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क्या से क्या हो गया बे-व-फ़ा ?

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शशिकांत गुप्ते

तारामजी से मिलने गया तो देखा आज सीतारामजी गमगीन होकर यह गीत गुनगुना रहें थे।
ज़िन्दगी की ना टूटे लड़ी
प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी
ज़िन्दगी की ना टूटे लड़ी
प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी
लम्बी-लम्बी उमरिया को छोड़ो
प्यार की इक घड़ी है बड़ी

यह गीत सन 1981 में प्रदर्शित फ़िल्म क्रांति का है। इसे लिखा है गीतकार संतोष आंनद ने।
सीतारामजी गीत की उक्त पंक्तियाँ गुनगुना रोककर कहने लगे,
देखा घड़ी ने लोगों की लंबी उम्र को छुड़वा दिया।
घड़ी समय बताती है। लेकिन …… है तो सच में मुमकिन है। घड़ी पुल की मरम्मत भी कर सकती है।
घड़ी ने लगभग देढ़ सौ से अधिक लोगों के दिल की धड़कन ही रोक दी।
सीतारामजी ने चर्चा जारी रखते हुए कहा सन 1965 में प्रदर्शित फ़िल्म ऊंचे लोग के इस गीत की पंक्तियाँ याद आ गई। इसे लिखा है, गीतकार मजरूह सुलतानपुरीजी ने।
कैसी तूने रीत रचि भगवान
पाप करे पापी भरे पुण्यवान
अजब तेरी दुनिया ग़जब इंसान

झूला पुल की मरम्मत दो करोड़ रुपयों की लागत से की गई।
पंद्रह वर्ष की गारंटी पन्द्रहलाख के जुमले जैसी ही साबित हुई।
सम्भवतः विकास का खिताब प्राप्त राज्य में बुलडोजर नामक संस्कृति विकसित नहीं हुई है।
अन्यथा औपचारिकता का निर्वाह करने के लिए छोटे मोटे कर्मियों के मकान तो ध्वस्त किए जा सकतें हैं?
विपक्ष शासित राज्य में पुल टुटता या ढह जाता है तो भगवान उस राज्य के मुखिया को भ्रष्ट आचरण की सज़ा देता है। यह उदगार उस दार्शनिक के मुखारबिंद से कर्कश आवाज में प्रकट हुए हैं। जिन्होंने सबका साथ विकास और सबका विश्वास अर्जित करने का नारा बुलंद किया था।
भगवान पक्षपाती नहीं होता है। भगवान तो समदर्शी होता है।
बहरहाल अकाल मृत्य को प्राप्त लोगों के प्रति संवेदनाएं प्रकट करते हुए कुछ प्रमुख बिंदुओं को याद करना जरूरी है।
पप्पू ने अपनी परिपक्वता को बरकरार रखा। एक विधर्मी इंसान ने लगभग 40 लोगों को मच्छ नदी से जिंदा बचाया।
हादसे के स्थान के आसपास के रहवासियों ने मृतकों के कफ़न की व्यवस्था की।
शासन और प्रशासन ने क्या किया यह अभी ज्ञात नहीं हुआ है?
जाँच में व्यस्त हो गए होंगे? दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाएगी?
अहम सवाल है कड़ी से कड़ी कहाँ तक जुड़ी है यह किस घड़ी उजागर होगा?
पूर्णविराम।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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