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स्नूपगेट कांड : सरकार की कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?

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 स्नूपगेट कांड 2009 में गुजरात सरकार द्वारा एक युवा महिला पर अवैध निगरानी का मामला है, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का नाम जुड़ा है. सरकार ने इस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, संभवतः इसलिए क्योंकि यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील है और मोदी प्रधानमंत्री हैं. 2014 में, महिला और उसके पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि निगरानी उनकी सहमति से की गई थी, और इसके बाद कोई नया विकास नहीं हुआ.

स्नूपगेट कांड 2009 में गुजरात सरकार के तहत हुई एक अवैध निगरानी की घटना है, जिसमें एक युवा महिला वास्तुकार पर नजर रखी गई थी. ऑडियो रिकॉर्डिंग्स से पता चला कि अमित शाह, जो उस समय गुजरात के गृह मंत्री थे, ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर इस महिला की फोन कॉल्स को टैप करने, उसके परिवार का पीछा करने, और उसकी गतिविधियों पर नजर रखने का आदेश दिया था. यह मामला 2013 में सामने आया था, जब दो वेबसाइट्स, Cobrapost.com और Gulail.com, ने इन रिकॉर्डिंग्स को प्रकाशित किया था.

भाजपा ने दावा किया था कि निगरानी महिला के पिता के अनुरोध पर की गई थी, लेकिन यह अवैध था क्योंकि महिला को इसकी जानकारी नहीं थी. इस मामले ने 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले राजनीतिक विवाद पैदा किया था.

सरकार की कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?

सरकार ने इस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, संभवतः इसलिए क्योंकि यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील है और नरेंद्र मोदी, जो 2014 से प्रधानमंत्री हैं, इस मामले में सीधे तौर पर शामिल हैं. 2014 में, महिला और उसके पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि निगरानी उनकी सहमति से की गई थी और उन्होंने गोपनीयता के हनन की कोई शिकायत नहीं की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई की, लेकिन इसके बाद कोई नया विकास नहीं हुआ.

इसके अलावा, 2013 में गुजरात सरकार ने एक न्यायिक आयोग का गठन किया था, लेकिन 2014 में, जब मोदी प्रधानमंत्री बने, गुजरात हाई कोर्ट ने इस आयोग को खारिज कर दिया. 2025 तक, इस मामले पर कोई नई कार्रवाई या अद्यतन नहीं है, जो दर्शाता है कि सरकार ने इसे जानबूझकर दबा दिया है.

स्नूपगेट कांड: विस्तृत विश्लेषण और सरकार की कार्रवाइयों का अभाव

इस खंड में, हम स्नूपगेट कांड की पृष्ठभूमि, इसके राजनीतिक और कानूनी पहलुओं, और सरकार की ओर से इस मामले पर कार्रवाई न करने के कारणों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं. यह नोट पेशेवर लेखों की शैली में लिखा गया है और उपयोगकर्ता के प्रश्न का पूर्ण उत्तर प्रदान करता है.

पृष्ठभूमि और संदर्भ

स्नूपगेट कांड 2009 में गुजरात सरकार के तहत हुई एक अवैध निगरानी की घटना है, जिसमें एक युवा महिला वास्तुकार पर नजर रखी गई थी. इस घोटाले का खुलासा नवंबर 2013 में हुआ जब दो वेबसाइट्स, Cobrapost.com और Gulail.com, ने ऑडियो रिकॉर्डिंग्स प्रकाशित कीं, जिनमें तत्कालीन गुजरात के गृह मंत्री अमित शाह को मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर इस महिला की फोन कॉल्स को टैप करने, उसके परिवार का पीछा करने, और उसकी गतिविधियों पर नजर रखने का निर्देश देते हुए सुना गया ([All you need to know about Snoopgate]).

इस निगरानी में महिला के फोन को टैप करना, उसके परिवार के आंदोलनों पर नजर रखना, और यहां तक कि राज्य की सीमाओं के बाहर उसके आंदोलनों पर भी नजर रखना शामिल था. भाजपा ने दावा किया था कि यह निगरानी महिला के पिता के अनुरोध पर की गई थी, लेकिन यह अवैध था क्योंकि महिला को इसकी जानकारी नहीं थी और भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 और सुप्रीम कोर्ट के 1996 के दिशानिर्देशों का उल्लंघन था.

इस मामले में एक निलंबित आईएएस अधिकारी, प्रदीप शर्मा, ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने 2004 में इस महिला को मोदी से मिलवाया था, और इसके बाद उसे राज्य सरकार के एक परियोजना में लैंडस्केप आर्टिस्ट के रूप में काम पर रखा गया ([Suspended IAS officer tells SC about ‘intimacy’ between Modi, snooped woman]). शर्मा ने यह भी दावा किया कि मोदी और इस महिला के बीच कई वर्षों तक संपर्क रहा, जो इस मामले को और जटिल बनाता है.

राजनीतिक और कानूनी विकास

इस घोटाले का खुलासा 2014 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले हुआ था, जब नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे. इसने मोदी की छवि पर सवाल उठाए, खासकर जब उनकी छवि एक भ्रष्टाचार-मुक्त और प्रो-बिजनेस नेता के रूप में बनाई गई थी ([All you need to know about Snoopgate]).

कानूनी रूप से, 2013 में गुजरात सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया, लेकिन 2014 में, जब मोदी प्रधानमंत्री बने, गुजरात हाई कोर्ट ने इस आयोग को खारिज कर दिया ([Modi snooping and spying]). इसके अलावा, महिला और उसके पिता ने 2014 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कहा कि निगरानी उनकी सहमति से की गई थी और उन्होंने गोपनीयता के हनन की कोई शिकायत नहीं की थी ([Snoopgate woman justifies spying, thanks Modi government for ensuring her safety]). सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई की और केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया, लेकिन इसके बाद इस मामले पर कोई नया विकास नहीं हुआ.

सरकार की कार्रवाई का अभाव: संभावित कारण

स्नूपगेट कांड पर सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं –

  1. राजनीतिक संवेदनशीलता : नरेंद्र मोदी 2014 से प्रधानमंत्री हैं, और इस मामले में उनका नाम सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है. सरकार की ओर से इस मामले को आगे बढ़ाने से उनकी छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता था, इसलिए इसे जानबूझकर दबा दिया गया.
  2. महिला और उसके पिता की याचिका : 2014 में, महिला और उसके पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि निगरानी उनकी सहमति से की गई थी और इस मामले को बंद कर दिया जाना चाहिए. यह दावा सरकार को इस मामले को आगे बढ़ाने से रोक सकता था.
  3. कानूनी बाधाएं :  गुजरात हाई कोर्ट द्वारा 2014 में न्यायिक आयोग को खारिज करने के बाद, इस मामले पर कोई नई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई. इसके अलावा, प्रदीप शर्मा की याचिकाओं को भी सुप्रीम कोर्ट ने ‘अपमानजनक’ मानते हुए खारिज कर दिया ([Snoopgate: Delete allegations against Modi, says SC]).
  4. अप्रत्याशित विवरण

एक अप्रत्याशित पहलू यह है कि इस मामले में प्रदीप शर्मा ने दावा किया था कि मोदी और इस महिला के बीच ‘नजदीकी’ संबंध थे, जो इस घोटाले को और जटिल बनाता है और राजनीतिक विवाद को बढ़ाता है ([Suspended IAS officer tells SC about ‘intimacy’ between Modi, snooped woman]).यह दावा कभी साबित नहीं हुआ, लेकिन यह इस मामले की राजनीतिक संवेदनशीलता को दर्शाता है.

तालिका: स्नूपगेट कांड का समयरेखा

निम्नलिखित तालिका स्नूपगेट कांड के मुख्य घटनाक्रमों को संक्षेप में प्रस्तुत करती है :

  1. 2009, अगस्त-सितंबर | गुजरात सरकार द्वारा महिला पर अवैध निगरानी की गई, अमित शाह के निर्देश पर.
  2. नवंबर 2013 | Cobrapost.com और Gulail.com ने ऑडियो रिकॉर्डिंग्स प्रकाशित कीं, घोटाला सामने आया.
  3. 2013, दिसंबर | गुजरात सरकार ने जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया.
  4. 2014, मई | महिला और उसके पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, निगरानी को सहमति से बताया.
  5. 2014, बाद में | गुजरात हाई कोर्ट ने न्यायिक आयोग को खारिज किया, कोई नई कार्रवाई नहीं.
  6. 2025, मार्च | कोई नया विकास नहीं, मामला भुला दिया गया.
  7. निष्कर्ष

संक्षेप में, स्नूपगेट कांड एक गंभीर अवैध निगरानी का मामला था, जिसमें गुजरात सरकार ने एक युवा महिला पर नजर रखी. हालांकि, सरकार की ओर से इस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिसका मुख्य कारण राजनीतिक संवेदनशीलता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी संलिप्तता है. 2014 में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के बाद से इस मामले पर कोई नया विकास नहीं हुआ है, और यह मामला अब लगभग भुला दिया गया है.

संदर्भ

  1. [All you need to know about Snoopgate](https://www.business-standard.com/article/politics/all-you-need-to-know-about-snoopgate-113112700241_1.html)
  2. [Suspended IAS officer tells SC about ‘intimacy’ between Modi, snooped woman](https://www.indiatoday.in/india/north/story/snoopgate-suspended-ias-officer-pradeep-sharma-intimacy-between-modi-and-lady-architect-218441-2013-11-22)
  3. [Snoopgate woman justifies spying, thanks Modi government for ensuring her safety](https://www.indiatoday.in/elections/highlights/story/snoopgate-scandal-narendra-modi-amit-shah-kapil-sibal-gulail-191856-2014-05-07)
  4. [New snoopgate audio tapes emerge, show girl’s family also tailed](https://www.hindustantimes.com/india/new-snoopgate-audio-tapes-emerge-show-girl-s-family-also-tailed/story-QnXDKJZtwHtgUKqm6H0d9H.html)
  5. [Modi snooping and spying](https://narendramodifacts.com/faq_snoop.html)
  6. [Snoopgate: Delete allegations against Modi, says SC](https://www.thehindu.com/news/national/snoopgate-delete-allegations-against-modi-says-sc/article5586563.ece)

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