अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

यूं ही तो नहीं काटी होंगी तुम्हारी गर्दनें ! यूं ही तो नहीं काटे होंगें तुम्हारे अंगूठे !

Share

यूं ही तो नहीं मार दिया गया था पाश अपने ही घर में !
यूं तो नहीं मारा गया होगा गौरी लंकेश को !
यूं ही तो नहीं हुआ होगा घर से लापता स्वदेश दीपक !
वे सारे लोग जरूर कुछ सपने देखे होंगें !

यूं ही तो नहीं चले होंगे
वॉटर टैंक !
आँसू गैस !
लाठियां, गोलियां और बंदूक

यूं ही नहीं पसरा होगा सन्नाटा शहर में !
तुमने इंकलाबी नारे जरूर लगाए होंगे !

यूं ही तो नहीं फूंकी होंगी तुम्हारी बस्तियां !
यूं ही तो नहीं उजाड़े होंगे तुम्हारे गांव !
तुमने उनके जैसे कपड़े पहनना,खाना और रहना जरूर शुरू किया होगा !

यूं ही तो नहीं काटी होंगी तुम्हारी गर्दनें !
यूं ही तो नहीं काटे होंगें तुम्हारे अंगूठे !
यूं तो नहीं कटती होंगी अम्बेडकर की उंगलियां !
तुमने पढ़ने का प्रयास जरूर किया होगा !

 साभार-डाक्टर ईशम सिंह ''ईशू '',कैथल, हरियाणा, संपर्क-अनुपलब्ध

           संकलन-निर्मल कुमार शर्मा, 'गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के समाचार पत्र- पत्रिकाओं में पाखंड,अंधविश्वास, राजनैतिक,सामाजिक,आर्थिक,वैज्ञानिक, पर्यावरण आदि सभी विषयों पर बेखौफ,निष्पृह और स्वतंत्र रूप से लेखन ', गाजियाबाद, उप्र,
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें