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बढ़ रहा है जांगिड़ समर्थकों का कारवां….समर्थन में कांग्रेस के साथ भाजपा भी…सरकार की मुसीबत बढ़ी

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भोपाल। आईएएस अफसर लोकेश कुमार जांगिड़ का मामला अब पूरी तरह से तूल पकड़ चुका है। यह मामला दिन व दिन गंभीर होता जा रहा है। इस मामले में अब कांग्रेस के साथ ही उन्हें भाजपा के एक धड़े का भी समर्थन मिलने लगा है। इसके अलावा प्रदेश के कई युवा अफसरों के भी उनके साथ खड़ा होने से सरकार की मुसीबत बढ़ती ही जा रही है। इधर, इस मामले को कांग्रेस अब राजनैतिक मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है। उधर इस मामले में हो रही बदनामी के चलते आईएएस एसोसिएशन ने भी पल्ला झाड़ लिया है। दरअसल एसोसिएशन पहले जांगिड़ की जगह कलेक्टर बड़वानी शिवराज वर्मा के पक्ष में खड़ी हुई थी।  प्रदेश में चल रही इस तरह की दबाव की राजनीति और बेईमानों का बोलबाला के बीच कई ऐसे और भी जांगिड़ है जिनका प्रदेश से मोहभंग हो रहा है। प्रदेश के एक पूर्व मुख्य सचिव ने बिच्छू डॉट कॉम से चर्चा में कहा कि बीते 15 सालों में प्रदेश में मलाईदार पदों व कमाऊ माने जाने वाली जगहों पर प्रमोटी आईएएस को ही तबज्जो दी गई है।
अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में आठ बार तबादलों का सामना कर चुके जांगिड़ का हाल ही में 42 दिन के अंदर ही बड़वानी के अपर कलेक्टर के पद से तबादला कर भोपाल स्थित राज्य शिक्षा केन्द्र में उनकी पदस्थापना की गई है। इससे नाराज जांगिड़ ने बड़वानी कलेक्टर शिवराज वर्मा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।
दरअसल जांगिड़ अपनी साफसुथरी छवि, ईमानदार होने के साथ ही वे आम आदमी के लिए सहज, शुलभ रहते हैं जिसकी वजह से वे जनता में जल्द ही लोकप्रिय हो जाते हैं, लेकिन उनकी आला अफसरों से चल रहे सिस्टम में न ढल पाने की वजह से पटरी नहीं बैठ पाती है। इसकी वजह से उन्हें असमय ही तबादले का शिकार होना पड़ता है। ऐसा ही कुछ उनके साथ बड़वानी में अपर कलेक्टर रहने के दौरान हुआ है। दरअसल कलेक्टर वर्मा का सरकार में अच्छा खासा रसूख माना जाता है। इसी वजह से जब उनकी जांगिड़ से पटरी नहीं बैठी तो उन्होंने उनका तबादला ही करा दिया। इस मामले ने तूल पकड़ा तो कांग्रेस उनके साथ पूरी तरह से खड़ी हो गई है। यही वजह है कि उनके मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा गया है। इसके साथ ही कांग्रेस द्वारा इस मामले को बड़ा मुद्दा बनाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। इस मुद्दे को लेकर आगे किस तरह से उठाया जाए इस पर कमलनाथ के भोपाल आने पर फैसला किया जाएगा। यही नहीं कांग्रेस के अन्य नेता भी इस मामले को लेकर लगातार सोशल मीडिया पर सरकार पर हमलावर बने हुए हैं। इस मामले में पूर्व गृहमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस विधायक बाला बच्चन पहले ही अपना समर्थन जाहिर कर चुके हैं।
खास बात यह है कि इस मामले में राज्य सभा सांसद गजेन्द्र सिंह पटेल और सांसद सुमेर सिंह सोलंकी का भी जांगिड़ को समर्थन मिल चुका है। इस बीच बीते रोज जिस तरह से उन्हें जान से मारने की धमकी मिलने की बात सामने आयी है उससे मामला तो और  गंभीर हो ही गया है साथ ही अब इस मामले में पुलिस भी शामिल हो गई है। किसी भी आईएएस को इस तरह से धमकी मिलने का यह प्रदेश में बिरला मामला हैै। इस मामले की डीजीपी से शिकायत होने के बाद पूरा  मामला एक बार फिर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होने लगा। खास बात यह है कि शिकायत के बाद भी अभी तक उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई है। उधर पूरे विवाद को लेकर अपना पक्ष रखने के लिए जांगिड़ को तीन दिन बाद भी मुख्य सचिव से मुलाकात का समय नहीं मिल पाया है।
भाजपा का भी मिल रहा व्यापक समर्थन
खास और चौंकाने वाली बात यह है कि इस मामले में लगातार जारी विवाद और सोशल मीडिया के साथ ही मीडिया में सुर्खियों के बाद भी सरकार ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन भाजपा का एक धड़ा जांगिड़ के साथ पूरी तरह से खड़ा हो गया है। पार्टी के दो सांसद तो उन्हें ईमानदार अफसर बताकर उनके साथ अन्याय नहीं होने देने की बात कह ही चुके हैं। इसके अलावा पार्टी में शिव के विरोधी माने जाने वाला धड़ा भी जांगिड़ के साथ अप्रत्यक्ष रुप से खड़ा हो गया है। भाजपा के एक बड़े पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री की आड़ लेकर वसूली अभियान चलाया जा रहा है। उनका कहना है कि जो आरोप जांगिड़ द्वारा लगाए गए है उसकी हर हाल में जांच कराई जानी चाहिए जिससे कि हकीकत सामने आ सके। गौरतलब है कि इस विवाद के बाद सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जांगिड़ को नोटिस जारी कर जबाव आठ दिनों में मांगा गया है, लेकिन उनके आरोपों की जांच कराने का अब तक कोई फैसला नहीं किया गया है।
बढ़ रहा है जांगिड़ समर्थकों का कारवां
इस विवाद के बाद से जांगिड़ समर्थकों का कारवां लगातार बढ़ता ही जा रहा है। प्रदेश के युवा और कई ईमानदार अफसर भी अब जांगिड़ को अपना समर्थन दे रहे हैं। इस वजह से प्रदेश की आईएएस लॉबी दो भागों में बंटती नजर आने लगी है। इस कारण अब इस विवाद में कलेक्टर वर्मा के साथ खड़ी आईएएस एसोसिएशन को भी अपने कदम पीछे खींच कर तटस्त रहने को मजबूर होना पड़ा है। इस मामले में पहले ही कई अधिकारी व कर्मचारी संगठन जांगिड़ के पक्ष में खड़े हो चुके हैं। इसके अलावा प्रदेश के युवाओं के बड़े तबके की भी सहानुभूति उनके साथ दिखना शुरू हो गई है।

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