पुष्पा गुप्ता
_एकाधिक पार्टनर के साथ बनाया गया यौन संबंध महिला को परेशानी में डाल रहा है। जाने-अनजाने में महिला क्लैमिडिया जैसी बीमारी का शिकार हो जाती है। आसान भाषा में कहे तो यह सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज (STD) यानी यौन संबंधित रोग है। क्लैमिडिया सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज का ही एक प्रकार है।_
असुरक्षित यौन संबंध और एक से ज्यादा पार्टनर होने पर ये बीमारी होती है। अगर यह किसी महिला को हो जाए तो वह जिंदगी भर मां नहीं बन सकती. उसकी बॉडी सड़न से भी भरने लगती है।
*दुराचार में बैक्टीरिया करता है शरीर में प्रवेश*
क्लैमिडिया एक संक्रमण है जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नाम के बैक्टीरिया से होता है। यह संबंध बनाने के दौरान शरीर में प्रवेश करता है जो महिला और पुरुष दोनों को प्रभावित करता है।
अगर किसी को यह इंफेक्शन हो और वह पार्टनर से बिना सुरक्षा के ओरल, एनल या वेजाइनल संबंध बनाते हैं तो दूसरे को भी यह हो सकता है।
यह इंफेक्शन पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर ज्यादा असर करता है। इससे उनकी प्रजनन क्षमता खराब तक हो सकती है।
*बिना लक्षणों के फैलता है रोग*
50% से ज्यादा महिलाओं में क्लैमिडिया का इंफेक्शन मिलता है। इन दिनों इनफर्टिलिटी यानी बांझपन का सबसे बड़ा कारण यही है।
यह एक साइलेंट इंफेक्शन है जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है। कई बार इसके लक्षण भी नहीं दिखते। महिलाओं को पता नहीं होता कि उन्हें ये बीमारी है। उन्हें कई बार यह बीमारी उनके हसबैंड से मिलती है।
*फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या क्षतिग्रस्त हो सकती है*
अगर सही समय पर इसका पता चल जाए तो यह संक्रमण ठीक हो सकता है। लेकिन इलाज न हो तो महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब को ब्लॉक या क्षतिग्रस्त कर सकता है।
क्लैमिडिया से एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के चांस बढ़ जाते हैं। इससे गर्भ यूट्रस के बाहर ठहर जाता है जो एब्नॉर्मल है। यह संक्रमण सबसे पहले महिला की फैलोपियन ट्यूब की लाइनिंग (परतों) को नुकसान पहुंचाता है जिससे प्रेग्नेंसी फैलोपियन ट्यूब में ठहर जाती है।
अगर मामला ज्यादा गंभीर हो तो फैलोपियन ट्यूब को रिमूव कर दिया जाता है। यह तब किया जाता है जब इसमें ज्यादा इंफेक्शन हो या पस पड़ गई हो। इससे औरत कभी मां नहीं बन पाती।
*योनि/गुदा में जलन हो तो डॉक्टर से मिलें*
अगर किसी महिला के पेशाब में बदबू हो या प्राइवेट पार्ट में जलन हो, खून की स्पॉटिंग हो या पेट के निचले भाग में दर्द हो तो उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
इसके अलावा संबंध बनाते हुए दर्द हो या सर्विस से ज्यादा डिस्चार्ज हो रहा हो तो भी सावधान हो जाना चाहिए।
*प्रेग्नेंसी के समय स्क्रीनिंग जरूरी*
25 साल से कम उम्र की सेक्शुअली एक्टिव महिलाओं को या प्रेग्नेंट महिलाओं को अपनी जांच करवाते रहना चाहिए।
अगर महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान यह बीमारी मिले तो यह जन्म के समय बच्चे को भी हो सकती है। नवजात को आंखों में संक्रमण या निमोनिया हो सकता है।
ऐसी महिलाओं को इसके ट्रीटमेंट के बाद 3-4 हफ्ते में टेस्ट करना चाहिए ताकि इंफेक्शन दोबारा न हो।
*एंटीबायोटिक्स और इंफेक्शन*
40 से ज्यादा बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट्स संबंध बनाते हुए ट्रांसफर हो सकते हैं।
यौन संचारित रोगों को दो भागों में बांटा जाता है। इनमें 4 तरह के यौन रोग जैसे क्लैमिडिया , ट्राइकोमोनिएसिस, गोनोरिया और सिफलिस का इलाज संभव है।
वहीं, हेपेटाइटिस बी, एचआईवी, हरपीज सिम्पलेक्स वायरस और ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) लाइलाज बीमारी हैं।
समय रहते इलाज़ कराने पर एंटीबायोटिक्स से क्लैमिडिया ठीक हो जाता है। यह 14 दिन का कोर्स होता है। लेकिन अगर बार-बार इंफेक्शन हो रहा है तो महिलाओं में इनफर्टिलिटी की दिक्कत हो सकती है।
मरीज का ब्लड सैंपल लेकर एंटीजन की जांच की जाती है जिससे इस इंफेक्शन का पता चलता है।
*15 से 49 साल के बीच बीमारी*
यह बीमारी 15 से 49 साल के बीच की उम्र के लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है क्योंकि वह सेक्शुअली एक्टिव होते हैं।
_इससे बचने के लिए जरूरी है कि संबंध बनाते समय होश में रहें, सावधानी बरतें. गंदे, रोगी, नामर्द पार्टनर से तौबा करें. एक से ज्यादा पार्टनर के साथ सेक्स ना करें और समय-समय पर जांच कराते रहें।_
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार साल 2018 में अमेरिका जैसे जागरूक देश में भी 18 लाख लोग क्लैमिडिया से ग्रस्त पाए गए थे. रिसर्च में पाया गया कि पुरुषों में इसके लक्षण 10% और महिलाओं में 30% तक़ दिखते हैं।
यूनाइटेड स्टेट्स प्रीवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स (USPSTF) ने इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों को सलाह दी गई कि वह इलाज होने के बाद हर 3 महीने में अपनी जांच कराएं।
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(चेतना विकास मिशन)