मनीष सिंह
इंडियन मुजाहिद हैं। बेशक मोहब्बत के मुजाहिद। ईस्ट ही नही, वेस्ट, साउथ और सेंट्रल इंडिया में भी हमारी कम्पनी है।
और ये कम्पनी नफरत के बाजार में मोहब्बत की तिजारत करती है।
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प्रिय मोदी जी, मैं वही इंडिया हूं जो “चक दे इंडिया” के नारों में झूमता है। जो सीने पर हाथ धर कर जन गण मन गुनगुनाते हुए अपना गला रुँध लेता है। जो एक सांस और 52 सेकंड में पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा द्रविड़, उत्कल और बंग को एक साथ गूंथ लेता है।
मैं इंडिया हूँ, जिसे इस खुशबू भरे गुलदस्ते की महक मदहोश करती है। जो इसके अनगिनत रंगों का जश्न मनाता है। जो लोहड़ी, पोंगल, ईद और दिवाली पर छुट्टी लेता है। जो नीली वर्दी वाले क्रिकेटरों के एक एक एक शॉट पर एक साथ 140 करोड़ दिल उछाल देता है।
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मैं वो इंडिया हूँ जिसे सड़कों पर बहता खून रुला देता है। जो कभी मणिपुर के लिए, कभी निर्भया के लिए, कभी ट्यूबवेल में गिरे प्रिंस के लिए एक साथ दुआ करता है।
ये प्यार करने वाला भारत है, मोदी जी!!! ये उम्मीद से भरा भारत है। जो निश्छल है, जो भरोसा करता है। कभी नेहरू का, कभी इन्दिरा का..
कभी जेपी, वीपी और मोदी का भी भरोसा करता है। ये उसके पीछे चल पड़ता है, जो जोड़ने की, बढाने की, सबके साथ, सबके विकास की बात करता हो।
एक वक्त आपसे बेपनाह मोहब्बत करने वाला यही इंडिया है। जिसे आज आपने इस देश को गुलाम बनाने वाली कंपनी, और बम विस्फोट करने वाला आतंकवादी संगठन करार दे दिया।
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मगर इंडिया आपको माफ करता हैं।
क्योकि गलती आपकी नही, हमारी है। क्योकि आप हमारी खता हैं, तो आप ही हमारी सजा हैं। हम ये सजा भी हंसकर गुजार रहे हैं।
क्योकि हमे मालूम है कि सुबह अब दूर नही है।
सूरज पूरब से उग रहा है। अपने लहू से धोकर सही, आँखें हमारी खुल रही हैं। आपका वक्त जा रहा है। इंडिया का वक्त आ रहा है। हम एक नई सुबह को तैयार है।
आप हमसे डरे हुए हैं, घबराए हुए हैं। क्योकि आपने हमे सही पहचाना है। हम भारत के लोग है।
हम इंडिया हैं।
मनीष सिंह