भोपाल। शिवराज सिंह चौहान किसानों की परेशानी जानते हैं, यही वजह है कि वे लगातार किसानों की बेहतरी के लिए काम करते रहते हैं। अब जब प्रदेश में बीते माह बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हुई तो किसानों की फसल को भी भारी नुकसान हुआ। इसकी वजह से खराब गेहूं की खरीदी को लेकर किसानों के सामने नया संकट खड़ा हो गया था। इसकी वजह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खराब गेहूं यानि की चमक विहीन गेहूं की सरकारी खरीदी के लिए केन्द्र सरकार से लगातार सम्पर्क कर किसानों की परेशानी को दूर करने के लिए मेहनत करना शुरू किया, परिणामस्वरुप केन्द्रीय उपभोक्ता, खाद्य व सार्वजनिक वितरण विभाग ने खराब गेहूं की सरकारी खरीद के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसकी वजह से अब किसानों को अपने खराब गेहूं का भी पूरा दाम मिलने का रास्ता खुल गया है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि होने के बाद कहा था कि जिन किसानों के गेहूं की चमक फीकी पड़ी है। उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है।
चमक विहीन गेहूं भी प्रदेश सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। हालांकि केंद्र ने इस तरह के गेंहू का स्टॉक अलग से रखने को कहा है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार की बारिश व ओलावृष्टि के बाद दागी हुए गेहूं को समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीदी में छूट की मांग के बाद केंद्र से हफ्तेभर पहले उपभोक्ता मामले व भारतीय खाद्य विभाग की टीम ने प्रदेश का दौरा कर फसल की स्थिति देखी। अफसरों ने देखा कि गेहूं की चमक फीकी हुई पर ये काम आ सकता है। इसके बाद जांच दल ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी, जिसके आधार पर यह निर्णय हुआ। केंद्र ने कहा कि किसानों की कठिनाइयों को कम करने के लिए रबी विपणन सीजन 2023-2024 में एक अप्रैल से गेहूं की खरीदी में चमक विहीन गेहूं को भी शामिल करने की छूट दी जा रही है। अब प्रदेश सरकार बिना किसी मूल्य कटौती के 10 फीसदी तक नुकसानी वाले गेहूं की खरीदारी करेगी। बाद में यह छूट 10 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक हो जाएगी।
खरीदी की तारीख बढ़ाई
मध्यप्रदेश में 25 मार्च से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होनी थी, लेकिन खराब मौसम की वजह से इसे आगे बढ़ा दिया गया है। देश में गेहूं उत्पादन और सरकारी स्टॉक में गेहूं देने के मामले में मध्यप्रदेश का दूसरा स्थान है। इस बार भी मध्यप्रदेश में गेहूं के बंपर उत्पादन की संभावना है। इस बार 15 लाख किसानों ने गेहूं की बिक्री के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। जिके माध्यम से इस बार 70 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद होने की संभावना है। आधिकारिक तौर पर एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू होती है, पर इस साल 25 मार्च से इसकी शुरुआत की जा रही है। पिछले साल फरवरी में अचानक तापमान बढऩे से गेहूं के मिल्किंग स्टेज में ही मौसम की मार पड़ गई थी। उल्लेखनीय है कि बीते साल प्रदेश में मात्र 46 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। उससे पहले 2020-21 में यह खरीद रिकॉर्ड 113 लाख टन पर पहुंच गई थी।
इस तरह की तैयारियां
खरीदी केंद्र पर गेहूं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ग्रेडिंग की व्यवस्था की गई है। तौल होने पर किसान एवं उपार्जन केंद्र प्रभारी के बायोमैट्रिक सत्यापन से ही देयक जारी होंगे। प्रत्येक खरीदी केंद्र पर नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है। उपर रखने के लिए 84 लाख मीट्रिक टन क्षमता की जगह रिक्त। 34 लाख मीट्रिक टन गेहूं सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वितरित होगा, जिससे भंडारण की और जगह मिलेगी। ये भी तय किया गया है कि किसानों को परेशान न होना पड़े। प्लास्टिक के बारदाना में 50 किलो 135 ग्राम से अधिक गेहूं न तौला जाए। खरीदी केंद्रों पर बारदाना पर्याप्त रखे जाएं और परिवहन समय पर हो। किसानों का जेआईटी के माध्यम से भुगतान होगा। गर्मी को देखते हुए गोदामों में वॉटर कूलर और अन्य सेंटरों पर मटके रखे जाएं। पर्याप्त शेड हो, ताकि किसान गेहूं से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां या अन्य वाहन खड़े कर सके।
25 फीसदी तक हुआ नुकसान
दरअसल, मार्च में तीसरे सप्ताह में नर्मदापुरम, शहडोल, जबलपुर, उज्जैन, चंबल, सागर, इंदौर, ग्वालियर, रीवा और भोपाल संभाग में बारिश हुई थी। यहां सर्वे दल पहुंच पाते या सरकार नुकसानी का आंकलन किया जा पता उससे ही पहले मंडला बालाघाट, नरसिंहपुर, कटनी, सिवनी, शहडोल, छिंदवाड़ा बारिश और ओले गिरने लगे। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान खुद विदिशा के खेत-खेत नुकसानी से देखने गए थे। यही नहीं उनके द्वारा मंत्रियों व विधायकों को भी ग्रामीण इलाकों में भेजकर नुकसान देखने को कहा था। वहीं से घोषणा की थी कि जिन किसानों की फसल में 50 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है, उन्हें 32 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। पहले फेज में रतलाम, आगर मालवा, रायसेन, विदिशा, खरगोन, राजगढ़, बड़वानी, भोपाल, शाजापुर ग्वालियर, शिवपुरी, श्योपुर, मुरैना, धार में 10 से 25 प्रतिशत तक की नुकसानी का प्राथमिक आंकलन किया गया था।