-आशीष अभिनव
आज जब तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है, बावजूद इसके ये देश की जनता और मीडिया के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं रह गया है। सरकार की तरफ से जवाबदेही का तो सवाल ही नहीं उठता। यहां तक कि मंत्री जी महंगाई को राष्ट्रहित में बताते हैं। ऐसे में अतीत के कुछ चुनिंदा और जमीर वाले नेताओं की कहानियां सुनकर सुखद आश्चर्य होता है। साल 1996-97, तब देश के गृहमंत्री थे भारतीय साम्यवादी आन्दोलन में उत्कृष्ट नेता, भारतीय मजदूर आंदोलन के शिखर पुरुषों में से एक कॉमरेड इन्द्रजीत गुप्त। देवगौड़ा की सरकार में वित्त मंत्री थे पी. चिदंबरम। सरकार ने डीजल और केरोसिन तेल में दोगुने वृद्धि का प्रस्ताव मंत्रिमंडल में पेश कर दिया। उस समय केरोसिन 3 रुपये और डीजल 6 रुपये था दोगुनी वृद्धि का प्रस्ताव देश गृहमंत्री कॉमरेड इन्द्रजीत गुप्त बौखला गए और तुरंत मंत्रिमंडल की बैठक छोड़कर वेस्टर्न कोर्ट अपने आवास पर पहुंच गए।
शाम का वक्त था। बिहार के बेगूसराय से दो साम्यवादी सांसद कॉमरेड शत्रुघ्न प्रसाद सिंह और कॉमरेड रमेंद्र कुमार बाहर में बैठे अन्य अतिथियों से बात कर रहे थे। कॉमरेड इंद्रजीत गुप्ता कुछ ही देर पहले मंत्रिमंडल की बैठक में भाग लेने गए थे और उनकी लाल बत्ती की गाड़ी लगभग आधे घंटे में वेस्टर्न कोर्ट लौट आई। कॉमरेड रमेंद्र कुमार चौंक गए और उन्होंने शत्रुघ्न प्रसाद सिंह से कहा कि- (हो मास्टर साहेब बूढ़ा (इंद्रजीत गुप्त) सबेरे लौट गेलखिन लगै छै कैबिनेट में कुछ गरमा गरम बहस भै गैले तनी जाए क पूछो) मास्टर साहब जाकर पूछिए इंद्रजीत गुप्त जल्दी लौट गए हैं लगता है कैबिनेट में कुछ गरमा गरम बहस हो गई है।
जब दोनों सांसद उनके सामने उपस्थित हुए तो कॉमरेड इंद्रजीत गुप्ता ने गुस्से से कहा कि डीजल और केरोसिन गरीब और किसानों के लिए रोजी रोजगार से संबंधित है और उसके दाम में इजाफे से हम लोगों के प्रति उनका आक्रोश और बढ़ेगा। कम्युनिस्ट पार्टी को वोट देने वाले वे लोग जिनके घर में रोटियां भी केरोसिन पर पकती है। इसलिए दामों में बढ़ोतरी से उनपर आर्थिक संकट का बोझ बढ़ेगा। ऐसे में गरीब विरोधी इस फैसले के साथ मैं इस कैबिनेट में नहीं रह सकता। मैंने अपना इस्तीफा पार्टी महासचिव कॉमरेड एबी वर्धन को भेज दिया है।
इतने में तत्कालीन प्रधानमंत्री देवगौड़ा वेस्टर्न कोर्ट पहुंच गए और उन्हें इस शर्त पर बैठक में ले गए कि डीजल और केरोसिन में बढ़ोतरी का फैसला वापस लिया जाएगा। सरकार ने फैसला वापस लिया। कॉमरेड इंद्रजीत गुप्ता गृहमंत्री बने रहे। यह एक कम्युनिस्ट केंद्रीय मंत्री का वर्ग चरित्र था। आप कम्युनिस्टों को गाली बकिए। लेकिन आपने जिन्हें आज संसद चुनकर भेजा है वो आपके लिए क्या कर रहे हैं इस पर विचार करिएगा।
उनके बारे में संसद में बोलते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रखर नेता हुकुमदेव नारायण यादव ने एक बार कहा था, ”वे एक कम्युनिस्ट नेता थे. लेकिन इससे बड़ी बात यह थी कि वे एक महान सांसद थे.’ कांग्रेस के समर्थन वाली संयुक्त मोर्चा सरकार में गृहमंत्री बनने वाले वह देश के पहले कम्युनिस्ट नेता थे। इसके चश्मदीद गवाह वर्तमान में रमेंद्र कुमार और शत्रुघ्न प्रसाद सिंह हैं। ये जानकारी पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह से बातचीत के बाद साझा की गई है।
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