इन दिनों वॉट्सऐप पर एक मैसेज खूब सर्कुलेट हो रहा है। इसमें दावा किया गया है कि पैक आटे में कीड़े नहीं पड़ते। ऐसा क्यों होता है, इसका भी कारण बताया गया है। इसके लिए एक कैमिकल को वजह बताया गया है जो किडनी खराब कर सकता है। क्या यह सही है कि पैक आटे में कीड़े नहीं पड़ते हैं।
नई दिल्ली: पैकिंग वाले आटे में कीड़े क्यों नहीं पड़ते? इस सवाल के जवाब में वॉट्सऐप पर आंखें खोल देने वाला सच बताया जा रहा है। यह मैसेज धुआंधार तरीके से सर्कुलेट हो रहा है। पता नहीं आपके पास अब तक पहुंचा है कि नहीं। इसमें पैक आटे में कीड़े न पड़ने का दावा किया गया है। इसके पीछे एक कैमिकल को कारण बताया गया है। इसका नाम बेंजोएल परऑक्साइड है। दावा किया गया है कि इसी कारण पैक आटा लंबे समय तक खराब होने से बचा रहता है। पैक आटे में कीड़े न पड़ने की वजह भी यही है। वरना 2 महीने के अंदर पिसवाकर लाए आटे में कीड़े लग जाते हैं। ऐसा होना स्वाभाविक है। लोगों से जुड़ा होने के कारण हमने भी इस सवाल की पड़ताल करना अपनी जिम्मेदारी समझी। इसके लिए एक्सपर्ट्स से बात की। आइए, यहां इस वायरल मैसेज का सच जानते हैं। यह भी जानते हैं कि क्या वाकई पैक आटे में कीड़े नहीं पड़ते हैं?
क्या मैसेज सर्कुलेट हो रहा है?
आटे को लेकर वॉटसऐप पर आ रहे मैसेज में कई तरह के दावे किए गए हैं। इसमें पैकिंग आटे में कीड़े क्यों नही पड़ते इसका जवाब दिया गया है। मैसेज में कहा गया है कि सच आंखें खोल देगा। मैसेज के अनुसार, एक प्रयोग करके देखें। गेहूं का आटा पिसवाकर उसे 2 महीने स्टोर करने का प्रयास करें। आटे में कीड़े पड़ जाना स्वाभाविक है। आप आटा स्टोर नहीं कर पाएंगे। फिर ये बड़े-बड़े ब्रांड आटा कैसे स्टोर कर पा रहे हैं? यह सोचने वाली बात है।
मैसेज में आगे कहा गया है कि एक केमिकल है- बेंजोएल परऑक्साइड। इसे ‘फ्लोर इम्प्रूवर’ भी कहा जाता है। इसकी परमिसिबल लिमिट 4 मिलीग्राम है। लेकिन, आटा बनाने वाली फर्में 400 मिलीग्राम तक ठोक देती हैं। कारण क्या है? आटा खराब होने से लंबे समय तक बचा रहे। बेशक उपभोक्ता की किडनी का बैंड बज जाए। ऐसे में कोशिश करें खुद सीधे गेहूं खरीदकर अपना आटा पिसवाकर खाएं।
यह बात कितनी सच है?
इस मैसेज की पड़ताल करने पर पता चलता है कि इसमें थोड़ा सच और थोड़ा झूठ मिलाजुलाकर पेश किया गया है। CSIR IITR के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ उमाशंकर श्रीवास्तव इस जानकारी को गलत करार देते हैं। वह कहते हैं कि बेशक इस केमिकल का इस्तेमाल इम्प्रूवर के तौर पर होता है। लेकिन, लैब में टेस्ट किए गए आटे के सैंपलों में यह नहीं पाया गया। इतने लार्ज स्केल पर कैमिकल मिलाना संभव नहीं है। इसे आप खुद भी टेस्ट कर सकते हैं। अगर आप पैक आटे को खुले में छोड़ देंगे तो उसमें भी कीड़े पड़ जाएंगे। बेंजोएल परऑक्साइड का इस्तेमाल पैन केक जैसे कनफेक्शनरी आइटम्स के प्रिपरेशन में ही होता है।
सेंटर फॉर फूड सेफ्टी के मुताबिक, बेंजोएल परऑक्साइड फूड ऐडेटिव है। कुछ जगहों पर इसे आटे में ट्रीटमेंट एजेंट (इम्प्रूवर) के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। यह आटे में मौजूद कैरोटिनॉएड्स को ऑक्सिडाइज करता है। प्राकृतिक रूप से मौजूद यह कैरोटिनॉएड आटे में हल्का पीलापन लाता है। बेजोएल परऑक्साइड इसमें सफेदी देता है। जब आटा रोटी में तब्दील होता है तो बेंजोएल परऑक्साइड बेंजोइक एसिड में बदल जाता है। बेंजोइक एसिड साधारण तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला प्रिजर्वेटिव है। बाद में बेंजोइक एसिड पेशाब के जरिये निकल जाता है। कैंसर पर इंटरनेशनल एजेंसी ऑफ रिसर्च के अनुसार, बेंजोएल परऑक्साइड को कार्सिनोजन के तौर पर क्लासिफाई नहीं किया गया है।