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क्या करें जब अकसर सुन्न हो जाते हों हाथपैर 

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                  डॉ. श्रेया पाण्डेय 

      देर तक एक ही पोज़िशन में बैठे रहने से अक्सर पैरों में झनझनाहट महसूस होने लगती है। कभी कभी होने वाली झनझनाहट जब लगातार बढ़ने लगती है, तो ये किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकती है। 

    नर्वस की इस समस्या में पैरों और हाथों में सुई जैसी चुभन का अनुभव होने लगता है। इसके चलते चलने फिरने में कुछ देर परेशानी आती है और फिर से शरीर सामान्य हो जाता है। 

    मगर इस समस्या को नज़रअंदाज़ करना किसी बड़ी समस्या का कारण बन सकता है। इस लेख में जानते हैं पैरों और टांगों में महसूस होने वाली झनझनाहट के कारण और उससे उबरने के उपाय भी।u

*क्यों बढ़ जाती है हाथों और पैरों में नंबनेस?*

हाथों और पैरों में बढ़ने वाला सुन्नपन और फिर हल्की चुभन नर्वस में बढ़ने वाली नंबनेस को दर्शाती है। ये पूरी तरह से टेम्परेरी होती है, मगर समय पर इलाज न मिलने से क्रानिक में बदल जाती है।

   टिंगलिंग सेंसेशन डायबिटीज, शाटिका, ऑटो इम्यून डिज़ीज़, किडनी की समस्या और विटामिन बी 12 की कमी ओर इशारा करते हैं।

      चुभन के अलावा इस दौरान पैरों और हाथों में भारीपन महसूस होने लगता है और कुछ देर तक किसी भी कार्य को करने में कठिनाई बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए आहार में पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए। इसके लिए हरी सब्जियों का सेवन करें।

आइये जानते हैं क्यों बढ़ने लगती है हाथों और पैरों में झनझनाहट की समस्या :

*1. डायबिटीज :*

बार बार हाथों और पैरों की झनझनाहट के पीछे डायबिटीज़ एक मुख्य कारण साबित होता है. हाई ब्लड शुगर के कारण नर्व डैमेज का जोखिम बढ़ जाता है, जिसे डायबिटिक न्यूरोपैथी कहा जाता है। शुरूआत में हाथों और पैरों में सुन्नता और झनझनाहट होने लगती है। इसके अलावा दर्द, ऐंठन और कमजोरी भी महसूस की जाती हैं। मगर धीरे धीरे ये समस्या इलाज न मिलने पर टांगों और बाजूओं में भी पहुंचने लगती है।

*2. विटामिन बी 12 की कमी :*

शरीर में विटामिन बी 12 की उच्च मात्रा से नर्वस और ब्रेन की फंक्शनिंग में मदद मिलती है। नियमित मात्रा में इसके सेवन से शरीर में रेड ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे ऑक्सीजन का प्रवाह बना रहता है।

      मगी शरीर में विटामिन बी 12 की कमी से नसों को नुकसान पहुंचता है जिससे हाथों और पैरों में सेंसेशन बढ़ने लगती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी के अलावा डिमेंशिया और तनाव का खतरा भी बढ़ जाता है।

*3. हाइपोथायरायडिज्म :*

   शरीर में थायराइड हार्मोन में बढ़ने वाले इंबैलेंस के चलते हाइपोथायरायडिज्म का सामना करना पड़ता है। इसके चलते शरीर में थकान, हाथों पैरों में झनझनाहट और एनर्जी का लेवल कम होने लगता है। दरअसल, हाइपोथायरायडिज्म से शरीर में फ्लूइड का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे हाथों और पैरों की नसों पर दबाव बढ़ जाता है। इससे सुन्नपन की शिकायत बढ़ने लगती है। इसका असर मेटाबॉलिज्म और मानसिक स्वास्थ्य पर भी दिखता है।

*4. किडनी फेलियर :*

नेशनल किडनी फाउनडेशन के अनुसार किडनी फेलियर के चलते हाथों और पैरों में नंबनेस बढ़ने लगती है। मसल्स वीकनेस के अलावा ऐंठन का सामना करना पड़ता है। किडनी का सुचारू रूप से कार्य न करना शरीर में मेटाबॉलिक वेस्ट जमा होने का कारण बनने लगता है। इससे मसल्स वीकनेस और क्रैप्स बढ़ जाते है। इसके अलावा बाजूओं और टांगों में सुई सी चुभन महसूस होती है।

*5. स्पाइन :*

स्पोंडिलोलिस्थीसिस के चलते नसों पर दबाव बढ़ने लगता है। लगातार एक जगह पर देर तक बैठकर काम करने से इस स्थिति का सामना करना पड़ता है। इसके चलते हाथों, पैरों और पीठ में झनझनाहट महसूस होने लगती है।

हाथों पैरों की झनझनाहट ऐसे दूर करें : 

*1. हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन :*

आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करने से शरीर को आयरन, जिंक और विटामिन बी 12 की प्राप्ति होती है। इससे नर्स रीजनरेशन और नर्स फंक्शनिंग में मदद मिलती है। इसके लिए आहार में पालक, एसप्रेगस, और ब्रोकली को शामिल करें.

*2. नियमित व्यायाम :*

देर तक बैठने से मसल्स में प्रैशर बढ़ने लगता है। इससे पेन और टिंगलिंग का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मसल्स रिलैक्स् करने के लिए एक्सरसाइज़ और योग की मदद ली जा सकती है। 10 से 15 मिनट एक्सरसाइज़ करने और काम से ब्रेक लेना शरीर को फायदा पहुंचाता है।

*3. विटामिन इनटेक :*

शरीर में विटामिन ए, बी और ई की मात्रा को बढ़ाना आवश्यक है। इससे शरीर को पोषण की प्राप्ति होती है, जो शरीर में ब्लड के सर्कुलेशन को नियमित करके शरीर को एक्टिव और एनर्जेटिक बनाए रखने में मदद करती है। इससे शरीर को टिंगलिग से राहत मिल जाती है। पोषक तत्वों को आहार या सप्लीमेंटस के रूप में डॉक्टर की सलाह के बाद लिया जा सकता है।

*4. स्मोकिंग निरोध :*

धूम्रपान के चलते ब्लड वेसल्स तक खून की सप्लाई में बाधा उत्पन्न होने लगती है, जिससे नर्वस में कॉन्ट्रेक्शन की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में स्मोकिंग को दूर करके शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।

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