आज मात्र 105 रुपये 76 पैसे मात्र प्रति लीटर की दर से 700 रूपये का पेट्रोल भरवाया। सम्भव है कि जब तक यह पेट्रोल चले,अगली बार यह पेट्रोल 120 या 125 रुपये लीटर हो जाय। “सो तो ठीक है, लेकिन यह ‘मात्र ‘ शब्द हमें चिढ़ाने के लिए लिखा गया है ? ” यह सवाल कोई भी हमारा भाई पूछ सकता है,कोई यह भी कहे कि यह घमण्ड की भाषा है,यदि मैं जवाब में यह कह दूँ कि “छोड़ो यार,कोई बात नहीं,हो जाने दो 500 रुपये लीटर “तो अनुमान लगाइये कि यह भाषा कितनी असभ्य,क्रूर तथा अमानवीय भाषा होगी और मनुष्यता से शून्य भी ! यह अव्वल दर्जे की नीचता होगी ! यह एक दम्भ तथा अहंकार से परिपूर्ण संवेदनशून्य भाषा है ! ऐसी भाषा बोलने वाले भी इसी देश में हैं,जो अपने सिवा किसी के बारे में नहीं सोचते !
भारत के कथित लोकतंत्र में ऐसे-ऐसे राजनेता ?हैं,जो पूरे धनपशु या डकैत-प्रवृत्ति के हैं,उन्हें कुछ समझ में नहीं आता कि वे क्या बोल रहे हैं ! वे न तो इतिहास को जानते हैं !न भूगोल को ! उन्हें न तो अर्थशास्त्र का तनिक ज्ञान है ! न भारतीय समाज का ! वे निहायत गैरजिम्मेदार, अनैतिक,भ्रष्ट और पतित भी हैं ! वे इतना भी नहीं जानते कि कुछ चीजें ऐसी होती हैं,जिनकी बढ़ती कीमतों के कन्धे पर महँगाई की महारानी सवारी कसती है। निर्मम, क्रूर और अत्याचारी महँगाई रूपी महारानी कमज़ोरों तथा मज़लूमों को अपने दुर्मद रथ के पहिये के नीचे कुचल डालना चाहती है !
अरे भाई ! कुत्ते और बिल्ली केवल अपने पेट का खयाल रखते हैं। यदि मनुष्य भी वही करने लगे तो उसे कुत्ते-बिल्ली से श्रेष्ठ तो नहींं कहा जा सकता ! और अगर खुद अपने जैसे कुछ पतितों के अन्धे पेट को भरने के लिए किसी की आँतें खखोल कर निकाल ले तो उसे तो हम शैतान ही कहना पसन्द करेंगे। जी हाँ ! यदि वे अपने वैभव-विलास और उसके स्थायित्व के लिए करोड़ों लोगों के वर्तमान और भविष्य की बोटी-बोटी नोचने को तैयार हैं तो ऐसों को राक्षस ही कहा जा सकता है ! हम नहीं जानते कि इस जालिम दुनिया की वे कौन सी नीतियाँ हैं,जो मुट्ठी भर लोगों की झोली में करोड़ों-अरबों व्यक्तियों के खून-पसीने की कमाई डाल सुख-चैन की बाँसुरी बजाना चाहती हैं !
हाँ अगर कहीं ईश्वर है तो उसे इस देश और दुनिया को ऐसे आतताईयों की मुट्ठी में जाने से बचा लेना चहिए और उन राक्षसों का तुरंत वध कर देना चाहिए। आमीन।
- डॉक्टर अमलदार नीहार ,
विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, डॉक्टर मुरली मनोहर डिग्री कॉलेज ,बलिया, उप्र ,
संकलन -निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद, उप्र,संपर्क -9910629632,ईमेल -
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