अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

मोदी की गांधीजी और नेताजी से तुलना कर क्या दर्शाना चाहते हैं सत्ताधारी

Share

   –विनोद कोचर

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने, विषय से हटकर, ये कहते हुए नरेंद्र मोदी की विरुदावली गाई थी कि जिस तरह महात्मा गांधी के पास कोई डिग्री न होते हुए भी वे प्रतिभाशाली थे, उसी प्रकार नरेंद्र मोदी भी डिग्री विहीन होने के बावजूद प्रतिभाशाली हैं।

        और अब, भारत की भीतरी और बाहरी सुरक्षा पर मंडरा रहे खतरों से बेखबर,भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को याद करने के बहाने ये कहकर नरेंद्र मोदी की विरुदावली गा रहे हैं कि, ‘नरेंद्र मोदी,नेताजी द्वारा बनाए गए राष्ट्रवाद के विचारों को फिर से जीवित करने के इच्छुक हैं।’

           सुपर नौकरशाहों व अन्य स्तुति गायकों के तानेबाने से बुनी गई अपनी, ‘चक्रवर्ती सम्राट’के सपने में डूबी सरकार के उपरोक्त यशोगायकों में से एक ने मोदीजी को गांधीजी के समकक्ष बताने की दुर्भावना से गांधी को बदनाम कर डाला और उसके बाद दूसरे ने नरेंद्र मोदी को नेताजी के समकक्ष बताने की दुर्भावना से नेताजी के राष्ट्रवाद को मोदीजी के संघी हिन्दूराष्ट्रवाद के समकक्ष बताने की जुर्रत कर डाली है।

     ऐसा करने के लिए अजीत डोभाल ये कहने से भी नहीं चूके कि ‘एक नेताजी ही थे जिन्होंने गांधीजी को चुनौती देने का दुस्साहस किया।’

               अजीत डोभाल इतना कहकर ही नहीं रुके।उन्होंने ये कहकर भी अप्रत्यक्ष रूप से गांधी पर हमला किया कि नेताजी भीख में आजादी नहीं चाहते थे, गोया भीख में आजादी पाने के तलबगार गांधीजी और कांग्रेस रही हो और इसीलिए नेताजी ने गांधीजी को चुनौती देने का साहस किया हो!

        अजीत डोभाल का पद भले ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का हो लेकिन आजादी के ऐतिहासिक आंदोलन के गांधीजी एवं नेताजी जैसे महानायकों के बीच मतभेद के ऐसे झूठे और घटिया आरोप लगाने का,उनका ये कुकर्म उन्हें गुनाहगारों के कठघरे में खड़ा करता है।

        अजीत डोभाल बहुत पढ़े लिखे हो सकते हैं लेकिन नेताजी और गांधीजी के रिश्तों के बारे में, नेताजी और गांधीजी के विचारों की समानता के बारे में,उनकी जानकारी, किसी संघी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी द्वारा फैलाई गई  कपोल कल्पित झूठी जानकारी से अधिक,कुछ भी नहीं है।

             आजादी के आंदोलन के ताजे  इतिहास में तो ये दर्ज है कि नेताजी भी गांधीजी के ही विचारों के वैसे ही अनुयायी थे जैसे कि नेहरू, पटेल आदि अन्य नेता।आजादी के आंदोलन में आंदोलनकारियों के अलग अलग दो ही रास्ते थे–एक अहिंसा का और दूसरा हिंसा का।

      लेकिन तथ्य ये भी है कि हिंसा और अहिंसा सिर्फ साधन थे जबकि दोनों रास्तों से आजादी पाने वाले रणबांकुरों का आजाद भारत के बारे में सपना एक ही था।

वो सपना था स्वतंत्र भारत को एक स्वायत्तशासी, लोकतांत्रिक समता वादी भारत बनाने का। नेताजी भी यही चाहते थे और गांधीजी भी यही चाहते थे।यही था दोनों का राष्ट्रवाद जबकि नरेंद्र मोदी का हिन्दूराष्ट्रवाद अधिनायवादी, अलोकतांत्रिक, विषमतामूलक और नफरत फैलाऊ राष्ट्रवाद है जिसके कट्टर विरोधी थे नेताजी।

        सच तो ये है कि हिंसा और अहिंसा के अलग अलग रास्तों पर चलने के बावजूद नेताजी अपनी आखिरी सांस तक गांधीजी को अपना गुरु मानते रहे।

       सिंगापुर में जब नेताजी को समाचार मिला कि गांधीजी के नेतृत्व में9अगस्त1942से, ‘अंग्रेज़ो भारत छोड़ो’ तथा ‘करो या मरो’आंदोलन शुरू हो गया है और देशभर में आंदोलनकारियों को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा जेलों में कैद किया जा रहा है, तो नेताजी ने इस बात के लिए अफ़सोस जाहिर किया कि ऐसे समय में गांधीजी का साथ देने के लिए वे भारत में क्यों नहीं हैं😢

      क्या1920का असहयोग आंदोलन और 1942का ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन, आजादी की भीख मांगने वाले आंदोलन थे?

       अजीत डोभाल की जानकारी के लिए उन्हें ये बताना भी जरूरी है कि देश छोड़कर चले जाने के बाद विदेशी धरती पर गठित आजाद हिंद फौज के साथ मिलकर नेताजी ने संभवतःअक्टूबर1942या43को गांधी जयंती का एक यादगार आयोजन किया था और ,प्रतिष्ठित एवं विश्वसनीय मासिक पत्रिका ‘नवनीत’के अक्टूबर2013के अंक में प्रकाशित एक लेख के अनुसार,इस कार्यक्रम में उन्होंने गांधीजी के बारे में कहा था कि:-

       ‘ ..गांधीजी मेरे गुरु हैं।मैं अपने गुरु की स्मृति को प्रणाम करता हूँ।

                         ‘ इस क्षितिज के पार इन बल खाती नदियों, लहराते जंगलों के पार, हमारी स्वर्णभूमि है,हमारे सपनों का देश।

                        ‘ वह देश संसार का सबसे सुंदर देश है।उसके आकाश में चांद अजब रोशनी करता है।उसके पेड़ों की डाली पर विहंग अजब मिठास से बोलते हैं और उन पेड़ों की छांव में बैठकर, वहाँ के ऋषियों ने जीवन के विभिन्न रहस्य हमें बताए हैं।गांधी, जिनकी जयंती हम मना रहे हैं, वह आधुनिक ऋषि हैं।उनकी अहिंसा ही मानवता की एकमात्र आशा है।

                                ‘ लेकिन गुलाम देश की अहिंसा, अहिँसा नहीं, कमजोरी होती है।इसलिए हम पहले अपने देश को आजाद करेंगे।मौत की मंजिलें पार करते हुए, हमें दिल्ली पहुंचना है।जिस दिन दिल्ली पर तिरंगा झंडा लहराएगा, उस दिन मणि जटित सिंहासन पर हम महात्मा को बिठाएंगे, गंगाजल से उनके पैर धुलाएँगे और उनसे कहेंगे कि अब आप संसार का नेतृत्व अपने हाथ में लीजिये।अब आपकी अहिंसा की जरूरत है मेरे गुरुदेव’

             

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें