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हरियाणा में कांग्रेस-भाजपा की जीत-हार के क्या होंगे राजनीतिक मायने?

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चंद्र प्रकाश झा

हरियाणा विधान सभा के चुनावों के लिए निर्वाचन आयोग ने 16 अगस्त को बिगुल बजा दिया। सभी 90 विधान सभा क्षेत्रों में वोटिंग ईवीएम मशीनों और उनके साथ लगे वोटर्स वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनों के जरिए एक ही दिन एक अक्टूबर को होगी। वोटों की गिनती चार अक्टूबर की सुबह शुरू कर परिणाम उसी शाम तक घोषित हो जाने की आशा है। पर निर्वाचन आयोग ने झारखंड और महाराष्ट्र की विधान सभाओं के चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा अभी नहीं की है। आयोग ने उत्तर प्रदेशके 10 विधान सभा क्षेत्रों में उपचुनावों के लिए भी कार्यक्रम घोषित नहीं किए है।

कांग्रेस को अभी भारतीय जनता पार्टी शासित हरियाणा के विधान सभा चुनावों में अपनी जीत का भरोसा है। लोकसभा चुनाव-2024 के चुनावों में कांग्रेस 10 क्षेत्रों में से 5 सीट पर विजयी रही थी। वह लोक सभा चुनावों में 46 विधान सभा क्षेत्रों में भाजपा से आगे रही थी। भाजपा 44 विधान सभा क्षेत्रों में ही आगे रही थी। लोक सभा के 2014 के चुनावों में राज्य में कांग्रेस ने 1 और भाजपा ने 7 क्षेत्रों में जीत दर्ज की थी। लेकिन उसके बाद हुए विधान सभा चुनावों में कांग्रेस ने 47 और भाजपा ने 15 क्षेत्रों में जीत दर्ज की। लोक सभा के 2019 के चुनावों में भाजपा ने सभी 10 क्षेत्रों में जीत दर्ज की थी।

भाजपा ने भी विधान सभा चुनावों में जीत के लिए कई उपाय किए हैं जिनमें राज्य के मुख्यमंत्री पद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे मनोहर लाल खट्टर को लोक सभा के पिछले चुनावों के ऐन पहले मुख्यमंत्री पद से हटा कर उनकी कुर्सी पर नायब सिंह सैनी को बिठाना शामिल है। लेकिन लोक सभा के 2019 के चुनावों के बाद से हरियाणा में भाजपा के वोट शेयर में गिरावट का रूख है। उन चुनावों में भाजपा का वोट शेयर 60 फीसद से कुछ ज्यादा था पर 2019 के विधान सभा चुनावों में उसका वोट शेयर गिरकर करीब 36 फीसद रह गया।

भाजपा नेता और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मतदान में गैर जाट समुदाय के लोगों के वोटों का ध्रुवीकरण करने की चाल को हवा देकर अपनी सभाओं में कहा है कि कांग्रेस जीत गई तो वह अन्य पिछड़े वर्गों यानि ओबीसी की जातियों के लोगों को सरकारी नौकरियों में मिला आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दे देगी। भाजपा ने लोक सभा के 2019 के चुनावों में कश्मीर के पुलवामा कांड के बाद हरियाणा समेत देश भर में फर्जी राष्टवाद की लहर पर सवार होकर प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया था। तब हरियाणा में जाट समुदाय के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर किए आंदोलन के दौरान कुछ जगहों पर हिंसा हुई थी। भाजपा को राज्य की सत्ता में लगातार 10 वर्ष रहने के कारण ‘एंटी इंकम्बेंसी’ लहर का भी सामना करना पड़ सकता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन वर्षों में हरियाणा में बेरोजगारी बढ़ कर पूरे देश में सबसे ज्यादा हो गई है।

मौजूदा स्थिति में हरियाणा में किसान आंदोलन, भारतीय सेना में ‘अग्निवीर’ सैनिकों की बहाली और हरियाणवी पहलवान बेटी विनेश फोगाट के पेरिस ओलंपिक खेलों में जजों के निर्णय के कारण अपमान के विरुद्ध भारी आक्रोश है। विनेश को जिन परिस्थितियों में पदक से वंचित कर दिया गया उससे हरियाणा के लोगों, और खास कर महिलाओं में भारी गुस्सा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों और हरियाणा में जाट समुदाय के लोगों के बीच चले किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि विनेश को भारत सरकार की साजिश के कारण पदक से वंचित होना पड़ा।

विनेश के पहलवान पति और स्वयं पहलवान सोमवीर राठी ने आरोप लगाया है कि भारतीय कुश्ती महासंघ के पदाधिकारियों ने उनका साथ नहीं दिया। भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रहे भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विनेश फोगाट, उनकी चचेरी बहन और हरियाणा के ही पहलवान बजरंग पुनिया की पत्नी संगीता फोगाट आदि के आरोपों को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर आम लोगों ने काफी समय धरना दिया था। इन प्रदर्शनों के बाद ही दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच बाद एक कोर्ट में चार्जशीट दाखिल थी। पर दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कोर्ट में गवाही देने के लिए तैयार इन महिला पहलवान को दी अपनी सुरक्षा वापस ले ली थी।

भारत के अखबारों में छपी रिपोर्टों के अनुसार विनेश पेरिस ओलंपिक खेलों से स्वदेश आने पर 18 अगस्त को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर विमान से उतरने के बाद वहां से अपने गांव स्वदेश बलाली के लिए सड़क मार्ग से सुबह 11 बजे निकली थीं। पर उनके वाहन को 110 किलोमीटर का रास्ता पूरा करने में 13 घंटे लग गए। इसका कारण यह था कि हरियाणा के लोग उनका स्वागत करने के लिए उस सड़क पर जगह-जगह फूलों का हार लेकर खड़े थे। वे लोग विनेश को आशीर्वाद देने उनके काफिला को रोकने का प्रयास कर रहे थे। विनेश फोगाट रात 2 बजे अपने गांव बलाली पहुंच सकीं। उनके वाहन पर स्वागत करने वालों में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुत्र और कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा भी थे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि ‘हमारे पास संख्या होती तो हम विनेश को राज्य सभा भेज देते’। इस तरह विनेश फोगाट का नाम हरियाणा विधान सभा के चुनावों से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ गया है।

हरियाणा की राजनीति में राज्य के मुख्यमंत्री रहे बंसी लाल, भजन लाल और देवी लाल और उनके परिवार का विगत में बोलबाला था। भजन लाल और बंसी लाल के परिजनों का चुनावी प्रभाव कम होने के बाद देवी लाल के पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला समेत उनके परिवार का बोलबाला कम हो गया। देवी लाल के पोते और जजपा के नेता दुष्यंत चौटाला ने पिछले विधान सभा चुनावों में सरकारी नौकरियों में जाट समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की मांग पर जोर देने के लिए चलाए आंदोलनों के जरिए बेरोजगार जाट युवाओं के प्राप्त समर्थन के बल पर 10 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत दर्ज कर सदन में कांग्रेस को बहुमत सीटें पाने से वंचित कर दिया था।

हरियाणा किसान आंदोलन का लगातार गढ़ बना हुआ है। वहां के किसानों ने पंजाब और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों के साथ मिलकर दिल्ली बॉर्डर पर ऐतिहासिक घेरा डाल गणतंत्र दिवस के दिन संसद भवन तक के लिए ‘ट्रैक्टर मार्च’ निकाला था। किसान आंदोलन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तानाशाह सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। किसानों के सबसे बड़े संगठन ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने लोगों से हरियाणा विधान सभा के चुनावों में भाजपा को हराने की अपील की है।

भाजपा विधान सभा चुनावों में जीत के लिए एयर होस्टेस गीतिका शर्मा की संस्थागत हत्या के मामले में आरोपित गोपाल कांडा की ‘हरियाणा लोकहित पार्टी’ से भी चुनावी गठबंधन कर सकती है। भाजपा की सरकारों ने चुनावों में जीत के लिए बलात्कार के अपराध में कोर्ट से उम्र कैद की सजा प्राप्त ‘डेरा सच्चा सौदा’ के कर्ताधर्ता गुरमीत राम रहीम को कई बार पैरोल पर जेल से बाहर जाने दिया है। बहरहाल देखना यह है कि कांग्रेस अपनी चुनावी किलाबंदी और कितना मजबूत करती है और भाजपा सत्ता बल पर इन चुनावों में जीत के लिए क्या करती है। 

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