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*पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड पर क्यों मेहरबान हैं छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू?*

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*300 करोड़ की नजूल की जमीन 20 हज़ार रुपये प्रतिवर्ग फुट में विवेक ढांड ने बेच दी डी-मार्ट को*

*विजया पाठक,*

पूर्व मुख्य सचिव भू-माफिया विवेक ढांड पर छत्तीसगढ़ सरकार की छत्रछाया क्यों बरकरार हैं? यह गंभीर सवाल है, इसके भ्रष्टाचार की जांच क्यों नहीं की जा रही? जबकि बहुचर्चित महादेव सट्टा एप मामले में, बहुचर्चित शराब घोटाले में भी भू-माफिया विवेक ढांढ का नाम सामने आया था। साथ ही छत्तीसगढ़ में एक हज़ार करोड़ के एनजीओ घोटाले में भी विवेक ढांड का नाम है। इसके साथ ही पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के फ्री होल्ड के आदेश को निरस्त करते हुए छत्तीससगढ़ सरकार ने विवेक ढांड को खुली छूट क्यों दे दी? परिणामस्वरुप नजूल की जमीन को बेचने का कार्य विवेक ढांड ने कर दिया। सूत्रों प्राप्त जानकारी के अनुसार 20 हज़ार रुपये प्रति वर्गफीट में जमीन बेची गई है। जिसकी कीमत लगभग 300 करोड़ रुपये से ऊपर आंकी गई है। छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो इसकी प्रकरण की जांच क्यों नहीं कर रहा है।

रायपुर की लगभग सभी हाऊसिंग बोर्ड की कालोनियों के आसपास की जमीन विवेक ढांड एंड कंपनी जिसमें एक सीए जैन और उसके आदमियों का नाम दर्ज है। ये सब हुआ था जब वर्तमान रेरा अध्यक्ष आईएफएस संजय शुक्ला हाऊसिंग बोर्ड के पदाधिकारी थे। संजय शुक्ला विवेक ढांड के रेरा में उत्तराधिकारी बनकर बैठे हैं। इनकी भी अरबों की नामी बेनामी संपत्तियां हैं, जिनकी शिकायत छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के पास लंबित है। इन पर भी ईओडब्ल्यू क्यों मेहरबान है?

*छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव भू-माफिया विवेक ढांड के काले कारनामें*

नजूल की 1,53,000 वर्गफिट जमीन पर कब्जा करके पहले 1964 के फ़र्ज़ी रजिस्ट्री दस्तावेज तैयार कर उन्हें आईएएस अधिकारी तारन प्रकाश सिन्हा से सत्यापित करवाया। जमीन के बाद में आवासीय उपयोग के लिये नजूल के पट्टे बनवाये गए। नजूल भूमि ब्लॉक नम्बर 15 प्लॉट नम्बर 17/38 क्षेत्रफल 23000 वर्गफीट। प्लॉट नम्बर 17/39 क्षेत्रफल 37,000 वर्गफीट विवेक कुमार ढांड आत्मज स्व. श्री सतपाल ढांड, डॉ. श्रीमती रंजना खोसला आत्मज स्व. श्री सतपाल ढांड, कुमारी साधना ढांड आत्मज स्व. सतपाल ढांड, डॉ. श्रीमती अरुणा पलटा के नाम पर नजूल का पट्टा लिया। आम जनता को जहाँ आवास के लिए जमीन नहीं मिल पाती, जहाँ हजारों-लाखों की संख्या में लोग किराए के मकान में अपना सारा जीवन गुजार देते हैं, वहीं भू-माफिया, रसूखदारों के लिए शासकीय आबादी जमीन वरदान साबित होती है। 

*जानें कौन हैं पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड?*

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड को इस पूरे घोटाले का मास्टर माइंड बताया गया है। ईडी ने इस मामले में पूर्वमंत्री कवासी लखमा को भी गिरफ्तार किया है। कवासी लखमा छत्तीसगढ़ सरकार में आबकारी विभाग के मंत्री थे। पूर्व मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी के खिलाफ कोर्ट में पेश किए गए आवेदन में विवेक ढांड को पूरे घोटाले का मास्टर माइंड बताया गया है। कहा गया है कि ढांड के निर्देशन में अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अरुणपति त्रिपाठी काम कर रहे थे। यह भी दावा किया गया है कि घोटाले में पूर्व आईएएस अधिकारी विवेक ढांड को हिस्सेदारी भी दी गई है। विवेक ढांड 1981 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वह छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं। ढांड 01 मार्च 2014 को राज्य के मुख्य सचिव बने थे। उनके नाम सबसे लंबे समय तक मुख्य सचिव बने रहने का रिकॉर्ड है। वह 03 साल 07 महीने से ज्यादा समय तक राज्य के मुख्य सचिव रहे। विवेक ढांड भूपेश बघेल की सरकार में नवाचार आयोग के अध्यक्ष पद पर काम कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

*कंपनियों से कराते थे शराब का अवैध उत्पादन*

दावा किया गया है कि शराब घोटाले में शामिल लोग शराब कंपनियों से शराब का अवैध उत्पादन करवाते थे। इस अवैध शराब की सप्लाई शराब घोटाले के सिंडेकेट चलाते थे। जिसके बदले में उन्हें कमीशन मिलता था। ईडी के अनुसार, 2019 से 2022 तक लाइसेंसी शराब की दुकानों पर नकली होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची जाती थी। जिससे राजस्व विभाग को करोड़ों का नुकसान हुआ है। इस घोटाले का खुलासा कांग्रेस की सरकार में हुआ था। ईडी ने इस मामले में कई सीनियर अधिकारियों और कारोबारियों को गिरफ्तार किया है। शराब घोटाले में पूर्व मंत्री कवासी लखमा समेत कई अधिकारी और कारोबारी जेल में हैं।

*कवासी लखमा के घर में हुई थी रेड*

शराब घोटाले को लेकर ईडी की टीम ने 28 दिसंबर को पूर्व मंत्री कवासी लखमा के यहां रेड की थी। ईडी ने दावा किया था कि कवासी लखमा के घर से उसे घोटाले में शामिल होने के कई सबूत मिले हैं। ईडी की पूछताछ में आबकारी विभाग के अधिकारी इकबाल खान और जयंत देवांगन ने इस बात की पुष्टि की थी कि वह लोग पैसों की व्यवस्था करके पूर्व मंत्री को भेजते थे। वहीं, भेजी गई सरकार को सुकमा में कन्हैयालाल कुर्रे कलेक्ट करता था।

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