98 वाले क्यों खुश हैं और 240 वाले दुःखी क्यों हैं? बता रहे हैं – Hafeez Kidwai.
कुछ लोग कह रहे हैं कि 290 वाले के सामने 235 वाले खुश क्यों हो रहे हैं। खासकर 99 वाले क्यों खुश हैं। मेरा सवाल इसके ठीक उल्टा है। देखिये खुश तो कोई भी, कभी भी,कहीं भी,किसी भी वजह से हो सकता है। प्रश्न यह है कि 290 वाले,खासकर 240 वाले काहे दुःखी हैं। उनकी आईटी सेल और वाट्सएप समर्थक काहे आग उगल रहे हैं। जवाब यहीं छिपा है।
यह जो हिंदी बेल्ट है । जहां सबसे ज़्यादा प्रोपेगेंडा फैलाया। जहां नफरत की असीम खेती उपजाई । वहां आप निपट गए हैं। हमारी खुशी यह है और आपका दुःख भी यही है। हमारे राम की अयोध्या ने झूठ,अहंकार और अत्याचार को नकार दिया है, इस बात पर हम खुश हैं। हमारा चित्रकूट ,जिसने राजा राम को भगवान राम बनते देखा है, जहां साढ़े ग्यारह वर्ष वनवास के बीते,उसने अहंकार को परास्त किया है। हम इसपर खुश हैं।
नफ़रत पर आपका विश्वास डिगाया है, हम इसपर खुश हैं। प्रेम पर हमारा विश्वास पुख्ता हुआ है, हम इसपर खुश हैं। आप यह नही समझेंगे,क्योंकि आप अंक देख रहे हैं और हम एक भूमि देख रहे हैं।
नानक की धरती से कुरुक्षेत्र होते हुए,राम की नगरी तक,शिव की माटी से द्वारकाशीष तक हमने प्रेम के झंडे गाड़े हैं। हम इसपर खुश हैं। हमारा यक़ीन लौटा है कि हम साथ साथ एक दूसरे की तक़लीफ़ और खुशी में शामिल होकर रह सकते हैं। इस बात पर हम खुश हैं। तुम नही समझोगे कि हम खुश क्यों हैं।
वह खड़े होकर जब शेरवानी पहने,गुलाब लगाए,पण्डित जी को कोसते थे। हम देख रहे हैं कि अब उनका मुकाबला तो छोड़िए, गिनती की बराबरी से वह दूर हो गया है। हम इसपर खुश हैं। पण्डित जी ने तीसरा टर्म भी अपने दल को पूर्ण बहुमत दिलाकर पाया, यह दूसरों के भरोसे शपथ लेकर इतराने वालों में से वह नही थे। उनको देखकर हम खुश हैं।
हमें कुर्सी का मोह था ही कब, हम तो जनता को उसके अधिकार याद दिलाने निकले थे। उसने अपने अधिकार, जो एक किताब ने उसे दिया है। उसे बचाने निकल पड़ी। हम इस प्रयास से खुश हैं। हम हमारे लीडर,उनके मुद्दों के जगह पाने से खुश हैं और हम। खुश हैं कि हमारे बैंक अकाउंट सीज़ थे, हमारे लीडर जेल में थे, आर्थिक समर्थकों पर पहरा था,मगर हम अकूत दौलत के अहंकारी से लड़े और ऐसा लड़े की उसका अहंकार छिन्न भिन्न हो गया।
हम तो खुश हैं, क्योंकि जनता पर हमारा विश्वास लौट रहा है। भाई, तुम क्यों दुःखी हो, तुम तो सत्ता पा रहे हो, तुम तो खुश हो मगर हमें पता है, हमारी ख़ुशी, तुम्हे खुश नही होने दे रही है । यह है जलन और यही है समस्या और यही है उत्तर, एक कुंठित व्यक्ति अपनी सफलता से खुश नही होता है, बल्कि सामने वाली की खुशी से जलता रहता है। तुम दहकते रहो, मेरी प्रार्थना है कि तुम्हारे दिल में शीतलता आए और तुम भी इंसान बनकर प्रेम को महसूस कर सको। तुम्हारे दुःख से हमे सहानुभूति है, हमारे सुख से तुम्हे जलन, यही अंतर है 240 और 99 का मित्र….