अग्नि आलोक
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उसे फुर्सत कहां है ……

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उसे फुर्सत कहां है

सिवाय सजने-सवरने के,

यह बात और है कि

जिंदगी के मायने हर किसी के लिए अलग-अलग है।

कुछ दूसरों की आंखों में आंसू देख कर दुखी है ,

तो कुछ दूसरों को रुलाने में ही मशगूल है।

यहां कहां है किसी को किसी की परवाह ?

यहां सब बेगाने हैं ,

कभी मिलोगे उदास नीरज से

तो वह भी रो देगा

जमाने का कितना दर्द है उसके सीने में।
हर रोज निकलता है

मरहम की खोज में पर यहां तो दवा कम दर्द ज्यादा है।

: नीरज कुमार

(अध्यक्ष), सर्वोदय जागरण मंच, भारत।

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