अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

बुरहानपुर में लकड़ी माफिया ने पांच वर्षों में दो हजार हेक्टेयर जंगल मैदान में बदल दिया

Share

भोपाल । मप्र और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित बुरहानपुर जिले में लकड़ी माफिया ने पेड़ काटकर हरे-भरे जंगल को बंजर मैदान बना दिया है। इसका खुलासा सेवानिवृत्त आईएफएस एसोसिएशन ने गूगल इमेजरी से निकाले गए डिटेल के आधार पर किया है। बुरहानपुर जिले में पांच वर्षों के अंदर दो हजार हेक्टेयर जंगल काट कर मैदान में बदल दिया गया है। वनों की अंधाधुंध कटाई रोकने को लेकर एसोसिएशन अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय वन मंत्री को पत्र लिखेगा। इमेजरी के जरिए यह जानकारी भी सामने आई है कि पेड़ों को जलाकर जंगल नष्ट किया जा रहा है। अतिक्रमणकारियों ने बुरहानपुर वन मंडल अन्तर्गत सबसे ज्यादा असीरगढ़, नेपानगर, खकनार, नावरा, धूलकोट, बुरहानपुर, बोदरी और शाहपुर वनपरिक्षेत्रों को निशाना बनाया है। यहां पिछले पांच वर्ष में दो हजार हेक्टेयर से अधिक जंगलों को मैदान बना दिए हैं। जानकारी के अनुसार बुरहानपुर जिले में एक लाख 90 हजार सौ हेक्टेयर जंगल है। वर्ष 2017 तक यहां 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्र पर अतिक्रमण हो चुका था। बाद में दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र में और अतिक्रमण हो गया। अतिक्रमणकारी खंडवा खरगोन, बड़वानी जिले के हैं। 2018 के बाद से यहां अतिक्रमण लगातार बढ़ रहा है। अतिक्रमणकारी वन कर्मियों और पुलिस पर हमला कर चुके हैं। बुरहानपुर के साथ विदिशा जिले के लटेरी में भी जंगलों की कटाई के मामले सामने आ रहे हैं।
जंगलों की तेजी हो रही कटाई के पीछे एक बड़ा कारण वन अधिकार अधिनियम 2006 को माना जा रहा है। इसके तहत प्रावधान है कि वन क्षेत्र में कई साल तक कब्जा रहा तो पात्रता अनुसार गरीबों को भूमि का पट्टा मिल जाएगा। इस कानून में वर्ष 2005 के पहले से प्रावधान किया गया था। पिछले सालों में मप्र सरकार ने ऐसे पांच लाख से अधिक परिवारों को पट्टे दिए हैं।
टिंबर सिंडिकेट में कई पावरफुल लोग
जानकारों का कहना है कि हजारों हेक्टेयर जंगल को न केवल मैदान बना दिया गया है, बल्कि उस पर कब्जा भी कर लिया गया है। यदि कोई जाना चाहे तो सबसे पहले वन विभाग के लोग रोकते हैं। फिर कुछ हथियारबंद लोग धमका कर भगा देते हैं। बुरहानपुर में यह कारोबार इतना बड़ा हो गया है कि, स्थानीय नेता भी आवाज नहीं उठाते। एक सिंडिकेट बन गया है जिसमें बहुत सारे ताकतवर लोग शामिल हैं। लोगों का कहना है कि वन विभाग अपनी फाइलों में कुछ भी लिखे लेकिन स्थानीय नागरिक बताते हैं कि वन विभाग के अधिकारियों ने जंगल में कुछ लोगों को लकड़ी काटने की निजी स्तर पर अनुमति दी और कई बार तो कटाई के दौरान वन विभाग की टीम जनरल के बाहर चौकी पर तैनात रही। सूत्रों का कहना है कि यहां पर वन विभाग के अधिकारी, लकड़ी चोरों के खिलाफ बिल्कुल वैसे ही कार्रवाई करते हैं जैसी 70-80 के दशक में चंबल में पुलिस डाकुओं के खिलाफ किया करती थी। खानापूर्ति के लिए कुछ मामले दर्ज कर लिए जाते हैं और बहुत ज्यादा दबाव बनता है तो कुछ मजदूरों को गिरफ्तार कर लिया जाता है।  सेवानिवृत्त आईएफएस जगदीश चंद्रा का कहना है कि ग्रामीण जंगलों में रह रहे हैं।
कब्जा जमाने वालों का सरेंडर
उधर बुरहानपुर जिले की नेपानगर तहसील की नावरा रेंज में हजारों हेक्टेयर वन क्षेत्र को तबाह करने के बाद अचानक अतिक्रमणकारियों का मन बदल गया। 40 गांव के करीब 450 से अधिक अतिक्रमणकारी घाघरला गांव में एक जगह जमा हुए। उन्होंने तीर-कमान जमीन पर रखकर सरेंडर कर दिया। कहा कि आज से हम घाघरला के जंगल में नहीं जाएंगे। मप्र पुलिस की जबलपुर स्थित 6वीं बटालियन में उपनिरीक्षक बिल्लोर सिंह जमरा ने कहा- हम 5 दिन से अतिक्रमणकारियों को मोटिवेट कर रहे थे। वे किसी के बहकावे में आ गए थे। यह भोले भाले लोग हैं।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें