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नर्मदा का पानी अब आचमन के लायक नहीं बचा,अमरकंटक से गुजरात तक नर्मदा के कई घाटों पर मिलता है नाले का पानी…!

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भोपाल। अमरकंटक से गुजरात तक के अपने सफर में पवित्र नर्मदा नदी लगातार मैली हो रही है। मध्यप्रदेश के 25 जिलों से गुजरने वाली नर्मदा नदी जबलपुर में हो, नरसिंहपुर का बरमान घाट हो, नर्मदापुरम का सेठानी घाट हो या नेमावर-हंडिया के साथ ही ओंकारेश्वर, महेश्वर जैसे पवित्र घाट हो, इन घाटों को कितना भी संवार लिया गया हो, लेकिन नर्मदा जल अब निर्मल नहीं रहा।

ताजा मामला ब्रह्माजी की तपोस्थली माने जाने वाले नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट का है। यहां जमीनी पड़ताल करने पर साफ नजर आता है कि शहरी आबादी का गंदा पानी बरमान घाट में किस तरह से मिल रहा है। यह घाट दूर-दूर से आने वाले लोगों की आस्था को चोट पहुंचा रहा है। यही नर्मदा जल कई शहरों की प्यास बुझाता है। बरमान की पंचायत ने टैंक बनवाकर कुछ प्रयास किए, लेकिन वो नाकाफी साबित हुए। वीडियो में देख सकते हैं कि बरमान घाट पर नाले का काला पानी किस तरह नर्मदा नदी में मिल रहा है।

नरसिंहपुर से नर्मदा स्नान करने बरमान घाट आए आशीष शर्मा कहते हैं कि पवित्र मां नर्मदा और ब्रह्माजी से जुड़े होने के कारण इस घाट से हमारी बेहद आस्था है। हमारे पूर्वज भी इसी घाट पर स्नान करने आते थे, लेकिन पहले ऐसा नहीं था। अब यहां नाले का गंदा पानी मिलने लगा है। इसलिए यहां स्नान करने में थोड़ा संकोच होता है। वहीं बरमान गांव में रहने वाले संतोष दुबे भी इस गंदगी से बेहद आहत हैं। वे कहते हैं कि पानी अब आचमन के लायक नहीं बचा है।

एनजीटी के आदेश हवा में

एनजीटी ने नर्मदा के प्रवास से जुड़े सभी जिलों के कलेक्टरों को आदेश दिया था कि वे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर एक्शन प्लान बनाए। लेकिन, एनजीटी के आदेशों को हवा में ही उड़ा दिया जाता है। इसके अलावा नर्मदा के आसपास मुर्गी पालन, मछली व्यवसाय और मांस-मटन की दुकानें संचालित करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। कई बार प्रदूषण फैलाने वाले लोगों को पुलिस कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी, लेकिन चेतावनी तो जारी होती है, लेकिन किसी पर कार्रवाई होती नजर नहीं आती है।

सालों से सिर्फ वादे और बातें

हाल ही में नर्मदा नदी की शुद्धता जांचने के लिए मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दस ऐसे स्थानों का चयन किया है, जहां प्रदूषण को जांचने की मशीनें लगाई जाएंगी। नर्मदापुरम में सेठानी घाट पर तो यह मशीन लगा दी गई है। जो 24 घंटे जांच करती रहती है और डिस्प्ले बोर्ड पर इसके आंकड़े सार्वजनिक किए जाते हैं। खास बात यह है कि जिस स्थान पर यह मशीन लगाई गई है, उसी स्थान के ठीक सामने नर्मदापुरम का गंदा नाला नदी में मिल रहा है। खास बात यह है कि प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों को इस गंदे नाले की जानकारी ही नहीं हैं। अधिकारी कहते हैं कि जांच के आंकड़े सटीक मिल रहे हैं। लेकिन, विशेषज्ञ कहते हैं कि आंकड़ों से होगा क्या? जब तक गंदा पानी नदी में जाने से नहीं रोकेंगे, या ट्रीटमेंट नहीं करेंगे पवित्र नदी धीरे-धीरे नाले में तब्दील हो जाएगी।

इन स्थानों पर लगेंगे सिस्टम

इसके बाद प्रदूषण जांचने वाले जहां सिस्टम लगाए जाएंगे, उनमें डिंडोरी, मंडला, नरसिंहपुर जिले का बरमान घाट, सीहोर जिले में शाहगंज, देवास जिले का नेमावर, खंडवा में ओंकारेश्वर, मंडलेश्वर, धार जिले के धरमपुरी, बड़वानी के राजघाट और आलीराजपुर के ककराना घाट शामिल है

चौंकाने वाली है रिपोर्ट

हाल ही में आई एक रिपोर्ट चौंकाने वाली है। सोशल एक्टिविस्ट कमला यादव के अनुसार मुंबई की कल्पिन वाटरटेक नाम की एक प्रयोगशाला में इसका वैज्ञानिक परीक्षण कराया गया तो इसके आंकड़े चौकाने वाले थे। इसका जल जहरीला हो गया है। इसके पानी पीने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की भी आशंका व्यक्त की गई है। इसका पानी पीने लायक, उपयोग करने और यहां तक कि खेती लायक भी नहीं है। यह नमूने राजघाट-कुकरा गांव के पानी से लिए गए थे।

-इसके पानी में नाइट्रेट की मात्रा उच्च स्तर पर है।
-इससे थायराइड, श्वसन रोग, गर्भपात, पेट, मूत्रपिंड के कैंसर का खतरा है।
-पानी को शुद्ध करने वाले जल जीव खत्म हो रहे हैं।
-इससे ब्लू बेबी सिंड्रोम की आशंका है।

नर्मदा यात्रा में की थी घोषणा

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2016-17 में जब नर्मदा यात्रा निकाली थी, तब नर्मदा में मिलने वाले नाले और नालियों को रोकने की बात कही थी। लेकिन, यह आज तक जारी है। कई दलों ने नर्मदा को राजनीतिक मुद्दा बनाया, लेकिन यह सिर्फ ‘राजनीतिक मुद्दा’ ही नहीं बना रह जाए।

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