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आनासागर के नो कंस्ट्रक्शन जोन में हुए अवैध कब्जों को क्यों नहीं हटाया जा रहा?

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एस पी मित्तल,अजमेर

अजमेर के बीचो बीच बनी प्राकृतिक झील आना सागर को भू माफियाओं से बचाने के लिए हाईकोर्ट ने झील संरक्षण कमेटी बना कर रिपोर्ट तलब की है। हाईकोर्ट की इस कमेटी के निर्देश पर अजमेर प्रशासन अभी रिपोर्ट तैयार कर रही रहा है कि अब राज्य सरकार के स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. जोगाराम ने सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर भूपेंद्र माथुर के नेतृत्व में एक और कमेटी बना दी है। इस कमेटी के सदस्य भी अजमेर आकर जांच पड़ताल कर रहे हैं। इससे पहले भी आनासागर को लेकर अनेक जांच कमेटियां बनी, लेकिन आज तक भी आनासागर को भू माफियाओं के चंगुल से नहीं बचाया जा सका। 10 नवंबर को भी भूपेंद्र माथुर वाली कमेटी जब आना सागर का भ्रमण कर रही थी, तब भी भराव क्षेत्र में मिट्टी डाल कर आनासागर को छोटा किया जा रहा था। कमेटी पर कमेटी का तर्क समझ से परे है। जनवरी 2014 में आनासागर के भराव क्षेत्र को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया गया था। इस आदेश का गजट नोटिफिकेशन भी हो चुका है। ऐसे में जनवरी 2014 के बाद हुए अवैध निर्माण टूटने ही चाहिए। जिला प्रशासन से लेकर सभी जांच कमेटियों के पास 2014 से लेकर 2022 तक की सैटेलाइट इमेज है। इससे आसानी से पता चल सकता है कि 2014 से अब तक कितना अवैध निर्माण हुआ है। जांच करने के बजाए अवैध निर्माणों को तत्काल प्रभाव से तोड़ा जाए। अजमेर के लोगों को हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई झील संरक्षण समिति के अध्यक्ष डॉ. समित शर्मा (आईएएस) पर बहुत भरोसा है। डॉ. शर्मा ने जनवरी 2014 और नवंबर 2022 की सैटेलाइट इमेज भी तैयार कर ली है। डॉ. शर्मा को अब जिला प्रशासन की रिपोर्ट का इंतजार है। हो सकता है कि रिपोर्ट मिलने के बाद आनासागर के भराव क्षेत्र में हुए अवैध निर्माणों पर सख्त कार्यवाही हो। डॉ. समित शर्मा आनासागर के भराव क्षेत्र से अवैध कब्जों को हटाने को लेकर बेहद गंभीर हैं।

भराव क्षमता 16 फिट हो:

अजमेर यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष और आनासागर बचाओ समिति के अध्यक्ष धर्मेन्द्र जैन मांग की है कि आनासागर की भराव क्षमता को पुन: 16 फिट किया जाए। झील संरक्षण समिति के प्रमुख डॉ. समित शर्मा और जिला कलेक्टर अंशदीप को लिखे पत्र में जैन ने बताया कि 1975 तक आनासागर की भराव क्षमता 16  फिट थी, 16  फिट भराव क्षमता होने के कारण आनासागर के चारों तरफ पानी भरा रहता था। यही वजह थी कि भराव क्षेत्र में अवैध निर्माण भी नहीं हो पा रहे थे। लेकिन भू माफियाओं और अधिकारियों की आपसी मिलीभगत के कारण आनासागर की भराव क्षमता को 13 फिट कर दिया। इससे भराव क्षेत्र खाली रहने लगा और भू माफियाओं ने अवैध निर्माण कर लिए। अब तो आनासागर के भराव क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियां भी धड़ल्ले से हो रही है। जैन ने पत्र में आग्रह किया है कि आनासागर को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए राजस्व विभाग, नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण, स्मार्ट सिटी आदि विभागों का सहयोग लिया जाए। उन्होंने 1947 से अब तक के राजस्व रिकॉर्ड की जांच पड़ताल कराने की मांग भी की है। पत्र में कहा गया कि उन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए जिन्होंने भराव क्षमता को 16 फिट से घटाकर 13 फिट किया है। यदि आनासागर में 16 फिट तक पानी भरा जाता है तो अवैध कब्जों की समस्या भी हर जो जाएगी। 

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