनमें सभी घरों तक पानी पहुंचाने में करीब दो वर्ष लग जाएंगे। मप्र में जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में नल से पानी पहुंचाने की योजना ने लगभग आधा सफर तय कर लिया है। प्रदेश में अब तक 51,548 गांवों में 25,810 गांवों में नल से पानी पहुंचा दिया गया है। अब सरकार के सामने विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के ज्यादा से ज्यादा गांवों में नल से पानी पहुंचाने की चुनौती है, जिससे कि गांवों में सरकार की धमक और चमक बढ़ायी जा सके। कहते हैं बिन पानी सब सून। यदि किसी क्षेत्र में पानी की किल्लत है तो फिर सरकार की सभी उपलब्धियां पर लगभग पानी ही फिर जाता है। किसी भी व्यक्ति के लिए पानी सबसे बड़ी जरूरत है। सडक़, बिजली जैसी जरूरतों की बारी तो उसके बाद ही आती है। प्रदेश सरकार ये बात अच्छी से जानती है, इसलिए पानी के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों के बीच पहुंच बनाने की कोशिशों में लगी हुई है।