-निर्मल कुमार शर्मा
हकी़कत यही है कि हमारे देश में और दुनिया के अन्य देशों में भी,जो भी सत्तासीन होता है,उसे यह निर्धारित करने का विशेषाधिकार मिल जाता है कि उसके द्वारा शासित राज्य में कौन व्यक्ति देशभक्त है और कौन देशद्रोही या राष्ट्रद्रोही है ?यह निर्धारण प्रक्रिया इस बात में अन्तर्निहित है कि कौन व्यक्ति सत्ता के कर्णधारों के कितना नजदीक है और वह सत्ता की चाटुकारिता में कितना प्रशस्तिगीत गा रहा है और दूसरे व्यक्ति के खून में अपना जमीर बेचकर,अपना स्वाभिमान ताक पर रखकर,अपना सिद्धांत गिरवी रखकर,न सत्ता की चाटुकारिता पसंद है,न वह सत्ता से नजदीकियां बनाना पसंद करता है,वह निर्भीकतापूर्वक बिना लाग-लपेट के जो सत्य-परक तथ्य और बात है,वही बोलता और लिखता भी है,तो निश्चित तौर पर इसमें प्रथम चाटुकारिता चरित्र वाला का व्यक्ति,सत्ता की नजरों में देशभक्त और दूसरे चरित्र का व्यक्ति जो निडर होकर अपनी सत्य,निष्पृह तथा निष्पक्ष व यथार्थपरक बात कहता है,वह सत्ता के कर्णधारों की नजरों में निश्चित रूप से सदा देशद्रोही या राष्ट्द्रोही साबित हो जायेगा !
ये दोनों शब्द समय और सत्ता के सापेक्ष होते हैं,एक ही व्यक्ति एक समय में देशद्रोही होता है और वही व्यक्ति सत्ता बदलते ही देशभक्त ही नहीं लोकमान्य और राष्ट्रपिता के असीम और अनन्त सम्मान का हक़दार हो जाता है ! इसका सर्वोत्तम उदाहरण हमारे देश के दो महान सपूतों क्रमशः लोकमान्य बालगंगाधर तिलक और महात्मा गाँधी थे,ब्रिटिशसाम्राज्यवादियों के समय में सबसे पहला देशद्रोह का मुकदमा लोकमान्य बालगंगाधर तिलक पर चला था और दूसरा महात्मा गाँधी पर,गाँधीजी पर ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने एक पत्रिका वीकली जनरल में यंग इंडिया नामक लेख लिखने के कथित जुर्म में देशद्रोह का मुकदमा चलाया था । अभी 2010 में एक ऐसे डॉक्टर,डॉक्टर विनायक सेन पर, तत्कालीन सत्ताधारियों ने देशद्रोह का मुकदमा चलाया था,जिन्होंने इस देश में साम्राज्यवादी शक्तियों द्वारा बड़े धन्नासेठों और उद्योगपतियों के हित के लिए अपने अस्तित्व की अंतिम लड़ाई लड़ रहे और जिनके वंशमूल का नामोनिशान मिटा देने को आतुर ये सत्ताधारी व्यग्र हैं,भारत के उन आदिम आदिवासी,जातियों और जनजातियों जिनको पूंजीपतियों के समर्थक सत्ताधारियों द्वारा नक्सली करार दिया गया है,की सेवा करने वाले उस डॉक्टर बिनायक सेन पर कथित नक्सलियों की मदद करने का क्षद्म और झूठा आरोप लगाया,जिसे भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने 2011 में उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया ।
कालांतर में देश की स्वतंत्रता के पश्चात ब्रिटिश साम्राज्यवादियों के समय के कथित दोनों देशद्रोही स्वतंत्र भारत में क्रमशः लोकमान्य और दूसरे राष्ट्रपिता के नाम से आज भी सर्वोच्च सम्मान से सम्पूर्ण भारत की जनता-जनार्दन द्वारा ससम्मान स्मरण किए जाते हैं । इसलिए सत्ता के वर्तमान कर्णधारों द्वारा अपने विरोधी परन्तु सत्यनिष्ठ लोगों के विचारों के दमन करने हेतु देशद्रोही,राष्ट्रद्रोही या कुछ भी अनर्गल आरोप लगाना आश्चर्य की बात नहीं है ! सत्ताधारी और सत्ता के चाटुकार खुद देशद्रोह का निर्लज्जता पूर्वक कार्य करते रहते हैं,मसलन अपनी गलत नीतियों से लाखों किसानों को आत्महत्या को बाध्य करना,सरेआम सत्ता के चाटुकारों और गुँडों द्वारा निर्दोष लोगों की पीट-पीटकर हत्या करना, समाज के अमन-चैन में पलीता लगाकर धार्मिक वैमनष्यता फैलाकर दंगे करने की साजिश करना, जिसमें सरेआम सत्ता के पालित गुँडों द्वारा कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारियों तक का कर्तव्यनिर्वहन करते समय दिनदहाड़े निर्मम हत्या करना ही असली देशद्रोह और राष्ट्रद्रोह है । सत्ता के मद में चूर सत्ताधारियों से अपनी बात निर्भीकता पूर्वक कहना और अन्याय के खिलाफ बोलना ही देशद्रोह है और कन्हैया कुमार,उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य पर अनेक झूठे आरोप लगाकर देशद्रोह का मुकदमा चलाना तो कुछ नहीं है ! पिछले सालों में 6300 लोगों पर कथित राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया है,उन लोगों पर यूपीपीए मतलब अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट लगाकर उन्हें जेलों में ठूँस दिया जाता है,जबकि उनमें से मात्र 2 प्रतिशत लोगों पर ही सजा निर्धारित हो पाई है। आज मृणाल पांडेय,सिद्धार्थ वर्धराजन,राजदीप सरदेसाई, परेशनाथ आदि जैसे पत्रकारों और कांग्रेस नेता शशि थरूर जैसे नेताओं पर राजद्रोह का केस चल रहा है। इसके अलावे वाशिंगटन पोस्ट जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्र के अनुसार कम्प्यूटर हैक करके रोना विल्सन जैसे लोगों की छलपूर्वक गिरफ्तारी करने के बाद इस देश के अलग-अलग जगहों से 15 अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं,डॉक्टरों,वकीलों आदि की गिरफ्तारियां की गईं हैं,इन सभी पर आरोप है कि इन सभी लोगों का सम्बंध उक्त श्री रोना विल्सन से है
,इन गिरफ्तार लोगों में इंसानियत पर कविता लिखनेवाले 82 वर्षीय कवि श्री वरवरा राव,आईआईएम अहमदाबाद के 71वर्षीय प्रोफेसर आनन्द तेलतुंबड़े,प्रोफेसर श्रीमती शोमा सेन,आजीवन आदिवासियों और बेसहारा लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष करनेवाले 84 वर्षीय स्टैन स्वामी,विकलांगों की मदद करनेवाले वर्नन गोंजाल्विस और वकील अरूण फरेरा, सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा,महेश राउत,नताशा नरवाल,हैनी बाबू,सुधीर ढावले,गौतम गिलानी,देवांगना कालिता,सुरेंद्र गाडगिल आदि जैसे परोपकारी व नेकदिल लोगों को गिरफ्तार करके पिछले दो सालों से उन्हें जेलों में गैरकानून रूप से सड़ाया जा रहा है। सच्चाई यह है कि आज अगर भगवान कृष्ण, मर्यादापुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम,लोकमान्य बालगंगाधर तिलक,महात्मा गाँधी,नेताजी सुभाषचंद्र बोस,चन्द्रशेखर आजाद और शहीद-ए-आजम भगत सिंह भी जिन्दा होते और इन सत्ताधारियों के कुकृत्यों पर विरोध में अपनी आवाज उठाते तो, निश्चित तौर पर ये सत्ताधारी उनको भी देशद्रोही और राष्ट्रद्रोही घोषित कर उनको गिरफ्तार कर उन पर अवश्य मुकदमा चलाकर उन्हें भी आजीवन जेल की सजा दे देते ! बिडम्बना देखिए देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सरेआम उत्तेजक बयानबाजी करके और भाषण देकर दंगा फैलाकर सैकड़ों लोगों की सांप्रादायिक गुँडों से हत्या करानेवाले वाले कपिल मिश्रा,प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर जैसे दंगाई आज कथित सबसे बड़े देशभक्त बने बैठे हैं ! और उत्तर प्रदेश का मठाधीश मुख्यमंत्री का पिछला संपूर्ण जीवन अपराधों,दंगा कराने के प्रयास करने,सांप्रादायिक उत्तेजक ,जहर उगलने वाले भाषण देने और हत्यारे के रूप में दर्जनों मुकदमें का आरोपी आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर ठाठ से बैठा दिया गया है ! सबसे बड़ी बिडम्बना तो गुजरात के दो आतताइयों, दंगाईयों को जिन्हें इस देश का माननीय सुप्रीमकोर्ट इस राष्ट्र राज्य के लिए सबसे बड़ा दुश्मन मानता था,वे आज प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के पद पर बैठे हुए हैं ! ऐसे हत्यारों,दंगाइयों से इस देश का भला कैसे और क्यों हो जाएगा ! यह यक्ष प्रश्न है !
-निर्मल कुमार शर्मा, प्रतापविहार,गाजियाबाद, सम्पर्क-9910629632