अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

आपने जनता का नमक खाया है प्रधानमंत्री जी

Share

कृष्णकांत

कृषि कानूनों के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब नरेंद्र मोदी अपनी बात से पलट गए जिसमें उन्होंने कहा था कि जनता कह रही है कि उसने नरेंद्र मोदी का नमक खाया है। यह हुआ कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के तीखे विरोध के कारण। नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक सभा में एक बुजुर्ग महिला के वीडियो का जिक्र किया और कहा कि वे कह रही थीं कि मैं नरेंद्र मोदी को वोट दूंगी ​क्योंकि मैंने नरेंद्र मोदी का नमक खाया है।


इस पर प्रियंका गांधी ने तीखा हमला करते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री की हिम्मत कैसे हुई कि वे इस देश के बुजुर्गों से कहें कि आपने मेरा नमक खाया है? नमक जनता नहीं खाती, नमक नेता खाते हैं जनता का। प्रधानमंत्री अहंकार में यह भूल गए हैं कि जनता इस देश की मालिक है। यह देश जनता का है। सत्ता जनता की है। नेता उसे पांच साल के लिए उधार लेता है।”
उन्होंने यह बात जिस तेवर और गुस्से के साथ कही, उसके बाद नरेंद्र मोदी ने अपने नमक वाले बयान में सुधार किया और खुद बनारस में बोले कि मैं इस देश की माताओं से कहना चाहता हूं कि नमक आपने मेरा नहीं, मैंने आपका नमक खाया है।
इस चुनाव में मैंने गौर किया कि कांग्रेस अपनी जड़ों की ओर लौट रही है। आरएसएस की सीधी मुखालफत, सांप्रदायिकता का ​सीधा विरोध, खुलकर लोकतंत्र के आदर्शों पर भाषण, लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों और वास्तविक मुद्दों पर चर्चा करके कांग्रेस ने एजेंडा सेट करने की कोशिश की और इसमें वह कुछ हद तक सफल रही है।
प्रियंका गांधी ने लगातार बेहद आदर्शवादी बातें की हैं। मसलन, जनता को बार बार बताना कि यह देश आपका है। लोगों से यह कहना कि धर्म और जाति के आधार पर आपको लड़ाने से आपका कोई फायदा नहीं होता, सिर्फ नेता का फायद होता है। खत्म होते आरक्षण और नौकरियों पर बातें करना। युवाओं और महिलाओं के लिए बाकायदा रिसर्च करवाकर अलग से घोषणापत्र निकालना, हर हाल में चुनाव को वास्तविक मुद्दों की ओर मोड़ने की कोशिश करना और जनता को बार बार समझाना कि आपके सामने सिर्फ आपको मजबूत करने की बातें होनी चाहिए।
प्रियंका गांधी ने अपने हर भाषण में दोहराया है कि नेता बेलगाम हो गए हैं। वे आपकी समस्याओं पर बात ही नहीं करते। आप नेताओं को जवाबदेह बनाइए। उनसे हिसाब मांगिए। चाहे कोई भी हो, मैं या कोई और, अगर वह आपकी समस्या पर बात नहीं करता, उसका समाधान नहीं करता तो उसे खदेड़ दो। इस तरह की बातें कम से कम मैं पहली बार सुन रहा हूं।
इसके अलावा उन्होंने बेहद गरीब, पीड़ित, पुलिसिया और जंगलराज से प्रताड़ित कई लोगों को टिकट दिया। इन पीड़ितों में ज्यादातर वे महिलाएं थीं जो राज्य की ओर से प्रताड़ित ​की गईं।
इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस का मृतप्राय संगठन उठ खड़ा हुआ और इस चुनाव में नतीजा जो भी हो, लेकिन कांग्रेस पूरे प्रदेश में चर्चा में है। किसान, महिलाएं, दलित, रोजगार, कानून व्यवस्था, जवाबदेही, अत्याचार और उत्पीड़न को उन्होंने चर्चा के केंद्र में रखने की कोशिश की।
जैसा कि प्रियंका गांधी ने खुद अपने कई इंटरव्यू में कहा कि भले ही लोगों को देर से समझ में आए, लेकिन हमें लोकतंत्र के आदर्शों को समझना होगा। लोग देर से समझेंगे लेकिन हम उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे कि आपको धार्मिक झगड़ों में फंसाकर बरगलाया जा रहा है। इसके आपका नहीं, ऐसा करने वालों का फायदा है।
कांग्रेस ने एक लंबा रास्ता पकडा है, लेकिन यह रास्ता ही सबसे सही है जिसमें सबसे कमजोर लोगों की भी बराबर की जगह हो और लोगों को बार बार यह एहसास दिलाया जाए कि यह लोकतंत्र उनका है। सत्ता उनकी है। नेता बस उनकी सेवा के लिए है। सेवा ही नेता के लिए असली धर्म है।
कांग्रेस का रास्ता लंबा है, लेकिन यह सबसे जरूरी है कि लोकतंत्र में जनता की सर्वोच्चता, सामाजिक न्याय, बराबरी और जवाबदेही को फिर से स्थापित किया जाए। हम सबके बीच असंख्य मतभेद हो सकते हैं लेकिन लोकतंत्र खत्म हो जाने की सूरत में मतभेद का विकल्प ही खत्म हो जाएगा।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें