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काला रंग शर्म की बात क्यों?…बोलीं केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन

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तिरुवनंतपुरम: केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ऐसा पोस्ट साझा किया जिसने समाज में रंगभेद को लेकर गहरी चर्चा छेड़ दी है। शारदा, जिन्होंने पिछले साल सितंबर में अपने पति वी. वेणु से मुख्य सचिव का पद संभाला था, ने बताया कि कैसे उनके रंग को लेकर टिप्पणी की गई और कैसे इस टिप्पणी ने उन्हें जीवनभर झेली गई हीन भावना को सामने लाने पर मजबूर कर दिया। किसी ने उनकी तुलना करते हुए कहा कि उनका नेतृत्व उतना ही काला है जितना उनके पति का सफेद था। इस टिप्पणी ने न केवल उनके आत्मसम्मान को झकझोर दिया, बल्कि उनके भीतर दबी पीड़ा को भी बाहर ला दिया।

जब कालेपन को शर्म नहीं, गर्व बनाना पड़ा

शारदा मुरलीधरन ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, मुझे अपने कालेपन को अपनाना है। उन्होंने बताया कि यह एक ऐसी टिप्पणी थी जो उनके भीतर वर्षों से दबे जख्मों को कुरेद गई। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा कि कैसे सात महीनों से लगातार उनकी तुलना उनके पति के कार्यकाल से की जा रही थी। लेकिन इस बार बात सिर्फ प्रदर्शन की नहीं थी, बल्कि उनके रंग को ‘काला’ कहकर नीचा दिखाया जा रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में काले रंग को हमेशा नकारात्मकता और हीनता का प्रतीक बना दिया गया है, जबकि वास्तव में काला रंग ऊर्जा का प्रतीक है, वह रंग जो हर चीज को अपने में समेट लेता है, जो शाम के पहनावे का आकर्षण बनता है और बारिश का वादा करता है।

बच्चों ने सिखाया कि काला भी सुंदर

शारदा ने अपने पोस्ट में बताया कि बचपन में उन्होंने अपनी मां से यह तक पूछा था कि क्या वह उन्हें फिर से जन्म दे सकती हैं ताकि वह गोरी होकर इस दुनिया में आएं। यह बताता है कि कैसे समाज का रंगभेद हमारे भीतर आत्महीनता भर देता है। लेकिन उनकी सोच तब बदली जब उनके बच्चे आए। उन्होंने लिखा कि उनके बच्चों ने काले रंग को गर्व और सुंदरता के रूप में देखा। उन्होंने जहां कमियां ढूंढी, वहीं उनके बच्चों ने खूबसूरती देखी। उनके बच्चों ने सिखाया कि काला भी सुंदर है, आत्मविश्वास का रंग है।

कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन ने भी शारदा के इस पोस्ट की सराहना करते हुए कहा, सैल्यूट शारदा मुरलीधरन, आपके हर शब्द दिल को छू जाने वाले हैं। यह विषय वाकई चर्चा का हकदार है। मेरी मां का रंग भी गहरा था और मैं इस भावना को समझता हूं। शारदा मुरलीधरन का यह भावुक और बेबाक पोस्ट इस बात की गवाही है कि अब समय आ गया है जब समाज को रंगभेद जैसे मुद्दों पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। उनका यह अनुभव कई और लोगों को अपनी हीन भावना से बाहर निकलने की प्रेरणा दे सकता है।

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