जमीन, पानी और आसमान से बमबारी ही नहीं बल्कि नाभिकीय ठिकानों पर भी हो सकते हैं साइबर अटैक
सात अक्टबूर . यही वह दिन है जब एक साल पहले हमास के आतंकवादियों ने इजरायल के अंदर घुसकर 1205 लोगों को मार डाला था. सैकड़ों लोगों को बंधक बनाकर ले गए थे. उनमें से अधिकतर मारे जा चुके हैं. कुछ अभी भी बंधक हैं और कुछ को हमास ने छोड़ दिया है. तब से लेकर अब तक इजरायल के बदले की कार्रवाई में हजारों लोग मारे जा चुके हैं. इजरायल तीन आतंकवादी संगठनों हमास, हिज्बुल्लाह और हूती के साथ तीन ओर से जंग में फंसा हुआ है. ईरान ने भी इजरायल पर बीते दिनों हमले कर इजरायल को चौतरफा जंग लड़ने के लिए मजबूर कर दिया है.
अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे इजरायल के लिए सात अक्टूबर का दिन सबसे काला दिन है. इस अवसर पर जनता और यहूदियों में जोश भरने के लिए इजरायल कुछ बड़ा कर सकता है. हमास और हिज्बुल्लाह को धूल चटाने के बाद इजरायल के लिए ईरान की कमर तोड़ने से अधिक बड़ा और कुछ नहीं हो सकता है. वैसे भी इजरायल की राजधानी में ईरान के 120 मिसाइल दागने के भी बाद ईरान के खिलाफ इजरायल ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. इस कारण इजरायल की जनता में ईरान के खिलाफ आक्रोश अब निराशा में बदलता जा रहा है. इसलिए जनता का समर्थन और जोश बरकरार रखने के लिए इजरायल के पास ईरान पर हमले के अलावा और कोई चारा नहीं है.
क्या इजरायल स्टार वार्स से करेगा शुरूआत?
इजरायल के रणनीतिकार अच्छी तरह से जानते हैं कि ईरान हमास, हिज्बुल्लाह, हूती, फिलीस्तीन और लेबनान नहीं है. ईरान एक बड़ा देश और सामरिक दृष्टि से भी एक बड़ी ताकत है. हालांकि ईरान के अंदर भी इजरायल का मजबूत खुफिया नेटवर्क है. हमास सरगना हानिया और ईरान की सेना के टॉप कमांडरों की हत्या में दुनिया इसका जलवा देख चुकी है. इजरायल का मकसद सबसे पहले ईरान की कमर तोड़ना होगा, ताकि ईरान किसी हिज्बुल्लाह, हमास या हूती की किसी भी तरह से सहायता करने लायक नहीं बचे.
इजरायल की सबसे पहली चुनौती ईरान के संवेदनशील ठिकानों को ध्वस्त करने की होगी. इसके लिए इजरायल का सबसे पहला टास्क ईरान के संचार नेटवर्क को नेस्तनाबूद करने का होगा. इस काम में अमेरिका इजरायल की सबसे अधिक मदद कर सकता है. ईरान के संचार उपग्रहों के सिग्नल को कैप्चर करना या जाम करना इस दिशा में बड़ा कदम हो सकता है. इससे इजरायल का पूरा संचार तंत्र ध्वस्त हो जाएगा, मोबाइल से लेकर कंप्यूटर और सभी महत्वपूर्ण नेटवर्क ध्वस्त हो सकते हैं. उसके बाद इजरायल की ओर से ईरान के डिफेंस इनफॉर्मेशन नेटवर्क को भेदकर ईरानी मिसाइलों और नाभिकीय हथियारों को ईरान के खिलाफ ही इस्तेमाल की तरकीब आजमाई जा सकती है. हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा करना कठिन है, लेकिन मुश्किल नहीं है.
दुनिया जानती है कि ईरान के अंदर काफी असंतोष है. हाल ही में महिलाओं के हिजाब विरोधी आंदोलन ने तो ईरान सरकार की नाकों में दम कर दिया था. इसके अलावा ईरानी समाज पर जबरन बंदिशे थोपे जाने के कारण भी भयानक आक्रोश है. इजरायल अपनी खुफिया एजेंसी के जरिये इस असंतोष को भुनाने की कोशिश कर सकता है. इसके लिए ईरान के अंदर के विद्रोही गुटों को शह देकर पूरे देश में विस्फोट करा सकता है. इससे ईरान की व्यवस्था के तबाह होते देर नहीं लगेगी. ऐसे में ईरान पर हमला करने में इजरायल को ज्यादा प्रतिरोध का सामना नहीं करना होगा.
ईरान के निशाने पर सबसे अधिक वहां के अयातुल्ला खामनेई और ईरान के राष्ट्रपति हैं. इन दोनों के आवास इजरायली मिसाइलों की जद में भी हैं. ईरान के पास इजरायल जैसी आयरन डोम तकनीक भी नहीं है, जिसके जरिये ईरान इजरायली मिसाइलों के हमले रोक सकता हो या फिर उनकी दिशा भटका सकता हो. इजरायली हमलों से बचने के लिए ईरान के सर्वोच्च नेताओं को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचा दिया गया भी हो सकता हो. हालांकि, अब तक के इतिहास को देखने से यही लगता है कि इजरायली खुफिया एजेंसियां ईरान के भीतर अपनी मजबूत पकड़ के जरिये उन्हें ढूंढ़ निकालने में कामयाब हो सकती है.
परमाणु हमले का विकल्प क्यों अंतिम होगा?
इजरायल की ओर से ईरान के खिलाफ परमाणु युद्ध के कयास ज्यादा लगाए जा रहे हैं. लेकिन इजरायल दूरगामी दृष्टि से काम करता है. इजरायल ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा, जिस कारण दुनिया का जनमत उसके खिलाफ हो जाए. क्योंकि ईरान के खिलाफ इजरायल अगर परमाणु हमले करता है तो लाखों की संख्या में निर्दोष लोगों की जान जाएगी. ऐसी स्थिति में दुनिया के इजरायल के खिलाफ होने से मुस्लिम देश एकजुट होकर इजरायल पर हमला कर सकते हैं. उस स्थिति में इजरायल के वजूद को खतरा पैदा हो सकता है.
इसलिए इजरायल नाभिकीय हथियारों या परमाणु युद्ध का सीमित विकल्प ही अपनाएगा. वह भी ज्यादातर सैन्य ठिकानों पर ही आजमाएगा. सारी परिस्थिति को देखते हुए स्पष्ट है कि ईरान के खिलाफ पलटवार के लिए इजरायल संचार तंत्र को ध्वस्त करने, यातायात नेटवर्क को बर्बाद करने और उसके बाद तेहरान समेत बड़े शहरों पर हवाई बमबारी कर अपनी ताकत का लोहा मनवाने का विकल्प ज्यादा अपनाएगा. इजरायल के इतिहास के सबसे काले दिन सात अक्टूबर के आ धमकने के कारण यह प्रबल आशंका है कि इजरायल ईरान को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने के लिए बड़े हमले की कार्रवाई कर सकता है. इसलिए ईरान वासियों के लिए आगे की हर रात कयामत की रात सी है.