~ नीलम ज्योति
थाईलेंड में संवैधानिक रूप में राम राज्य हैl वहां राम के छोटे पुत्र कुश के वंशज सम्राट “भूमिबल अतुल्य तेज” राज्य कर रहे हैं, जिन्हें नौवां राम कहा जाता हैl
महर्षि वाल्मीकि राम के समकालीन थे. रामायण के बालकाण्ड के सर्ग 70, 71 और 73 में राम और उनके तीनों भाइयों के विवाह का वर्णन है.
मिथिला के राजा सीरध्वज थे. इन्हें लोग विदेह भी कहते थे. उनकी पत्नी का नाम सुनेत्रा (सुनयना) था, जिनकी पुत्री सीता जी थीं. इनका विवाह राम से हुआ थाl
राजा जनक के कुशध्वज नाम के भाई थेl इनकी राजधानी सांकाश्य नगर थी, जो इक्षुमती नदी के किनारे थीl इन्होंने अपनी बेटी उर्मिला का विवाह लक्षमण से, मांडवी का भरत से, और श्रुतिकीति का शत्रुघ्न से करायाl
केशव दास रचित रामचन्द्रिका (पृष्ठ 354) के अनुसार, राम-सीता के पुत्र लव और कुश, लक्ष्मण-उर्मिला के पुत्र अंगद और चन्द्रकेतु,भरत-मांडवी के पुत्र पुष्कर और तक्ष,शत्रुघ्न-श्रुतिकीर्ति के पुत्र सुबाहु और शत्रुघात हुएl
राम के समय ही राज्यों बँटवारा इस प्रकार हुआ था :
पश्चिम में लव को लवपुर (लाहौर), पूर्व में कुश को कुशावती, तक्ष को तक्षशिला, अंगद को अंगद नगर, चन्द्रकेतु को चंद्रावतीl
कुश ने अपना राज्य पूर्व की तरफ फैलाया और एक नाग वंशी कन्या से विवाह कियाl थाईलैंड के राजा उसी कुश के वंशज हैंl इस वंश को “चक्री वंश” कहा जाता हैl
चूँकि राम को विष्णु का अवतार माना जाता है और विष्णु का आयुध चक्र है इसी लिए थाईलेंड के लॉग चक्री वंश के हर राजा को “राम ” की उपाधि देकर नाम के साथ संख्या दे देते हैंl जैसे अभी राम (9 th ) राजा हैं।
थाईलैंड की अयोध्या :
लोग थाईलैंड की राजधानी को अंग्रेजी में बैंगकॉक (Bangkok) कहते हैं. इसका सरकारी नाम इतना बड़ा है की इसे विश्व का सबसे बडा नाम माना जाता है. इसका नाम संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है. देवनागरी लिपि में पूरा नाम है–
क्रुंग देव महानगर अमर रत्न कोसिन्द्र महिन्द्रायुध्या महा तिलक भव नवरत्न रजधानी पुरी रम्य उत्तम राज निवेशन महास्थान अमर विमान अवतार स्थित शक्रदत्तिय विष्णु कर्म प्रसिद्धि.
थाई भाषा में इस पूरे नाम में कुल 163 अक्षरों का प्रयोग किया गया हैl इसे बोला नहीं बल्कि गाकर कहा जाता हैl कुछ लोग आसानी के लिए इसे महेंद्र अयोध्या भी कहते हैंl अर्थात इंद्र द्वारा निर्मित महान अयोध्याl थाईलैंड के जितने भी राम (राजा) हुए हैं, सभी इसी अयोध्या में रहते आये हैंl
बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग अपने राजा को राम का वंशज होने से विष्णु का अवतार मानते हैं. इसलिए, थाईलैंड में पूरी तरह से राम राज्य हैl वहां के राजा को भगवान श्रीराम का वंशज माना जाता है. थाईलैंड में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना 1932 में हुई।
राम के वंशजों की यह स्थिति है कि उन्हें निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर कभी भी विवाद या आलोचना के घेरे में नहीं लाया जा सकता है. वे पूजनीय हैं।
थाई शाही परिवार के सदस्यों के सम्मुख थाई जनता उनके सम्मानार्थ सीधे खड़ी नहीं हो सकती है बल्कि उन्हें झुक कर खडे़ होना पड़ता है. उनकी तीन पुत्रियों में से एक हिन्दू धर्म की मर्मज्ञ मानी जाती हैं।
थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध लोग बहुसंख्यक हैं , फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण हैl इसे थाई भाषा में राम-कियेन कहते हैंl इसका अर्थ राम-कीर्ति होता है, जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित हैl
इस ग्रन्थ की मूलप्रति सन 1767 में नष्ट हो गयी थी. इसे चक्री राजा प्रथम राम (1736–1809) ने अपनी स्मरण-शक्ति से फिर से लिख लिया थाl
थाईलैंड में राम कियेन पर आधारित नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन देखना धार्मिक कार्य माना जाता हैl राम कियेन के मुख्य पात्रों के नाम हैं :
राम (राम), लक (लक्ष्मण), पाली (बाली), सुक्रीप (सुग्रीव), ओन्कोट (अंगद), खोम्पून (जाम्बवन्त), बिपेक (विभीषण), तोतस कन (दशकण्ठ रावण), सदायु (जटायु), सुपनमच्छा (शूर्पणखा), मारित (मारीच), इन्द्रचित (इंद्रजीत मेघनाद), फ्रपाई(वायुदेव ), इत्यादि l
थाई राम कियेन में हनुमान की पुत्री और विभीषण की पत्नी का नाम भी है, जो सब लोग नहीं जानतेl
थाईलैंड में बौद्ध बहुसंख्यक और हिन्दू अल्प संख्यक हैंl वहां कभी सम्प्रदायवादी दंगे नहीं हुएl
थाई लैंड में बौद्धजन जिन हिन्दू देवताओं की पूजा करते है, उनके नाम हैं :
ईसुअन (ईश्वन)ईश्वर शिव
नाराइ (नारायण) विष्णु
फ्रॉम (ब्रह्म) ब्रह्मा
इन (इंद्र)
आथित (आदित्य) सूर्य
पाय (पवन) वायु l
थाईलैंड का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड़
गरुड़ एक बड़े आकार का पक्षी है , जो लगभग लुप्त हो गया हैl अंगरेजी में इसे ब्राह्मणी पक्षी (The brahminy kite ) कहा जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम हालिस्तूर इंडस हैl
फ्रैंच पक्षी विशेषज्ञ मथुरिन जैक्स ब्रिसन ने इसे सन 1760 में पहली बार देखा था, और इसका नाम Falco indus रख दिया था. इन्होने दक्षिण भारत के पाण्डिचेरी शहर के पहाड़ों में गरुड़ पक्षी भी देखा थाl इससे सिद्ध होता है कि गरुड़ काल्पनिक पक्षी नहीं हैl गरुड़ को विष्णु का वाहन माना गया हैl
चूँकि राम विष्णु के अवतार माने गए हैं और थाईलैंड के राजा राम के वंशज है इसलिए उन्होंने गरुड़ को राष्ट्रीय चिन्ह घोषित किया हैl थाई संसद के सामने भी गरुड़ बना हुआ है।
थाईलैंड की राजधानी के हवाई अड्डे का नाम सुवर्ण भूमि हैl यह आकार के मुताबिक दुनिया का दूसरे नंबर का एयर पोर्ट हैl इसका क्षेत्रफल 563,000 स्क्वेअर मीटर है। इसके स्वागत हाल के अंदर समुद्र मंथन का दृश्य बना हुआ हैl
पौराणिक कथा के अनुसार देवोँ और ससुरों ने अमृत निकालने के लिए समुद्र का मंथन किया थाl इसके लिए रस्सी के लिए वासुकि नाग, मथानी के लिए मेरु पर्वत का प्रयोग किया थाl नाग के फन की तरफ असुर और पुंछ की तरफ देवता थेl मथानी को स्थिर रखने के लिए कच्छप के रूप में विष्णु थेl जो भी व्यक्ति इस ऐयर पोर्ट के हॉल जाता है वह यह दृश्य देख कर मन्त्र मुग्ध हो जाता है।