अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

जब शशि कपूर  ओम पुरी के फैन हो गए….! 

Share

-वाचस्पति शर्मा

अर्धसत्य फिल्म में एक सीन हैं

जिसमे ओमपुरी साब दारु पी के लॉकअप में जातें हैं और एक कैदी को प्रताड़ित करतें हैं। 

पुरी साब फुल नशे में लड़खड़ाते हुए  लॉकअप में जाकर उसे जबरदस्त तरीके से पीटते हुए गालिया देते हैं। 

इस पूरे सीन में निर्देशक ने कैदी की पिटाई के बहाने असल में सब इंस्पेक्टर अनन्त वेलंकर के अंदर की कुंठा ,हींन भावना , अपने साथ हुए अन्याय और व्यवस्था के प्रति आक्रोश को उड़ेलते हुए दिखाया है।  वो उस कैदी को मारते हुए जो कहता है , वो असल में इस व्यवस्था से कह रहा होता है।  

इस सीन कोओमपुरी साब ने बहुत ही जबर तरीके से निभाया है। 

जब शशि कपूर ने ये फिल्म देखी और वो “इस नए कलाकार ओम पुरी के फैन हो गए” . 

एक बार शशि कपूर साहब पूरी रात दारु पीते रहे और यही सीन बार बार बार देखते रहे , उस रात उन्होंने ओम पुरी को कई बार फोन किया और पंजाबी में पूछते रहे की 

“यार तूने ये सीन कैसे किया?

क्या तूने वाकई दारु पी थी ?? 

क्या तू ये सीन दोबारा कर सकता है ?? 

तू यार मेरे घर आ , बैठ के दारु पिएंगे , मुझे तुझसे बहुत बातें करनी हैं . आदि आदि। 

——————–

खांटी कमर्शियल सिनेमा वाले खानदान से आने के बावजूद कपूर खानदान में सिर्फ  शशि  कपूर साहेब ही इकलौते ऐसे शख्श थे जो की असल में आत्मा से आर्ट फिल्मों समानांतर सिनेमा के लिए बने थे. लेकिन उनके आस पास की परिस्थितियों ने उन्हें कभी भी उन्हें उनके मन की नहीं करने दी. आर्ट फिल्मों में उनकी पारिवारिक परिस्थितियों ने उन्हें सही से हाथ नहीं खोलने दिए। 

अपने घर में ही राजकपूर , शम्मी कपूर , ऋषि कपूर , नीतू सिंह , गीता बाली आदि की कॉमर्शियल सक्सेस ने हमेशा उनके सामने एक अप्रत्यक्ष प्रेशर बना के रखा की वो  कमर्शियल  सिनेमा ही बनाएं।बावजूद इसके शशि कपूर सर ने आदि आदि बेहतरीन कला फ़िल्में बनायी।

उनके कलात्मक सिनेमा की इतनी गहरी समझ थी की  श्याम बेनेगल , गोविन्द निहलानी , जैसे निर्देशक भी अपनी कई फिल्मों की शुरुआत में उनसे सलाह मशविरा लिया करते थे।

“ज़ुनून” फिल्म एक छोटी रियासत के नवाब की कहानी है , जिसमे वो असल में सामंती संस्कृति से प्रभावित हुए ये सोचता है की वो जो चाहे वो हासिल कर सकता है। 

नयी गोरी मेम को पाने की हवस में वो अपने घर अपनी रियासत अपना सब कुछ लुटा बैठता है।  ये किरदार बहुत ही नेगेटिव शेड्स लिए हुए है। 

जिसमे वो अपनी सामंती हवस को मिटाने के लिए अपनी पूरी रियासत को बचाने के बहाने बर्बाद हो बैठता है। 

इस कैरेक्टर को अदा करना मतलब अपनी क्यूट लवर बॉय वाली इमेज को बर्बाद करना होता।  लेकिन शशि कपूर ने अपनी उम्र के हिसाब से फैसला लिया की वो खुद इस किरदार को करेंगे। 

वरना पहले नसीरुद्दीन शाह को ही ये किरदार करने के लिए सलेक्ट किया था। 

कलयुग फिल्म में उन्होंने महाभारत के कर्ण के जीवन की कुंठा अकेलेपन और ताउम्र समाज द्वारा अस्वीकारे जाने के दुःख को व्यक्त किया है।  कलयुग फिल्म भी उन्ही का प्रोडक्शन था। 

ये किरदार भी बहुत मुश्किल था , जिसमे उन्हें महाभारत के एक कैरेक्टर को आधुनिक समाज में एक इंडस्ट्रलिस्ट के रूप में परिवर्तित करना था। 

कम लोगो को ही पता है की उन्होंने अच्छी खासी संख्या में आर्ट फिल्मों में काम किया और खुद भी प्रोड्यूस करी थी.

भवानी जंक्शन , शेक्शपीयर वाला ,हॉउस होल्डर , इज़ाज़त , जूनून , कलयुग , छतीस चौरंगी लेन , उत्सव , इन कस्टडी आदि बेहतरीन फ़िल्में बनायीं थी। 

आर्ट फिल्मों के प्रति उनकी ये दीवानगी  उनके अगली पीढ़ी में भी चली गयी। 

आज भी उनकी बेटी संजना कपूर ख़ामोशी से थिएटर की  दुनिया में फुल  टाइम अपना योगदान देते हुए अपने पिता की ख्वाहिशों को गतिमान रखे हुए है। 

—-

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें