एस पी मित्तल, अजमेर
224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा चुनाव के रुझान बताते हैं कि कांग्रेस पूर्ण बहुमत की ओर अग्रसर है। बहुमत के लिए 113 सीटें चाहिए,जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी 120 से भी ज्यादा सीटों पर आगे हैं। भाजपा 70 और जेडीएस 24 सीटों पर आगे नजर आ रही हैं। यदि भाजपा और जेडीएस की सीटें मिली जी जाए तो भी बहुमत नहीं होता है। इन रुझानों में अंतिम परिणाम के बाद बदलाव भी संभव है। ऐसी कई सीटें हैं, जिनमें 500 मतों का ही अंतर है। लेकिन इसका फायदा भाजपा को नहीं मिलेगा। रुझानों के मद्देनजर ही कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार बनाने की तैयारियां शुरू कर दी है। निर्वाचित होने वाले विधायकों को हैदराबाद के एक रिसोर्ट में बुलाया जा रहा है। कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार 14 मई को ही नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक होगी और राज्यपाल के पास बहुमत का दावा प्रस्तुत किया जाएगा। उम्मीद है कि अगले एक दो दिन में ही मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण भी हो जाएगा। मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार प्रबल दावेदार हैं। माना जा रहा है कि डीके शिवकुमार गांधी परिवार के ज्यादा निकट है इसलिए उन्हीं के मुख्यमंत्री बनने की संभावना है। कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का विवाद भी हुआ था। ऐसे कई मौके आए जब चुनाव में हिन्दू मुस्लिम का विवाद भी देखा गया। मुसलमानों को आरक्षण देने का मुद्दा भी छाया रहा। लेकिन कर्नाटक की जनता ने कांग्रेस के पक्ष में अपना निर्णय किया है। कर्नाटक की जीत के साथ ही अब कांग्रेस राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के चुनावों में पूरी उत्साह से भाग लेगी। इन तीनों बड़े राज्यों में इसी वर्ष नवंबर में चुनाव होने हैं। दो राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। जबकि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है। कर्नाटक की जीत से इन तीनों राज्यों के कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में भी उत्साह में वृद्धि होगी।
राहुल को श्रेय:
कर्नाटक की जीत का श्रेय राहुल गांधी को जाता है। भारत जोड़ों यात्रा के दौरान भी कर्नाटक में राहुल गांधी ने काफी समय बिताया। चुनाव प्रचार में भी राहुल ने अनेक सभाएं की। उनकी बहन प्रियंका गांधी और माता जी सोनिया गांधी ने भी चुनावी सभाओं में भाग लिया। कांग्रेस के कार्यकर्ता भी मानते हैं कि गांधी परिवार की सक्रियता का लाभ कांग्रेस को मिला है। आपसी मतभेद होने के बाद भी कांग्रेस के तीन बड़े दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खडग़े, सिद्धारमैया और डीके शिव कुमार ने मिलकर चुनाव लड़ा। इसका फायदा भी कांग्रेस को हुआ है। खडग़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद कर्नाटक का पहला चुनाव है। खडग़े ने भी चुनाव की रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
योगी का जलवा बरकरार:
कांग्रेस ने भले ही दक्षिण भारत के कर्नाटक में शानदार जीत हासिल की हो, लेकिन उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश में निकाय चुनावों में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस, बसपा से भी फिसड्डी साबित हुई है। यूपी के 17 नगर निगम के मेयर चुनाव में 16 में भाजपा को जीत मिली है, सिर्फ आगरा नगर निगम में बसपा जीत की ओर अग्रसर है। कांग्रेस का एक भी उम्मीदवार ने जीत हासिल नहीं की है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी भी मेयर चुनाव में अपना खाता नहीं खोल पाई है। इसी प्रकार 199 नगर पालिकाओं के अध्यक्षों के चुनाव में भाजपा को 84, सपा को 28, बसपा को 24, निर्दलीयों को 38 और कांग्रेस को मात्र तीन स्थान पर जीत हासिल हुई है। इसी प्रकार 544 नगर पंचायत में से 130 पर भाजपा, 74 पर सपा, 30 पर बसपा, 112 पर निर्दलीय और मात्र पांच स्थान पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीत की ओर अग्रसर है। निकाय चुनाव के परिणाम बताते हैं कि यूपी में योगी आदित्यनाथ का जलवा बरकरार है।