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पुराने पंबन ब्रिज के होने के बाद नए पबंन ब्रिज की जरूरत क्यों पड़ी? 

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एशिया का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज: जब निकलेंगे शिप तब 72 फीट ऊपर उठ जाएगा एक हिस्सा ,भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में जल्द ही एक नया मानक स्थापित होने वाला है। दरअसल, अगले महीने ही देश में नए पंबन ब्रिज का उद्घाटन होने वाला है, जो कि भारत में मंडपम से जाने वाले रेल नेटवर्क को पंबन द्वीप पर मौजूद रामेश्वरम से जोड़ेगा। इसी के साथ मौजूदा समय में मंडपम और रामेश्वरम के बीच बने 1914 में बने पुराने पंबन ब्रिज को हटाने की प्रक्रिया को शुरू किया जा सकता है। 

तमिलनाडु के पुराने पंबन ब्रिज की सेहत पर नज़र रखने के लिए लगाए गए सेंसर ने दिसंबर 2022 में रेड अलर्ट दिया। इस रेड अलर्ट के बाद रामेश्वरम स्टेशन पर ट्रेन सेवा बंद कर दी गई थी। रामेश्वरम द्वीप के निवासियों ने देखा कि एक खाली ट्रेन रेक को डीजल इंजन खींच था, जो दो साल से अधिक समय से बेकार पड़ी पटरियों पर यात्रा कर रही थी।

इस बीच नए पंबन ब्रिज को लेकर कई तरह के सवाल हैं। आखिर पुराने पंबन ब्रिज के होने के बाद नए पबंन ब्रिज की जरूरत क्यों पड़ी? नए पुल और पुराने पुल में क्या अंतर होने वाला है? इसे बनाने में कितनी मेहनत और संसाधन लगे हैं? इसके अलावा इस पुल की क्या खासियत होंगी और इससे भारत को कितना फायदा होने वाला है? आइये जानते हैं…

विकास के पथ पर अग्रसर भारतीय रेलवे अब नवनिर्मित पंबन ब्रिज के साथ इंजीनियरिंग के चमत्कार का उत्कृष्ट उदाहरण दिखाने की ओर बढ़ रहा है। भारतीय रेलवे के तहत एक पीएसयू, रेल विकास निगम लिमिटेड के निर्मित सबसे प्रतिष्ठित संरचनाओं में से एक के रूप में मनाया जाने वाला पंबन पुल मुख्य भूमि भारत के मंडपम शहर को पंबन द्वीप और रामेश्वरम से जोड़ता है।

पहले जानें- पुराना पंबन ब्रिज क्यों खास था?
भारत के दक्षिण में तमिलनाडु के सबसे निचले सिरे पर मंडपम नाम का छोटा कस्बा स्थित है। इसके ठीक नीचे बीच में समुद्र का हिस्सा पड़ता है और इसके बाद पंबन द्वीप, जिस पर स्थित है रामेश्वरम, जो कि भारत में ऐतिहासिक काल से अहमियत रखता है। 1870 के करीब ब्रिटिश शासनकाल में जब अंग्रेजों ने भारत को व्यापार के केंद्र के तौर पर स्थापित करने की ठानी, तब श्रीलंका के साथ संपर्क के लिए इस पुल को बनाने के लिए पहली बार योजना तैयार हुई। 

कई वर्षों की प्लानिंग के बाद मंडपम और रामेश्वरम को जोड़ने के लिए आखिरकार 1911 में पंबन ब्रिज के निर्माण का काम शुरू हुआ। 24 फरवरी 1914 को आखिरकार भारत की मुख्य जमीन से रामेश्वरम को जोड़ने वाले इस पुल का उद्घाटन कर दिया गया। 

मजेदार बात यह है कि पुराना पंबन ब्रिज सिर्फ रेलवे सेवा के जरिए ही मंडपम और रामेश्वरम को जोड़ता था। तब इन दोनों शहरों में जाने के लिए कोई सड़क मार्ग तक नहीं था। 1914 से 1988 तक के बीच इस रेल मार्ग के जरिए ही लोगों की आवाजाही होती थी। हालांकि, भारत सरकार ने 1988 के बाद पंबन के बगल में ही एक सड़क पुल का निर्माण पूरा कर लिया। 

पुराने पंबन ब्रिज की क्या खास बात थी?
गौरतलब है कि पुराने पंबन ब्रिज को अंग्रेजों के समय में बनाया गया था। इसकी ऊंचाई समुद्र की सतह से 12.5 मीटर (करीब 41 फीट) रखी गई थी। यह 2065 मीटर (2.065) किमी लंबा था। इस पुल को बैसक्यूल कैंटीलीवर सेक्शन के आधार पर डिजाइन किया गया था। दरअसल, मंडपम और रामेश्वरम के बीच में पड़ने वाले समुद्री क्षेत्र का इस्तेमाल नौसैन्य परिवहन के लिए भी किया जाता था। ऐसे में ऊंचे शिप्स और नौकाओं को पुल के नीचे से निकालने के लिए इसे दो हिस्सों में बनाया गया था, ताकि शिप निकलने की स्थिति में पुल को बिल्कुल मध्य में स्थित जॉइंट के जरिए बीच से उठा दिया जाए। इस तकनीक को शर्जर लिफ्ट स्पैन भी कहते थे और पुल के दोनों तरफ की सड़कें 60-70 डिग्री एंगल पर सीधे उठ जाती थीं। इससे पुल की ऊंचाई एक समय में 19 मीटर तक हो जाती थी और शिप-नौकाओं को पुल के नीचे से निकलने का रास्ता मिल जाता था। 

इसी से प्रेरणा लेते हुए भारत में मंडपम और रामेश्वरम को जोड़ने वाले पंबन ब्रिज को भी बैसक्यूल डिजाइन में बनाया गया।

नया पंबन ब्रिज किस तकनीक से बना है?
नए पंबन ब्रिज का निर्माण कार्य 2020 में शुरू कर दिया गया था। इसे पुराने पंबन ब्रिज के समानांतर ही खड़ा किया गया है। सरकार ने इसके लिए तब 500 करोड़ रुपये का बजट तय किया था। अब तक इसके निर्माण में 535 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इसके निर्माण की जिम्मेदार रेल विकास निगम लिमिटेड को सौंपी गई। पुराने पुल की तरह नए पुल को भी 2.07 किमी लंबा ही बनाया जा रहा है। इस पुल को वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज तकनीक के जरिए बनाया गया है। इसे करीब 100 खंभों पर खड़ा किया गया है। 

इस पुल के नीचे से जहाजों के निकलने का दायरा भी बड़ा किया गया है। अब पुल के नीचे 73 मीटर के क्षेत्र से नौसैन्य परिवहन की आवाजाही हो सकती है। यानी शिप के पुल से टकराने का खतरा भी कम हो गया है। इतना ही नहीं नए पुल से हाई-स्पीड ट्रेन्स को निकालने के लिए आधुनिक तरह से डबल ट्रैक बिछाए गए हैं और इन लाइनों का विद्युतिकरण भी किया जा चुका है। पुल के नीचे से शिप को निकालने के लिए इसकी ऊंचाई को भी बढ़ाया गया है और जब इस पुल को लिफ्ट किया जाएगा तो यह 22 मीटर (करीब 72 फीट) की ऊंचाई तक जा सकेगा। यानी पुराने पंबन पुल से तीन मीटर ऊंचाई तक।

पुराने और नए पंबन ब्रिज की तकनीक में फर्क से कैसे बदलेगा आवाजाही का तरीका?

1. पुराने पंबन ब्रिज में
पंबन ब्रिज को बनाने वाली कंपनी आरवीएनएल के मुताबिक, पुराने और नए पंबन पुल का सबसे बड़ा फर्क इनकी तकनीक ही है, जो इन्हें अलग करती है। दरअसल, पुराना ब्रिज कैंटिलीवर बैसक्यूल तकनीक से बना था। तब बिजली और ऑटोमैटिक सिस्टम की कमी की वजह से जब भी पुल के नीचे से शिप गुजरता था, तब इसे मैनुअल तरीके से ही उठाया या गिराया जाता था। पुल के दोनों तरफ के आधे-आधे हिस्से को उठाने के लिए कुल 16 लोग लगते थे। इसमें 45 मिनट तक का समय लग जाता था। शिप-जहाज के गुजरने के बाद पुल को फिर से अपनी सामान्य स्थिति में पहुंचने में भी 45 मिनट का समय और लग जाता था। 

इसका असर यह होता था कि एक बार शिप गुजरने के चलते ट्रेनें डेढ़ घंटे तक फंस जाया करती थीं। साथ ही इस पुल के लगातार कमजोर होते ढांचे के चलते इससे निकलने वाली ट्रेनों की अधिकतक गति 10 किमी प्रतिघंटा तक तय की गई थी। इसके चलते 2.07 किमी लंबे पुल से गुजरने में ट्रेनें 25-30 मिनट तक ले लिया करती थीं। 

2. नए पंबन ब्रिज में

  • नए पंबन ब्रिज में आधुनिक वर्टिकल लिफ्ट तकनीक होने की वजह से पुल के दो अलग-अलग हिस्सों को उठाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि ऑटोमैटिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम के जरिए पुल का लिफ्ट हो सकने वाला 1470 मीट्रिक टन भारी हिस्सा एक बार में 12.5 मीटर की ऊंचाई से 22 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच जाएगा। इस काम को सिर्फ एक व्यक्ति बटन दबाकर 5 मिनट के अंदर पूरा कर लेगा। शिप्स के गुजरने के बाद पुल के 73 मीटर के हिस्से को वापस अपनी जगह पर स्थापित कर दिया जाएगा, जिसमें पांच मिनट ही लगने के आसार हैं। 
  • इतना ही नहीं पंबन ब्रिज में हाई-स्पीड में ट्रेन निकालने की व्यवस्था भी की गई है। सरकार के मुताबिक, अब इस पुल से ट्रेनें 75 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से निकल सकती हैं। 
  • पंबन पुल के निर्माण कार्य को पूरा किया जा चुका है और इस पर सभी तरह के परीक्षण भी लगभग पूरे हो चुके हैं। रेलवे सेफ्टी कमिश्नर की तरफ से जांच के बाद पुल पर इस रफ्तार का मानक तय किया गया है। हालांकि, पुल के जिस हिस्से को जहाजों को निकालने के लिए उठाया जाएगा, वहां ट्रेनों की रफ्तार 50 किमी प्रतिघंटे तक रखने का मानक तय किया गया है। 
  • नए पुल में ट्रेनें 80 किमी प्रतिघंटे तक की रफ्तार पकड़ सकती हैं। हालांकि, एक घुमाव के चलते इस पर स्पीड लिमिट 75 किमी प्रतिघंटा निर्धारित की गई है। आरवीएनएल के डिप्टी जनरल मैनेजर एन. श्रीनिवासन के मुताबिक, पंबन पुल के निर्माण कार्य को पूरा किया जा चुका है और इस पर सभी तरह के परीक्षण भी लगभग पूरे हो चुके हैं। सीआरएस की तरफ से इसके लिए जरूरी प्रमाणपत्र भी हासिल किए जा चुके हैं। 
  • अधिकारियों के मुताबिक, पुराने पंबन ब्रिज की ऊंचाई कुछ कम थी। ऐसे में जब ज्वार-भाटे (हाई टाइ़ड) की स्थिति आती थी, तब पुल ऊंची लहरों से सिर्फ 1.5 मीटर तक ही ऊंचा रह पाता था। इसका असर यह होता था कि समुद्र का पानी गर्डरों तक पहुंच जाता था। इस स्थिति के मद्देनजर रेलवे ने पुल की अभियानगत ऊंचाई को बढ़ाया है। नए पंबन पुल में एक टावर भी बनाया गया है, जो कि पुल से 34 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 

नए पंबन पुल को बनाने में कितना समय और संसाधन लगे?

नए पंबन पुल को बनाने के लिए भारत ने स्पेन की कंपनियों के साथ सलाह मशविरा किया। फरवरी 2020 में इसका काम शुरू होने के बाद पुल को 2022 तक बनाने का लक्ष्य तय किया गया। हालांकि, कोरोनावायरस महामारी के चलते इसके निर्माण कार्य में देरी हुई। आखिरकार सितंबर 2024 तक नए पुल के खंभे और एक ट्रैक को तैयार कर लिया गया। इस पुल पर ट्रेनों के पहले स्पीड ट्रायल अक्तूबर 2024 में शुरू किए गए। माना जा रहा था कि पुल को नवंबर 2024 में शुरू कर लिया जाएगा, लेकिन कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी की तरफ से चिंता जताए जाने के बाद कुछ बदलावों को अंजाम दिया गया और परीक्षणों को और वृहद स्तर तक किया गया। अब इस पुल का उद्घाटन मार्च 2025 में होने का अनुमान है।

आरवीएनएल के मुताबिक, नए पंबन ब्रिज को 5800 मीट्रिक टन (58 लाख किलोग्राम) स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल कर बनाया गया है, ताकि साधारण लोहे की तरह इसमें समुद्र के पानी और हवा से जंग न लगे। इतना ही नहीं पुल को बनाने में 3 लाख 40 हजार सीमेंट की बोरियां लगी हैं। 

इतना ही नहीं नए पंबन ब्रिज को चक्रवाती तूफानों और तेज हवाओं का सामना करने लायक बनाने के लिए इसकी वेल्डिंग को अलग तरह से कराया गया। निर्माण कार्य का जिम्मा तमिलनाडु के वेल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट को सौंपा गया, जिसके प्रशिक्षित वेल्डर्स को पुल को मजबूती देने के काम में लगाया गया। इसके अलावा पुल के पूरे हिस्से पर जंग रोधी कोटिंग वाले पेंट को भी लगाया गया है, ताकि इसे जंग से बचाया जा सके। 

नए पंबन रेल ब्रिज के उद्घाटन के संकेत मिले हैं। क्योंकि रेलवे अधिकारियों ने भारतीय तटरक्षक पोत को पुल पार करने की अनुमति देने के लिए ऊर्ध्वाधर लिफ्ट स्पैन को खोलने के लिए एक परीक्षण किया। ट्रेन संख्या 22622 कन्याकुमारी – रामेश्वरम त्रि-साप्ताहिक एक्सप्रेस मंडपम स्टेशन पर पहुंची। यात्रियों के उतरने के बाद, डिब्बों को बंद कर दिया गया और रेक को रखरखाव के लिए रामेश्वरम ले जाया गया।रेलवे सूत्रों ने बताया कि नए पंबन रेल पुल का उद्घाटन फरवरी के दूसरे सप्ताह में हो सकता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए पुल पर ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। मंडल रेल प्रबंधक शरद श्रीवास्तव ने कहा कि उद्घाटन जल्द ही हो सकता है, लेकिन उन्हें तारीख के बारे में आधिकारिक संचार नहीं मिला है।

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