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जीतेगा तू, विश्वास रख! / क्या है नशा? / महिलाओं की हथकड़ियां / बात मेरी है

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जीतेगा तू, विश्वास रख!

कविता रावल
गनीगांव, गरुड़
उत्तराखंड

जीतेगा तू ही, खुद पर यह विश्वास रख,
निराशा को दूर हौसलों को पास रख,
अच्छाइयों में आस खुद के पास रख,
जीतेगा तू ही, यह खुद पर विश्वास रख,
पीछे न देख मुड़ के, तू कदमों को आगे बढ़ा,
देगा न साथ कोई तुझे, रहेगा तू अकेले खड़ा,
मानेगी लोहा दुनिया भी, जब रहेगा तू डटा,
लड़ेगा तो ही जीतेगा, यह तू एहसास रख,
जीतेगा तू ही, यह खुद पर विश्वास रख,
वक्त की मार है, बस इसे तू झेल जा,
यह खेल तेरा है, बिना डरे तू खेल जा,
गिर कर उठना सीख और भाग के दिखा,
लोगों को जीने का एक नया तरीका सिखा,
सब खो जाने पर कुछ मिल जाने की आस रख,
जीतेगा तू ही यह खुद पर विश्वास रख…

क्या है नशा?

श्रेया जोशी
उम्र-17
कपकोट, उत्तराखंड

अरे अरे वो देखो…
कोई नशा करता नजर आ रहा है,
क्यों उलझन पैदा करते हो?
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है,
हमें गंदी स्मेल लग रही है,
वो तो कब से पिये जा रहा है,
मत करो ना ऐसा तुम,
क्यों इसके पीछे मरते हो?
एक ही तो जीवन है तुम्हारा?
कैसे उसको बर्बाद करते हो?
तुम भी किसे कहती हो?
उसे कुछ समझ नहीं आ रहा है,
तम्बाकू और नशे के सामने,
उसको कहां कुछ नजर आ रहा है,
याद रखो, यह एक बुरी आदत है,
जीवन इससे तुम्हारा ख़राब होता है,
क्या तुम्हें कुछ समझ में आ रहा है॥

महिलाओं की हथकड़ियां

प्रिया
कक्षा-9
सुराग, गरुड़
उत्तराखंड

जकड़ी हूं या सजी हूं, क्या राज़ हूं मैं,
दुनिया की नज़रों में आज क्या हूं मैं?
चूड़ी, कंगन और पायल क्या है?
ये मेरे शृंगार हैं या हथकड़ियां हैं?
मुझे है दुनिया से एक सवाल,
क्यों है ये श्रृंगार मेरे लिये आज?
दुनिया जिसे समझती है सुंदरता,
बन न जाए नारी के लिए बाधा आज,
श्रृंगार के नाम पर उस पर ज़ुल्म क्यों?
हथकड़ी तोड़ उठाती है वह आवाज़,
सुंदरता नहीं, दक्षता है उसका राज़,
अब नहीं करना है उसे कोई शृंगार॥

बात मेरी है

रेनू आर्य
कक्षा-6
दोफाड़, कपकोट
उत्तराखंड

ये बात मेरी है, कुछ मेरे दिल की है,
कुछ चाहत मेरी है, कुछ राहत मेरी है,
कुछ सपने हैं मेरे और वो मेरे अपने हैं,
अपने सपनों को पूरा करने की चाह में,
निकल पड़ी हूं एक अनजान राह में,
मंज़िल की तलाश में आ गई किस मोड़ पर,
मंज़िल को पाना एक सपना लगने लगा है,
मगर वो सपना अब अपना लगने लगा है॥

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