सुसंस्कृति परिहार
21जून अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में सन् 2015 से मनाया जा रहा है। राष्ट्र संघ ने इसकी महत्ता देखते हुए इसे स्वीकार किया ।पश्चिम के देशों में बढ़ते मोटापे के नियंत्रण हेतु यह जरुरी भी था । मुस्लिम देश तो हर रोज कसरत नमाज के दौरान करते ही थे । अन्तर्राष्ट्रीय दिवस घोषित होने के बाद इसकी काफी लोकप्रियता बढ़ी है। हमारे देश में योग की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है और इसकी उत्पत्ति हजारों वर्ष पहले हुई थी। ऐसा माना जाता है कि जब से सभ्यता शुरू हुई है तभी से योग किया जा रहा है। अर्थात प्राचीनतम धर्मों या आस्थाओं के जन्म लेने से काफी पहले योग का जन्म हो चुका था। योग विद्या में शिव को “आदि योगी” तथा “आदि गुरू” माना जाता है। इस बीच एक सहज सवाल योगी आदित्यनाथ जो उ०प्र० के मुख्यमंत्री हैं को लेकर मन में आया उन्हें योगी क्यों कहां जाता है ? जानने की जिज्ञासा में यह ज्ञात हुआ कि वे 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने गोरखपुर आए एवं गोरखपुर में अपने चाचा महंत अवैद्यनाथ की शरण में ही चले गए और दीक्षा ले ली। 1994 में ये पूर्ण संन्यासी बन गए, जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया।मात्र एक वर्ष में उन्हें योगी का दर्जा मिल गया ।जो शायद अन्य लोगों को इतने जल्दी नहीं मिलता । निश्चित तौर पर वे पढ़ने में अव्वल तो थे ही और तिस पर चाचा महंत अवैद्यनाथ का वरदहस्त रहा फलस्वरूप वे जल्द योगी बन गए । उसके बाद सबसे पहले 1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए। तब इनकी उम्र केवल 26 वर्ष थी। वे बारहवीं लोक सभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। 1999 में ये गोरखपुर से पुनः सांसद चुने गए।
अप्रैल 2002 में इन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी बनायी। 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। 2009 में ये 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे।12 सितंबर 2014 को गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के निधन के बाद इन्हें यहाँ का महंत बनाया गया। 2 दिन बाद इन्हें नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया। पांचवी बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर ये सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इसमें योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया।19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री पद सौंपा गया।
योगी की सफलता का राज उनके योग को ही माना जाता है उनका सबसे प्रबलतम योग हठयोग है ,साथ ही साथ भगवा वस्त्रधारी गोरखनाथ मठ के महंत का पद और उनकी हिंदु युवा वाहिनी।ये तीनों विशेषताएं उन्हें मोदी से ज्यादा संघ की पसंद का बनाते हैं। ताजातरीन हालात में हमने देख भी लिया है कि मोदी के खासमखास जो उपमुख्यमंत्री बनने आए थे ए के शर्मा जी को उ०प्र०भाजपा के उपाध्यक्ष पद पर बैठाकर योगी ने अपनी महत्ता प्रतिपादित कर दी। मोदी को राज्य चुनावों से अलग कर भी संघ ने उन्हें आईना दिखा दिया है।अगर योगी यू पी जीत लेते हैं तो 2024 में प्रधानमंत्री पद योगी को सहजता से संघ सौंपने की तैयारी में है।
मेरा योगी जी के बारे तमाम जानकारी देने का मकसद यही है कि योग से ताल्लुक रखने वाले योगी की यह दास्तान बताती है कि योग और योगियों में अकूत ताकत होती है ।योग रोग भगाने में भले कारगर ना हो पाए लेकिन भारत में आज के दौर में योगी सर्वोपरि मुकाम पर है।मोदी और रामदेव ने योग को भले अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिलाया हो पर योगीराज कृष्ण की तरह गोरखपुर पीठ के इस महंत से संघ को बहुत उम्मीदें हैं।देखना यह है उनकी यह शतरंजी चालें कितनी कारगर होती है।योगी इस समय फुल पावर में है।एक प्रस्ताव पास किया है जिसमें कहा गया है शहर के मुख्य मार्गों की इमारतें एक रंग की होंगी। शायद भगवा हों।दूसरा काम दो से अधिक बच्चों वाले परिवार को सरकारी सुविधाएं नहीं मिलेगी।योगी का निशाना कहां होगा ?दूसरे गुजरात की तैयारी योगी ही कर सकता है क्योंकि ये जिद्दी और संवेदनाहीन होते हैं।