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 किस बात का जश्न…भारतीय अर्थव्यवस्था के बर्बादी का

GDP
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गिरीश मालवीय

भाजपा मोदी सरकार के आठ सालों का जश्न मना रही है. किस बात का जश्न मनाया जा रहा है, यह समझ के बाहर है. 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री का पद संभाला था, तब देश की जीडीपी वृद्धि की दर 7.4 फीसदी थी. 2015-16 में ये बढ़कर 8.3 फीसदी तक पहुंच गई. उसके बाद मोदी द्वारा की गई नोटबंदी ने देश का ऐसा भट्ठा बिठाया कि आज तक वह उबर नहीं पाया है. विकास दर निरंतर गिरती गई.

वित्त वर्ष 2020-21 में तो देश की जीडीपी में 7.3 फीसदी की गिरावट आई है. यह चार दशक में देश की जीडीपी में आई सबसे बड़ी गिरावट है. कोरोना काल में एशिया में सबसे खराब परफॉर्मेंस करने वाली अर्थव्यवस्था भारत की ही है.

बेरोजगारी

सबसे पहले बेरोजगारी पर बात कर लेते हैं. मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले देश में बेरोजगारी दर 3.4% थी, आज यह बढ़कर 8.7% हो गई है. 2019 में कोरोना काल से ठीक पहले देश में बेरोजगारी दर 6.1% थीं और ये आंकड़ा 45 साल में सबसे ज्यादा था.

देश के इतिहास को छोड़िए दुनिया के इतिहास में यह यह पहली बार हुआ होगा कि रोजगार बढने के बजाए कम हुआ है. मोदी सरकार के आने से पहले 43 करोड़ लोगों के पास रोजगार था. अभी देश में करीब 40 करोड़ लोगों के पास रोज़गार बचा है.

मंहगाई

आइए अब महंगाई को देख लेते हैं. अप्रैल 2022 में देश में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी हो गई है. ये आठ साल का उच्चतम स्तर है. मई 2014 में देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 71.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल मई 2014 में 55.49 रुपये प्रति लीटर की दर से बिकता था, आज क्या कीमत है स्वयं देख लीजिए. पिछ्ले 8 साल में पेट्रोल की कीमत 30 रुपये और डीजल की कीमत 40 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा बढ़ी है.

मोदी सरकार से पहले सब्सिडी वाला सिलेंडर 414 रुपये में मिलता था. अब सिलेंडर की कीमत एक हजार रुपये तक पहुंच गई है. इन आठ साल में 8 साल में आटे की कीमत 48%, चावल की 31%, दूध की 40% और नमक की कीमत 35% तक बढ़ गई है, महंगाई अपने चरम पर है.

प्रति व्यक्ति आय और कर्ज

प्रति व्यक्ति आय बढ़ने का जो दावा किया जा रहा है वह सिर्फ़ आंकड़ों की बाज़ीगरी से हासिल किया गया है. अगर आपको इसकी हकीकत जानना हो तो परिवारों की बचत के आंकड़े एक बार जान लीजिए,भारत में अब भी 80 करोड़ से ज्यादा लोग ग़रीब हैं.

मोदी जी कर्जा लेकर घी पी रहे हैं. पिछ्ले आठ साल में विदेशी क़र्ज़ भी बेतहाशा बढ़ा है. इस दौरान भारत पर हर साल औसतन 25 अरब डॉलर का विदेशी क़र्ज़ बढ़ा है. मोदी सरकार से पहले देश पर करीब 409 अरब डॉलर का विदेशी क़र्ज़ था, ये अब बढ़कर डेढ़ गुना यानी करीब 615 अरब डॉलर पहुंच गया है.

शिक्षा-स्वास्थ्य

मोदी सरकार में न शिक्षा पर काम हुआ, न स्वास्थ्य पर, कितने एम्स बने हैं ? एम्स छोड़िए कितने साधारण अस्पताल ही बने हैं, वो बता दीजिए. मोदी के प्रधानमन्त्री बनने से पहले देश में 15.18 लाख स्कूल थे, जो अब घटकर 15.09 लाख रह गए हैं. कौन सी नई शिक्षा नीति लागू हुई हैं आप बता दीजिए ?

मेक इन इंडिया

आपको याद होगा कि 2014 मे मोदी जी ने मेक इन इंडिया की शुरुआत की थी. इसका मक़सद था दुनिया भर की कड़ी कंपनियों को भारत में अपनी चीज़े बनाने के लिए प्रेरित करना और भारत में बनी चीज़ों को दुनिया भर में भेजना था. यह योजना पूरी तरह से फेल ही रही. भारत अब भी निर्यात से ज्यादा आयात करता है. बीते 8 साल में भारत के निर्यात में 10 लाख करोड़ रुपये का भी इज़ाफा नहीं हुआ है और आयात भी बढ़ रहा है, आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2021-22 के दौरान भारत आयात भी 610 अरब डॉलर के अब तक के सर्वोच्च स्तर तक पहुंच गया है.

संक्षिप्त में लिखे इस लेख से आप समझ ही गए होंगे कि इकनॉमी से जुड़े हर क्षेत्र में यह सरकार भयानक रूप से असफल सिद्ध हुई हैं फिर किस बात का जश्न मनाया जा रहा है ?

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