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क्या है गोविंद सिंह राजपूत और पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह में कोल्ड वार की असली वजह

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मध्य प्रदेश बीजेपी के दो सीनियर नेता आमने-सामने हैं। दोनों एक ही जिले के हैं। एक केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का खास माना जाता है तो दूसरे को पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान का करीबी। हम बात कर रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह की। दोनों नेता सागर जिले से आते हैं। भूपेद्र सिंह शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं तो गोविंद सिंह राजपूत, शिवराज सिंह के बाद सीएम मोहन यादव की कैबिनेट में भी मंत्री हैं। गोविंद सिंह राजपूत, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं और उन्हें के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे।

सागर जिले से आने वाले भाजपा को दो सीनियर विधायक आमने-सामने होने से सियासी हलचलें तेज हो गई। पहले दोनों विधायक एक दूसरे पर इशारों-इशारों में बयानबाजी कर रहे थे। लेकिन अब यह दोनों की खींचतान खुलकर सामने आ गई है।

दोनों के बीच क्या है मामला
दरअसल, इस मामले की शुरुआत पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह के एक बयान से हुई। भूपेन्द्र सिंह ने गोविंद सिंह राजपूत का नाम लिए बिना बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि सागर जिले का एक मंत्री बीजेपी को खत्म करने की कोशिश कर रहा है। पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा था ‘हम ऐसे लोगों को स्वीकार नहीं कर ‎सकते, जिन्होंने पहले बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर अत्याचार ‎किए थे, अब वही लोग हमारी पार्टी में आकर फिर से हमारे कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर रहे हैं। सागर जिले में दो नेता ऐसे हैं। जिनको लेकर मेरी आपत्ति पहले भी थी और अभी भी है। इन्ही दोनों नेताओं ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया था। प्रशासन अब उन्हीं की बात सुन रहा है जो कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। ये लोग बीजेपी के साथ कब तक हैं इसकी कोई गारंटी नहीं है।

गोविंद सिंह राजपूत का पलटवार
भूपेन्द्र सिंह के इस बयान पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने पलटवार किया। गोविंद सिंह राजपूत ने कहा- ‘ क्या एक व्यक्ति पार्टी से बड़ा हो गया है? पार्टी नेतृत्व इसे देख रहा है। मैं बीजेपी में आने के बाद पार्टी की तीन कठिन सीमाओं को पार कर चुका हूं।’ गोविंद सिंह ने कहा- मैंने भाजपा से पहला चुनाव 41000 वोट से जीता था, दूसरा विधानसभा का चुनाव भी जीता, जबकि लोकसभा चुनाव के दौरान सागर लोकसभा सीट की बीजेपी प्रत्याशी मेरी विधानसभा सीट से 86000 वोटों से जीती थी। आज मैं भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता हूं। मुझे भाजपा में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने शामिल कराया था।

पहले से ही दोनों के बीच अदावत
दोनों दोनों के बीच पहले से ही अदावत है। गोविंद सिंह राजपूत जब कांग्रेस में थे तो वह बुंदेलखंड में कांग्रेस का चेहरा था जबकि बीजेपी से भूपेन्द्र सिंह बड़ा चेहरा थे। ऐसे में इन दोनों नेताओं के बीच पहले से अदावत थी। मोहन यादव की कैबिनेट में सागर जिले से गोविंद सिंह राजपूत को शामिल किया गया। जिस कारण से भूपेन्द्र सिंह को जगह नहीं मिली। उससे पहले शिवराज के कैबिनेट में दोनों मंत्री थे।

क्या है झगड़े का कारण
मध्य प्रदेश के सीनियर पत्रकार देव श्रीमाली का कहना है- “इन दोनों नेताओं के बीच अदावत पुरानी है। अब दोनों एक ही पार्टी में हैं ऐसे में दोनों नेताओं के बीच तालमेल नहीं बैठ रहा है। गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस में थे तब से बुंदेलखंड में उनका नेटवर्क बहुत मजबूत था लेकिन अब दोनों नेता एक साथ एक ही पार्टी में हैं। ऐसे में दोनों के बीच सामंजस्य नहीं बैठ रहा है।”

उन्होंने कहा कि यह केवल दो मंत्रियों के बीच की बात नहीं है। कांग्रेस के जितने भी नेता भाजपा में आए हैं वहां ऐसी ही स्थिति है। ग्वालियर चंबल में भी यही स्थिति है। आज भी जो भाजपा के मूल नेता हैं उन नेताओं को स्वीकार नहीं कर पाए हैं जो कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए हैं।

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