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कौन बनेगा प्रदेश का चीफ सेक्रेटरी? क्या अनुराग जैन हैं ‘ट्रंप कार्ड’

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चिट्ठी में दूसरा नाम किसका?

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए डॉ. मोहन यादव की तरह ही क्या अब प्रदेश के नए चीफ सेक्रेटरी का नाम भी रहस्य और रोमांच भरा होगा? यह सवाल सुनने में इसलिए भी आ रहा है, क्योंकि प्रदेश की सत्ता के सूत्र दिल्ली में बैठे भाजपा हाईकमान के हाथों में हैं, जो संघ परिवार का फिर से थोड़ा बहुत सम्मान करने लगा है। भाजपा और केंद्र सरकार के नियंत्रक सम्दरे जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की गहरी रुचि शुरू से ही शासन-प्रशासन के बड़े अधिकारियों के परफॉमेंस और पसंद-नापसंद में रही है।

हर राज्य में शासन-प्रशासन के प्रमुख पदों पर योग्य अधिकारियों की नियुक्ति की उनकी कोशिश रहती है, कर भाजपा शासित राज्यों में। ऐसी स्थिति में मप्र के ख्य सचिव बताते हैं दिल्ली से ही होना है यह निर्णय।

मुख्यमंत्री की पसंद अनुसार भी हो सकता है और नहीं भी। ऐसा इसलिए क्योंकि मुख्य सचिव के लिए केंद्र सरकार में पदस्थ मप के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनुराग जैन का नाम हमेशा की तरह फिर सुनाई दे रहा है, जबकि वह चीफ सेक्रेटरी की दौड़ में सत्तागत कारणों से होते हुए भी नहीं होते हैं। ऐसा डॉ. मोहन सरकार की दस माही सरकार में दो बार हो चुका है। अब पांच दिन के बाद नए चीफ सेक्रेटरी का ऐलान होना है और इसके लिए अनुराग जैन का नाम एक बार फिर सामने आया है या हो सकता है लाया गया है। दोनों ही स्थितियों में कहा जा सकता है कि अनुराग चीफ सेक्रेटरी के पद के लिए केंद्र के ट्रंप कार्ड की तरह है।

वे उन ईमानदार, कुशल और नियम-कानून में सरकार को चलाने वाले अधिकारियों में हैं, जो कभी इस पद के लिए

लालायित नजर नहीं आए और न ही

इस पद के लिए उन्हें दौड़धूप करते

देखा गया। फिर भी मुख्य सचिव

खुलासा

Exclusive

के लिए उनका नाम हर बार ताकत के साथ कैसे आ जाता है। कहते हैं मप्र की सरकार के लिए केंद्र सरकार और संघ परिवार में उनका नाम मुख्य सचिव के लिए उपयुक्त मानते हुए योग्य अधिकारी के रूप में लिया जाता है। बावजूद इसके अनुराग मुख्य सचिव क्यों नहीं बन पाए? इस बार भी क्या ऐसा ही होगा?

यदि ऐसा होता है तो माना जा सकता है कि नए मुख्य सचिव के लिए मुख्यमंत्री की पसंद डॉ. राजेश राजोरा की राह आसान करने के लिए अनुराग जैन का नाम केंद्र को प्रेषित चिट्ठी में जोड़ा गया? इस पद के लिए डॉ. राजोरा के समक्ष और वरिष्ठ अधिकारी भी दावेदार हैं। कुछ अधिकारियों को तो सरकार ने धीरे से मुख्य सचिव पद की दो प्रतिस्पर्धा से बाहर कर दिया। शेष अधिकारियों में एसएन मिश्रा का नाम प्रमुखता से है। कहा गया कि केंद्र को भेजी चिट्ठी में डॉ. राजोरा

के साथ मिश्रा का नाम भी है। सूत्रों

के अनुसार चिठ्ठी में मिश्रा का नाम शामिल नहीं किया गया। मुख्य सचिव पद के लिए डॉ.

फिल्हाल मुख्य सचिव वीरा राणा के बाद सिर्फ मोहम्मद सुलेमान ही राजोरा से सीनियर अफसर है और मुख्य सचिव पद की दौड़ से बाहर होने के बावजूद मजे में बताए जाते हैं। वैसे भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकार किसी की भी हो, वह ताकतवर अधिकारी के रूप में बने रहते हैं।

आगामी 30 सितंबर को वर्तमान मुख्य सचिव राणा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। वह एक्सटेंशन पर पदस्थ थी और पुनः एक्सटेंशन मिलने की उम्मीद थी। ऐसा हो भी सकता हैं. यदि नए मुख्य सचिव पद के लिए मुख्यमंत्री और केंद्र के बीच अंतिम निर्णय लंबित हो जाए, क्योंकि अंदरूनी तौर पर आईएएस अधिकारियों के नाम को लेकर काफी खींचतान

राजोरा निर्विवाद योग्य, कुशल व अनुभवी अधिकारी हैं। इसीलिए वे मुख्यमंत्री के पसंदीदा और भरोसेमंद हैं। उनकी संभावना तभी बलवती होगी, जब मुख्यमंत्री से हाईकमान सहमत हो जाए। यदि ऐसा नहीं होता है और मुख्य सचिव के रूप में हाईकमान अपने भरोसेमंद अधिकारी अनुराग जैन को मप्र भेजता है, तो डॉ. मोहन सरकार के लिए साफ संदेश होगा कि मंत्रियों की मनमानी से भ्रष्टाचार में डूबा सिस्टम, संघ के शक्ति केंद्रों का दबाव प्रभाव, कुछ महत्वाकांक्षी सत्ताधारी नेता-मंत्रियों के साथ उनके करीबी संघकमों के सानिध्य में सत्ता षड्यंत्र जैसे मामले चिंताजनक हो गए हैं। इसलिए कठोर और दबाव-प्रभाव में आए बिना काम

करने वाले मुख्य सचिव की जरूरत है। ऐसा होता है तो अनुराग जैन की एक वर्ष के लिए घर वापसी हो जाएगी। उनके बारे में हमेशा कहा गया, कभी निजी तो कभी मुख्यमंत्री की पसंद नापसंद के कारण तो कभी केंद्र सरकार के कारण

वे मुख्य सचिव नहीं बन पाए। 

बनी रहती है तो कई बार हाईकमान के पास निर्णय के लिए समय का भी अभाव होता है। ऐसे में अगले छह महीने के लिए फिर से राणा अपने्प द पर बनी रह सकती हैं। इस बार स्थिति भिन्न है कारण राणा के एक्सटेंशन की संभावना कम होती है। राजोरा और अनुराग जैन के बीच निर्णायक स्थिति मानी जा रही है। 1990 बैच के आईएएस अनुराग जैन फिलहाल दिल्ली में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में सचिव पद पर कार्यरत हैं, जबकि डॉ. राजेश राजोरा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अपर मुख्य सचिव हैं।

अनुराग जैन, मोहम्मद सुलेमान, आशीष उपाध्याय, विनोद कुमार और जयनारायण कंसोटिया,राजेश राजोरा सबसे आगे हैं। उनके रिटायरमेंट में अभी तीन साल बाकी हैं, इसलिए भी उनका दावा मजबूत है। 

,्मुख्य सचिव पद के लिए उनका नाम रहस्य से भरा रहा है।

यदि वे आए तो राज्य सरकार के लिए दूसरा कोई वैकल्पिक नाम नहीं होगा, क्योंकि सबसे वरिष्ठ अधिकारी अनुयग ही हैं।

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