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हम भगत सिंह के बौद्धिक स्वरूप को न पहचानने की चूक कर जाते हैं

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राकेश श्रीवास्तव

आज शहीद ए आजम भगतसिंह,राजगुरु व सुखदेव को शहादत दिवस पर कोटिशः नमन।उन्होंने देश के लिए जो कुर्बानी दी उसके लिए देश उनका सदैव ऋणी रहेगा।उन्होंने जेल मे किसी भी तरह से माफी मांगने से इंकार कर दिया था। भगत सिंह ने 24 वर्ष से कम की उम्र मे अपने साथियों के साथ फांसी का फंदा चूम लिया।इस महान बलिदान की ज्योति मे हम सरदार भगत सिंह के बौद्धिक स्वरूप को न पहचानने की चूक कर जाते हैं।। 

क्रांतिकारी भगत सिंह के संघर्ष और उत्साह से देशभक्ति की प्रचंड ज्वाला प्रदीप्त हुई।साथ ही उन्होंने अपने विचारों से नौजवानों को प्रभावित किया।जो लोग भगत सिंह की तस्वीर को केवल पिस्तौल से जोडकर देखते हैं उनके लिये यह मानना बहुत मुश्किल है कि ये पंक्तियां भगत सिंह की हैं।

“बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।” 

अपने लिए चुनी 24 वर्ष से भी कम उम्र मे वे मार्क्स,

लेनिन,गोर्की,तुर्गनेव,डिकेंस,सिंक्लेयर जैसे लेखकों को पढ चुके थे।इस” क्रियाशील चिंतक” ने पूंजीवाद के खतरों को देख लिया था।उनका संघर्ष केवल अंग्रेजों से ही नहीं वरन पूंजीवाद और साम्राज्यवाद से था।उनका मानना था कि देश के सामने आर्थिक असमानता को समाप्त करने की बड़ी चुनौती है।इसके साथ ही पिछड़े और वंचित समाज के हक के लिए महत्वपूर्ण लड़ाई लड़नी पड़ेगी। 

यह ऐतिहासिक संयोग है कि आज ही एक और महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ राममनोहर लोहिया की जन्मतिथि है।लेकिन 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को फांसी मिलने के बाद से उन्होंने अपना जन्मदिन मनाना बंद कर दिया था।लोहिया भगत सिंह से बहुत प्रभावित थे।भगत सिंह की तरह वह भी एक ऐसे समाज की परिकल्पना करते थे जिसमें कोई व्यक्ति किसी का शोषण न कर सके।मानव गरिमा मे विश्वास रखने वाले चिंतकों की तरह लक्ष्य था कि हर व्यक्ति को समान अधिकार हो।समाज के अंतिम व्यक्ति की चिंता करने वाले विचारक विवेकानंद,

गांधी,भगत सिंह,प्रेमचंद,लोहिया सभी मानते थे कि समाज में हर व्यक्ति को शारीरिक श्रम अवश्य करना चाहिए।उनका मानना था कि प्रकृति के संसाधनों पर हर व्यक्ति का समान अधिकार होना चाहिए।वह समाज के संपत्ति के निजीकरण के विरोध में थे।

आज आवश्यकता है कि हम इन महापुरुषों की फोटो, माला, सेमीनार,जयंती आदि से आगे निकलकर उनके विचारों की कसौटी पर खुद को परखने का का प्रयास करें कि क्या हमने उनके मार्ग पर एक कदम भी आगे बढ़ाया है।

Rakesh Srivastava 

#rakeshsrivastava

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